दून का प्रसिद्ध सर्किट हाउस जो राजभवन में किया गया तब्दील, जानिए इसके बारे में
उत्तराखंड बनने से पहले भी देहरादून के सर्किट हाउस का खासा महत्व रहा है। यहां राज्य अतिथि वीआइपी अक्सर आया करते थे। यहीं पर वे विश्राम करते। मंत्री तो यहीं पर अधिकारियों के साथ बैठकें भी करते थे। बाद में देहरादून को अस्थायी राजधानी बनाने पर इसे राजभवन में तब्दील कर दिया गया। आइए बताते हैं सर्किट हाउस से जुड़ी जानकारी।
सर्किट हाउस जिसे अब राजभवन के नाम से जाना जाता है, का निर्माण सन् 1902 में किया गया था। उस समय इसका नाम ‘कोर्ट हाउस’ हुआ करता था। जहाँ तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के ब्रिटिश गवर्नर अपने देहरादून भ्रमण के दौरान प्रायः निवास करते थे। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू जब भी देहरादून आते थे तो यहीं ठहरते थे। समय-समय पर भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधानमन्त्री इस ऐतिहासिक इमारत में निवास कर चुके हैं। राजभवन देहरादून समुद्र तल से 2305 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को अगर देहरादून में किसी स्थान ने सबसे अधिक आकर्षित किया तो वह था सर्किट हाउस। यहां का खूबसूरत एवं हरा-भरा बगीचा उन्हें सम्मोहित कर देता था। जहां पंडित नेहरू घंटों बैठकर प्रकृति को निहारा करते थे। यह स्थान आज भी उतना ही आकर्षक एवं प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है।
सन् 1906 में पंडित नेहरू जब विद्यार्थी थे तो सर्किट हाउस आये और इस स्थान को देखकर मंत्रमुग्ध हो गये। उसी दिन से उन्होंने यहां पर एक सुन्दर बगीचे को स्थापित करने का स्वप्न संजो लिया था। पहले यह भूमि सेना की थी। पंडित नेहरू ने अपने प्रयासों से इस जमीन को अधिगृहित कर शासन के सुपुर्द किया तथा विदेश से रोज सेन्टेड और चाइना लीची के पौधों को लाकर यहां रोपित किया।
पंडित नेहरू की इच्छाओं के अनुरूप बगीचे को नैसर्गिक सुन्दरता देने के उद्देश्य से इसकी देखरेख का दायित्व उद्यान विभाग को सौंपा गया। यह विभाग सन 1970 से लेकर आज तक इसकी देखरेख कर रहा है। वर्तमान में इस बगीचे में आठ एकड़ क्षेत्रफल में आम का बगीचा व पांच एकड़ में लीची का बाग है। इसके अतिरिक्त दो एकड़ में पौधशाला तथा 9.90 एकड़ में वन क्षेत्र है। शेष 15.25 एकड़ क्षेत्र में फल-फूल के वृक्षों के अतिरक्ति राज्यपाल महोदय का आवास स्थित है।
उत्तराखंड राज्य गठन से पहले जब देहरादून उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तो केंद्रीय व यूपी सरकार के मंत्री भी जब देहरादून आते तो यहीं पर विश्राम करते थे। ऐसे में वीआइपी के इंटरव्यू के लिए यहां हमेशा पत्रकारों की आवाजाही भी रहती थी। कई पत्रकार तो यहीं पर वीआइपी को पकड़ने के लिए डेरा जमाकर रहते थे।
उत्तराखण्ड राज्य के गठन के परिणामस्वरूप राजभवन की स्थापना अस्थायई रूप से न्यू कैंट रोड देहरादून के बीजापुर हाउस में की गई। इसके तत्पश्चात सर्किट हाउस देहरादून को राजभवन में बदलकर उत्तराखंड के प्रथम राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला को 25 दिसम्बर 2000 को इसका प्रथम निवासी बनाया गया।
यद्यपि राजभवन को 25 दिसम्बर 2000 को सर्किट हाउस में स्थानान्तरित कर दिया गया था, लेकिन राज्यपाल सचिवालय का संचालन बीजापुर हाउस से ही होता रहा। राज्य के तीसरे राज्यपाल बी. एल. जोशी द्वारा राजभवन परिसर में राज्यपाल सचिवालय तथा प्रेक्षागृह के नवनिर्मित भवनों का उद्धघाटन दिनांक 27 जुलाई 2009 को किया गया। कुछ समय पश्चात् राजभवन परिसर में राज्यपाल का पदेन आवास निर्मित किया गया, जिसका उद्धघाटन श्रीमती मार्गरेट अल्वा (चतुर्थ राज्यपाल) द्वारा दिनांक 14 अप्रैल 2010 को किया गया था।
पुरानी इमारत जो राज्यपाल का आवास हुआ करता थी, को राजभवन अतिथि गृह के रूप में परिवर्तित किया गया। राजभवन परिसर के चारों ओर 160 एकड़ में विस्तृत वनाच्छादित भूमि है, जिसमें विभिन्न प्रकार के वनस्पति प्रजाति तथा पशु-पक्षी पाए जाते हैं। राजभवन देहरादून विशाल लॉन, बोन्साई गार्डन, तथा विभिन्न प्रकार की पुष्प प्रजातियों से युक्त है। राजभवन प्रेक्षागृह विभिन्न महत्वपूर्ण अवसरों जैसे शपथ-ग्रहण समारोह, सेमीनार, पुस्तक-विमोचन तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों इत्यादि के संचालन का विशेष स्थल है।
लेखक का परिचय
लेखक देवकी नंदन पांडे जाने माने इतिहासकार हैं। वह देहरादून में टैगोर कालोनी में रहते हैं। उनकी इतिहास से संबंधित जानकारी की करीब 17 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। मूल रूप से कुमाऊं के निवासी पांडे लंबे समय से देहरादून में रह रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।