बिजली को लेकर बढ़चढ़कर दावे, सुबह नहाने के समय बिजली हो रही गुल, पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित
उत्तराखंड में पूरी सर्दियों भर बिजली झटके देती रही। अब लगातार कुछ दिन पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश होने के कारण एक बार फिर से सर्दी लौट आई है। इसके बावजूद राज्य में बिजली की आपूर्ति को बेहतर नहीं कहा जा सकता है। सुबह के समय जैसे ही नहाने का समय होता है, उस वक्त बिजली गायब हो जाती है। इसी तरह जब पेयजल आपूर्ति का वक्त होता है, तब भी बिजली गुल रहती है। ऐसे में सरकार के बिजली आपूर्ति के दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। वहीं, पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी का कार्यकाल लोगों को याद आ रहा है, जब शायद ही किसी दिन राजधानी देहरादून में बिजली का संकट देखा गया हो। साथ ही यदि हम आज की व्यवस्थाओं और तब की व्यवस्थाओं की तुलना करें तो साफ बात ये ही नजर आएगी कि यदि शासक की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कभी कोई परेशानी नहीं हो सकती है। सिर्फ भाषणों से लोगों को राहत नहीं मिल सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजधानी देहरादून में बिजली की आपूर्ति
चार दिन पहले की ही बात है, देहरादून के नेशविला रोड से समाजसेवी जगमोहन मेहंदीरत्ता का लोकसाक्ष्य को फोन आया और उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे से बिजली गुल है। बल्ब तो इनवर्टर से चला सकते हैं, लेकिन सर्दियों में पानी गरम करने के लिए तो बिजली ही चाहिए। इसी तरह देहरादून के उत्तरी इलाके में आर्यनगर, डीएल रोड, कैनाल रोड सहित दून के अलग अलग हिस्सों में हर सुबह दो से तीन घंटे उस समय बिजली जा रही है, जब लोगों के नहाने का वक्त होता है। आज भी पहले नवरात्र और हिंदू नए साल के मौके पर अधिकांश कामकाजी लोग या तो बगैर नहाए ही आफिस गए या फिर रसोई गैस में पानी गर्म किया होगा, या वे ठंडे पानी से नहाए होंगे। पहले ऊर्जा निगम की ओर से मोबाइल में संदेश आ जाता था कि किस इलाकों में कितनी देह तक बिजली गुल रहेगी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पानी की आपूर्ति भी गड़बड़ाई
दून में पानी की आपूर्ति करीब 279 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी व झरने के स्रोत से की जाती है। ज्यादातर पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से होने के चलते नलकूप चलाने के लिए बिजली की जरूरत है। यदि चार या पांच घंटे तक लगातार बिजली रहेगी तो एक टैंक भर पाएगा। फिर टैंक से पानी की आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में स्थिति ये है कि बार बार बिजली गुल होने से अमूमन कई स्थानों पर टैंक भर नहीं पाते। वहीं, जल संस्थान को बगैर टैंक के लिए नलकूप से सीधे आपूर्ति करनी पड़ती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शहर के अधिकांश स्थानों पर पेयजल आपूर्ति का समय सुबह और शाम के समय है। सुबह और शाम को पेयजल आपूर्ति शुरू होते ही जब बिजली चली जाती है तो पाइप लाइनों में भरा पानी ढलान वाले इलाकों की तरफ बह जाता है। ऐसे में ऊंचाई वाले इलाकों के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचता है। फिर जब बिजली आती है तो पहले पाइप लाइनें भरेंगी, फिर घरों तक पानी पहुंचता है। ऐसे में बार बार आपूर्ति बाधित होने के बीच पेयजल आपूर्ति का समय निकल जाता है कई इलाके पानी की आपूर्ति से वंचित रह जाते हैं। ऐसा अमूमन हर रोज होने लगा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दावे बड़े और हकीकत शून्य
सरकार की ओर से दावे तो ये किए जा रहे हैं कि गर्मियों में बिजली की कमी नहीं रहेगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने उत्तराखंड को अप्रैल, मई और जून में 325-325 मेगावाट बिजली देने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उधर, यूपीसीएल ने काशीपुर गैस प्लांट दो महीने चलाने के लिए गैस खरीद ली है। साथ ही मई के लिए लघु अवधि के टेंडर से बिजली भी खरीदी है। इससे आने वाले दिनों में बिजली संकट से खासी राहत मिलेगी। केंद्र सरकार ने राज्य को 31 मार्च तक के लिए 300 मेगावाट (72 लाख यूनिट) बिजली दी थी। चूंकि पिछले साल राज्य में पांच करोड़ यूनिट प्रति दिन की मांग आई थी, जो कि इस साल भी हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से इस संबंध में वार्ता की थी। इस वार्ता में हल निकल गया है और केंद्र सरकार ने अप्रैल, मई व जून के लिए 325 मेगावाट (78 लाख यूनिट) बिजली उपलब्ध कराने पर सहमति दे दी है। आम उपभोक्ता को आंकड़ों से कोई लेना देना नहीं है। उसे तो नियमित आपूर्ति की जरूरत है। नियमित आपूर्ति हो नहीं रही है। ऐसे में सरकार कुछ भी कहे, लेकिन हकीकत शून्य है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बढ़ाए जा रहे हैं बिजली और पानी के रेट
अब प्रदेश सरकार एक अप्रैल से उत्तराखंड में पीने का पानी भी नौ से 15 फीसदी तक महंगा करने जा रही है। इसी तरह एक अप्रैल से बिजली दरों में 12 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की सूचना मिल रही है। पिछले साल भी तीन बार बिजली की दरें बढ़ाई गई। इसके विपरीत उपभोक्ताओं को सुविधा देने के नाम पर ढाक के तीन पात की व्यवस्था साबित हो रही है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।