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December 22, 2025

उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू, अब तक जा चुकी है छह की जान, केंद्र से मिले दो हेलीकॉप्टर

उत्तराखंड के के जंगल गढ़वाल से लेकर कुमाऊं मंडल तक धधक रहे हैं। बेकाबू होती आग की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि आग आबादी के पास तक पहुंच रही है।


उत्तराखंड के के जंगल गढ़वाल से लेकर कुमाऊं मंडल तक धधक रहे हैं। बेकाबू होती आग की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि आग आबादी के पास तक पहुंच रही है। नैनीताल, पिथौरागढ़ के साथ ही गढ़वाल के कई जिलों के जंगलों में आग धधक रही है। पिथौरागढ़ जिले में पाताल भुवनेश्वर के पास जंगल की आग से दो मकान राख हो गए, जबकि तीन मकान को आंशिक रू प से नुकसान पहुंचा। जंगलों में लगी आग से कई जगह धुंध छाई है। प्रदेश में बीते 24 घंटे में आग की 39 घटनाएं दर्ज की गईं हैं।
प्रदेश में जंगलों के धधकने का सिलसिला पिछले साल अक्टूबर से जारी है। यही वजह है कि सरकार ने पूरे वर्ष को ही फायर सीजन घोषित कर दिया है। आमतौर पर फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक रहता है। बीते छह माह में प्रदेश में आग की 983 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। इनमें सर्वाधिक 584 गढ़वाल और 378 कुमाऊं मंडल में हुईं। इसके अलावा 21 घटनाएं संरक्षित वन क्षेत्रों में हुई हैं। इससे कुल 1291.13 हेक्टेयर जंगल को क्षति पहुंची है, जबकि पांच लोग जान गंवा चुके हैं।
मांगी मदद
उधर, स्थिति काबू से बाहर होते देख उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह से मदद की गुहार लगाई। उन्होंने ट्विट किया कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह से बात कर उनसे आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर और एनडीआरएफ के सहयोग के लिए अनुरोध किया है। इस पर केंद्र ने दो हेलीकॉप्टर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि वनों की आग से न सिर्फ वन सम्पदा की हानि हो रही है, बल्कि जन हानि और वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है। वनाग्नि की घटनाओं की गम्भीरता को देखते हुए तत्काल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों, वन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग और सभी ज़िलाधिकारियों की आपातकालीन मीटिंग बुलायी है। उत्तराखंड की वन सम्पदा सिर्फ़ राज्य ही नहीं पूरे देश की धरोहर है। हम इसे सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए कृत संकल्प हैं। उत्तराखंड में इस बार जाड़ों में वर्षा सामान्य से भी कम हुई है और इस कारण भी वनों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

वनाग्नि पर रोक के लिए केंद्र से मिले दो हेलीकाप्टर
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वनाग्नि की घटनाओं को अत्यंत गम्भीरता से लेते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा एक आपात बैठक आहूत कर जरूरी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने बताया है कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं। इस संबंध में उनकी  केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से फोन पर वार्ता हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया है। आवश्यकता होने पर एनडीआरएफ की टीमें भी भेजी जाएंगी।
एक हेलीकाप्टर गौचर में स्टेशन करेगा जो कि श्रीनगर से पानी लेगा। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी में स्टेशन करेगा और भीमताल झील से पानी लेगा। राज्य के अघिकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। सभी अधिकारियेां और कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने को कहा गया है। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर को 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।


मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि की वर्तमान स्थिति और इससे निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की सूचना कंट्रोल रूम को अविलम्ब मिलनी चाहिए और रेस्पोंस टाईम में कमी लाई जाए। वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए परंतु इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं। लोगों को जागरूक किया जाए। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। गांवों और रिहायशी इलाकों के आसपास झाडियां साफ की जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितो को मानकों के अनुरूप  मुआवजा जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए। फील्ड स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए। जहां जरूरी हो, वहां तत्काल बिना समय गंवाए इनकी व्यवस्था कर ली जाएं। कंट्रोल रूम की संख्या बढ़ाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों का संरक्षण, उत्तराखण्डवासियों की परम्परा में है। परंतु कुछ शरारती तत्व जानबूझकर वनों में आग लगाते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर कठोर कार्यवाही की जाए। कुम्भ मेला क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में वनाग्नि की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए एक दीर्घकालीक प्लान भी बनाया जाए और उसी के अनुरूप तैयारियां की जाएं। तहसील व ब्लाक स्तर तक कंट्रोल रूम और फायर स्टेशन स्थापित हों।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में इस वर्ष 983 घटनाएं हुई हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावति हुआ है। वर्तमान में 40 एक्टिव फायर चल रही है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल वनाग्नि से अधिक प्रभावित है। वनाग्नि को रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हैं। 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं।
इस वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, डीजीपी श्री अशोक कुमार, प्रमुख वन संरक्षक श्री राजीव भरतरी, सचिव श्री अमित नेगी, श्री शैलेश बगोली, श्री एस.ए.मुरूगेशन सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी और सभी जिलाधिकारी व डीएफओ उपस्थित थे।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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