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August 26, 2025

पिता और दो बेटों ने टिहरी झील में तैरकर रचा इतिहास, सवा चार घंटे से पहले तय की सवा 12 किमी की दूरी

उत्तराखंड में जिस टिहरी झील को देखने से ही डर लगता है, उसे पिता ने दो बेटों के साथ तैरकर पार कर दिया। करीब सवा 12 किलोमीटर की दूरी को उन्होंने साढ़े तीन घंटे से लेकर सवा चार घंटे में पूरा कर लिया।

उत्तराखंड में जिस टिहरी झील को देखने से ही डर लगता है, उसे पिता ने दो बेटों के साथ तैरकर पार कर दिया। करीब सवा 12 किलोमीटर की दूरी को उन्होंने साढ़े तीन घंटे से लेकर सवा चार घंटे में पूरा कर लिया। ये कारनामा टिहरी के प्रतापनगर के मोटणा गांव निवासी निवासी त्रिलोक सिंह रावत (49 वर्ष) ने अपने दो बेटों ऋषभ (18 वर्ष) और पारसवीर (15 वर्ष) के साथ तैरकर दिखाया। टिहरी झील करीब बयालीस वर्ग किमी लंबी है। इसे तैर कर पिता और दो बेटों ने इतिहास रच दिया। दोनों पुत्रों ने जहां यह दूरी साढ़े तीन घंटे, वहीं पिता ने सवा चार घंटे में इसे तय किया। किसी भी व्यक्ति ने पहली बार टिहरी झील में तैर कर इतनी दूरी तय की है। इसके लिए विधिवत रूप से जिला प्रशासन से अनुमति ली गई थी। त्रिलोक सिंह रावत का कहना है कि अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए उन्होंने तैरने का फैसला लिया।
कोटी कालोनी से गुरुवार सुबह आइटीबीपी की टीम की निगरानी में मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत ने दोनों बेटों के साथ तैरकर अपनी यात्रा शुरू की। त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों ने भल्डियाणा तक सवा 12 किलोमीटर दूरी तैरकर तय की। त्रिलोक सिंह रावत ने बताया कि टिहरी झील 42 वर्ग किमी में फैली है और लगभग 260 मीटर गहरी है। यहां पर तैरना काफी कठिन था, लेकिन वह कई साल से अपने गांव के पास झील के बैकवाटर में ही प्रैक्टिस करते थे।

उन्होंने और उनके बेटों ने टिहरी झील की अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए तैरने का फैसला किया। भविष्य में वह इससे ज्यादा दूरी तय कर कीर्तिमान बनाने का प्रयास करेंगे। डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि पिता-पुत्रों ने बाकायदा जिला प्रशासन से अनुमति ली थी और उन्हें बाकायदा आइटीबीपी से सुरक्षा दी गई थी।
मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत क्षेत्रीय विधायक विजय सिंह पंवार के प्रतिनिधि भी हैं और समाज सेवा से भी जुड़े हैं। रावत ने बताया कि वह बचपन से ही नदी किनारे रहे हैं। ऐसे में तैरना बचपन से ही सीख लिया। उसके बाद उन्होंने टिहरी झील में अपने दोनों बेटों को भी तैरना सिखाया। उनके बेटे ऋषभ 12वीं में और पारसवीर 10वीं में पढ़ता है। अगर सरकार का सहयोग मिला तो वह अपने बच्चों को तैराकी के क्षेत्र में भेजने का भी विचार कर सकते हैं।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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