संरक्षित वन क्षेत्र की 40 बीघा जमीन पर तारबाड़, विधायक बोले- मैने काम रुकवा दिया

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में विकास के नाम पर पेड़ों के कटान का नतीजा ये पहुंचा कि पिछले साल कई बार देहरादून का तापमान 41 से 43 डिग्री सेल्सियस के करीब जा पहुंचा। ऐसे में पर्यावरण प्रेमी अब एक एक पेड़ पर निगाह रखे हुए हैं और यदि कहीं किसी पेड़ के कटान की सूचना मिलती है तो वहां धमक जाते हैं। ये शहर की आबोहवा के लिए जरूरी भी है। इसी बीच एक बड़ी खबर ये आई कि देहरादून में रायपुर क्षेत्र में खलंगा मार्ग पर हल्दूराम के निकट संरक्षित वन क्षेत्र में करीब चालीस बीघा जमीन को घेराबंदी के लिए तारबाढ़ से कवर किया जा रहा था। इससे पहले जंगल की इस जमीन को घेरने के लिए गेट भी लगा दिया गया। इसका विरोध हुआ और आरोप भूमाफियाओं पर लगे। साथ ही स्थानीय विधायक पर भी आरोप लगे कि उनकी शह पर ये काम हो रहा है। वहीं, स्थानीय विधायक उमेश शर्मा काऊ का कहना है कि जैसे ही कल मुझे सूचना मिली तो मैने उक्त जमीन की घेराबंदी का काम रुकवा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विभिन्न मीडिया की खबरों में आज ये खबर प्रमुखता से वायरल हो रही है। इसमें कहा गया है कि खलंगा मार्ग क्षेत्र में संरक्षित वन क्षेत्र में भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ गई है। खलंगा मार्ग पर हल्दूआम के निकट चालीस बीघा संरक्षित वन क्षेत्र पर हरियाणा के एक व्यक्ति ने तारबाड़ कर गेट लगा दिया है। मौके पर हो रही तारबाड़ का वीडियो भी वॉयरल हो गया। बताया गया कि घने जंगल में यहां कैंप बनाने की योजना है। यदि ऐसा होता है तो चार से पांच हजार साल के पेड़ों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जैसे ही पत्रकार वर्मा सहित सामाजिक संगठनों के कई लोगों को आज इसकी भनक लगी तो मौके पर भीड़ जमा हो गई। नालापानी क्षेत्र के जंगलों में कैम्पिंग साइट डेवलप करने की सुगबुगाहट से क्षेत्रवासियों में नाराजगी देखी जा रही है। वॉयरल वीडियो में स्थानीय महिला मौके पर मौजूद व्यक्ति से सवाल जवाब करती दिख रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मीडिया की खबरों के मुताबिक, तारबाड़ करा रहे हरियाणा के रहने वाले अनिल शर्मा ने बताया कि यह वन भूमि उन्होंने ऋषिकेश निवासी अशोक अग्रवाल से लीज पर ली है। घने जंगल में बिना साल के पेड़ों को नुकसान पहुंचाये कैंप कैसे बनेगा, इसका ब्लूप्रिंट भी उनके पास नहीं है। वहीं, खबरों के मुताबिक, डीएफओ अमित तंवर ने इस गतिविधि की जानकारी से अनभिज्ञता जताई। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह मौक पर वन विभाग की टीम को भेज कर जांच करवाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति के संस्थापक एवं संयोजक और मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति के महासचिव मोहित डिमरी ने भी लोगों से उक्त स्थल पर पहुंचकर विरोध जताने का आह्वान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्य में स्थानीय विधायक उमेश शर्मा “काऊ” और वन विभाग के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत है। धामी सरकार के कमजोर भू-कानूनों ने जंगलों को बेचने का रास्ता खोल दिया है। पहले हमारी जमीनें और खेत लुटे, अब जंगल बारी है। क्या वन विभाग को इसकी खबर नहीं थी। ये सब उनकी जानकारी और संरक्षण में हो रहा है। यह उत्तराखंड की अस्मिता पर हमला है। आवाज उठाओ, जंगल बचाओ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विधायक का दावा- मैने रुकवाया काम
इस संबंध में जब लोकसाक्ष्य की ओर से रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उक्त जमीन भूमिधरी की है या नहीं, इसका उन्हें पता नहीं है। हालांकि, सैकड़ों और हजारों साल पुराने साल के पेड़ उक्त जमीन पर खड़े हैं। ऐसे में जब कल उन्हें इसकी सूचना मिली को उन्होंने प्रमुख सचिव सुधांशु को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र संरक्षित वन क्षेत्र में है या नहीं, ये भी वन विभाग ही बताएगा। हालांकि, कल रात को ही उन्होंने वन विभाग, रायपुर पुलिस की टीम को मौके पर भेज दिया था। साथ ही जंगल में किए जा रहे कार्यों को रुकवा दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में भी इस स्थान की घेराबंदी को लेकर विवाद हो चुका है। नियमों के खिलाफ किसी को भी जाने नहीं दिया जाएगा।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।