घरों पर बुलडोजर चलने का खौफ, कांग्रेस नेताओं के साथ बस्तियों के लोगों का नगर निगम में प्रदर्शन
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इन दिनों कई बस्तियों में रहने वाले लोगों को बुलडोजर का खौफ सता रहा है। कारण ये है कि नगर निगम ने वर्ष 2016 के बाद से नदी किनारे बसे लोगों के घरों को अवैध करार दिया है। तीस जून तक रिस्पना नदी और बिंदाल नदी से सटी बस्तियों को हटाया जाना है। इसके विरोध में देहरादून में बस्ती के लोग आंदोलन कर रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस के साथ बस्ती के लोगों ने नगर निगम पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर नगर आयुक्त को ज्ञापन भी दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता राजकुमार के नेतृत्व में कांग्रेसी और बस्ती के लोग नगर निगम पहुंचे और वहां पर जोरदार नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा है कि मलिन बस्तियों में लोग चालीस वर्षों से अधिक समय से निवास कर रहे हैं। उनके पास पानी, बिजली के बिल, राशन कार्ड, पहचान पत्र, आधार कार्ड व सभी कागज उपलब्ध हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इन बस्तियों में सांसद, विधायक, पार्षद, नगर निगम, एमडीडीए, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग तथ सरकारी सभी विभागें ने विकास कार्य किए हैं। अब इन सभी बस्तीवासियों के मकान तोड़ने का नोटिस दिया गया है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम ने सभी को तीस जून तक हटने को कहा है। कहा गया कि 2016 के बाद नया निर्माण जिसने किया है, उसे अतिक्रमण माना जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इनके साथ उन लोगों को भी नोटिस दे दिया गया है जो लोग तीस व चालीस वर्षों से बस्तियों में निवास कर रहे हैं। इस अवसर पर नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर कहा गया कि इन सभी नोटिसों को तुरंत निरस्त किया जाअ। गरीब लोगों ने मेहनत, मजदूरी करके अपने छोटे छोटे मकान बनाए हैं। इन्हें तोड़ना उचित नहीं होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन करने वालों में देहरादून कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, निवर्तमान पार्षद अर्जुन सोनकर, निखिल कुमार, मीना बिष्ट, अनूप कपूर, परमजीत ओबराय, राके पंवार, जहांगीर खाद, सुरेश चन्द्र, मुकेश, अर्चना, रेनू, आरती, सुशीला, अनिल आदि कांग्रेस कार्यकर्ता एवं बस्तीवासी शामिल रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।