पूर्व सैनिक संगठन ने कहा-उत्तराखंड को बनाई जाए विश्व की आध्यात्मिक राजधानी
उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक सयुंक्त संगठन के तत्वाधान में नजीबाबाद रोड कोटद्वार में आयोजित बैठक में उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने पर चर्चा गई। साथ ही इस मांगो के लेकर संघर्ष करने के लिए संकल्प लिया गया।
इस मौके पर मुख्य वक्ता एवं पूर्व आयुक्त सुरेन्द्र सिंह पाँगती (आईएएस) की लिखित पुस्तक- प्राणों की साधना का भी बिमोचन किया गया। ये पुस्तक वामाचार तंत्र के तथा पौन तांत्रिक प्रथा, पर आधारित है। इस मौके पर सुरेन्द्र सिंह पाँगती ने कहा कि उत्तराखंड में आध्यात्म के कई केंद्र हैं। इन्हें विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आध्यत्म का सबसे बड़ा केंद्र व्यासघाट को लेकर एक बिस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कमेटी का गठन किया जाएगा।
इस मौके पर उत्तराखंड पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक सयुंक्त संगठन के महासचिव पीसी थपलियाल ने कहा कि उत्तरप्रदेश के समय से लेकर आज तक सरकार 4 धामयात्रा से बाहर नही पाई। वहीं, उत्तराखंड में कई ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जो प्रचार के अभाव और संरक्षण के अभाव में विश्व की नजर से दूर हैं।
उन्होंने कहा कि पंच प्रयाग, पंच बद्री, पंच केदार जैसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल से लेकर कुंजापुरी, सुरकंडा, चन्द्रबदनी, चंडी देवी, मनसा देवी, धारी देवी, कविल्ठा की काली व भैरव गढ़ी के भैरव की अनदेखी करना नेतृत्व की उदासीनता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्विटजरलैंड विश्व की भौतिक राजधानी है, उसी तर्ज में उत्तराखंड को विश्व की आध्यत्मिक राजधानी बनाई जानी चाहिए। इस मांग को आगे बढ़ाने के लिए संगठन में संकल्प लिया गया। बैठक में मुख्य वक्ता आचार्य योगेश पांथरी, कमांडेंट एसडीएस पटवाल, संजय थपलियाल, योगम्बर रावत, विनोद नेगी, सुमन कोटनाला, मनबर सिंह रावत ने भी विचार रखे।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।