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February 4, 2025

सोशल मीडिया में वायरल हुआ छुट्टी का फर्जी आदेश, नैनीताल में कई स्कूलों से बच्चे घर लौटे, डीएम ने जांच के आदेश

नैनीताल जिले में एक फर्जी आदेश के चलते आज शुक्रवार को कई स्कूलों में या तो बच्चे गए ही नहीं, या फिर जहां गए वहां स्कूलों ने विद्यार्थियों को घर लौटा दिया।

उत्तराखंड में मौसम विभाग की ओर से अमूमन हर दिन किसी ना किसी जिले में भारी बारिश की चेतावनी जारी की जा रही है। जब विभाग की ओर से रेड अलर्ट जारी किया जाता है तो संबंधित जिला प्रशासन स्कूलों में पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक छुट्टी के आदेश जारी कर देता है। अब ऐसे ही एक फर्जी आदेश के चलते आज शुक्रवार को कई स्कूलों में या तो बच्चे गए ही नहीं, या फिर जहां गए वहां स्कूलों ने विद्यार्थियों को घर लौटा दिया। ऐसा मामला आज नैनीताल जिले में देखने को मिला। मामले की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने एसएसपी नैनीताल को जांच कर कार्रवाई करने के लिए कहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बताया गया है कि शुक्रवार को भारी बारिश की चेतावनी के मद्देनजर नैनीताल के जिलाधिकारी की ओर से जारी एक आदेश सोशल मीडिया में वायरल हुआ। इसमें नैनीताल जिले के इंटर तक के सरकारी व निजी स्कूलों में आज भारी बारिश की संभावना के मद्देनजर अवकाश की घोषणा की गई। ऐसे में इस फर्जी आदेश के चलते जिले के कई स्कूलों में अवकाश रहा। वहीं, कई ने बच्चों को घर भेज दिया। इस पर जिलाधिकारी की ओर से एसएसपी को पत्र लिखकर इस प्रकरण की जांच को कहा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

जिलाधिकारी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि किसी शरारती ने सोशल मीडिया में उक्त सन्देश डाल दिया गया, जिससे स्कूली विद्यार्थियों को परेशनियों का सामना करना पड़ा। जिलाधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से स्कूल व आंगनवाड़ी अवकाश को लेकर किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया गया है। उनके पूर्व के आदेश के पत्र में छेड़छाड़ करते हुए भ्रामक संदेश फैलाया गया है, जो कि पूर्णतः गलत है। इससे प्रशासन की छवि खराब करने का प्रयास किया गया। ऐसे संदेशों से भविष्य में राजकीय कार्यों में भी बाधा पहुंचाई जा सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से कहा कि ऐसे प्रकरण में संबंधित धारोँ के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करते हुए साइबर सेल से इसकी जांच कराई जाए। ऐसे शरारती तत्वों की पहचान हो सके और उनके खिलाफ विधिवत कानूनी कार्रवाई हो। ताकि भविष्य में कोी इसकी पुनरावृत्ति ना होने पाए।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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