चुनाव आए तो पंजाब में किसान संगठन भी बटे, किसान यूनियनों ने बनाया संयुक्त समाज मोर्चा, संयुक्त किसान मोर्चा नहीं लड़ेगा चुनाव
पंजाब में विधानसभा चुनाव निकट आए तो किसान संगठन भी खेमों में बटने लगे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने चुनाव न लड़ने की घोषणा पहले भी की थी और अब भी इसे लेकर कायम है। वहीं, किसानों के कुछ संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा बनाकर चुनाव में उतरने का ऐलान किया है।

शुक्रवार देर शाम तक मुल्लांपुर के गुरशरण कला भवन में 32 किसान जत्थेबंदियों की बैठक हुई थी। बैठक के बाद पांच किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने साफ कर दिया कि 32 किसान यूनियन किसान संघर्ष के लिए एकजुट हैं। वहीं राजनीति करना और चुनाव लड़ना प्रत्येक यूनियन का अधिकार है। इस बारे में सबके अलग-अलग विचार हो सकते हैं।
चढ़ूनी भी बना चुके हैं पार्टी
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए संयुक्त संघर्ष पार्टी बनाई थी। चढ़ूनी गुट भी सभी 117 सीटों पर ताल ठोकेगा। उन्होंने पंजाब इकाई का अध्यक्ष अरशपाल सिंह को नियुक्त किया था। चढ़ूनी ने पंजाब में अफीम की खेती को वैध करने की भी पैरवी की थी। चढ़ूनी ने कहा था कि वे नशाखोरी के खात्मे के लिए पंजाब में काम करेंगे। गरीब का उत्थान मुख्य प्राथमिकता रहेगा। देश में पार्टियों की कमी नहीं है। नेताओं ने राजनीति को कारोबार बना लिया है। गरीब ज्यादा गरीब हो रहे हैं और अमीर ज्यादा अमीर। गरीबों के हालात खराब हैं। देश में पूंजीवाद का जन्म हो रहा है, इसका कारण राजनीतिक दल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चे ने किया साफ, नहीं लड़ेंगे चुनाव
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने स्पष्ट किया है कि वह पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है। यह जानकारी मोर्चा की 9 सदस्यीय समन्वय समिति के नेता जगजीत सिंह डल्लेवालव और डॉ दर्शनपाल ने दी है। उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा देश भर में 400 से अधिक विभिन्न वैचारिक संगठनों का एक मंच है। यह केवल किसानों के मुद्दों पर बना है। इसने चुनाव के बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं किया है और न ही चुनाव लड़ने की कोई समझ बनी है। उन्होंने कहा कि इसे लोगों ने सरकार से अपना अधिकार दिलाने के लिए बनाया है. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद संगठन ने संघर्ष स्थगित कर दिया है, लेकिन शेष मांगों पर 15 जनवरी को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
पंजाब के 32 संगठनों के बारे में उन्होंने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में संयुक्त रूप से चुनाव में जाने को लेकर आम सहमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि चुनाव में भाग लेने वाले व्यक्ति या संगठन संयुक्त किसान मोर्चा या 32 संगठनों के नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे। ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि 32 संगठनों के सामने क्रांतिकारी किसान यूनियन (डॉ दर्शनपाल), बीकेयू क्रांतिकारी (सुरजीत फूल), बीकेयू सिद्धूपुर (जगजीत डल्लेवाल), आजाद किसान कमेटी दोआबा (हरपाल संघा), जय किसान आंदोलन (गुरबख्श बरनाला), दसूहा गन्ना संघर्ष कमेटी (सुखपाल डफर), किसान संघर्ष कमेटी पंजाब (इंदरजीत कोटबूढ़ा), लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (बलदेव सिरसा) और कीर्ति किसान यूनियन पंजाब (हरदेव संधू) ने चुनाव लड़ने के खिलाफ स्पष्ट रुख रखा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।