ओमिक्रॉन वैरिएंट से हर व्यक्ति होगा संक्रमित, संक्रमण का पता भी नहीं चलेगा, नहीं रोक पाएगी बूस्टर डोज, खतरा कम
जिस तेजी से देश में कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन फैल रहा है, उसके साथ ही इससे जुड़ी नई नई बाते सामने आ रही हैं। फिलहाल ये माना जा रहा है कि ये वैरिएंट खतरनाक नहीं है।
जिस तेजी से देश में कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन फैल रहा है, उसके साथ ही इससे जुड़ी नई नई बाते सामने आ रही हैं। फिलहाल ये माना जा रहा है कि ये वैरिएंट खतरनाक नहीं है। इसका असर कम है। साथ ही ये वैरिएंट अजेय भी है। ऐसे में इससे हर कोई संक्रमित होगा। सरकार के एक शीर्ष विशेषज्ञों का तो यही तर्क है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोविड अब एक भयावह बीमारी नहीं है। नए स्ट्रेन का असर बेहद कम है और बहुत कम लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ रही है।आरसीएमआर (ICMR) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉक्टर जयप्रकाश मुलियिल ने कहा कि ओमिक्रॉन ऐसी बीमारी है, जिससे हम निपट सकते हैं। हम लोगों में से बहुत तो यह भी नहीं जान पाएंगे कि हम इससे संक्रमित हो गए हैं। संभवत: 80 फीसदी से अधिक को यह पता भी नहीं चलेगा कि यह हमें कब हुआ?
उन्होंने बताया कि किसी मेडिकल बॉडी ने बूस्टर डोज का सुझाव नहीं दिया। डॉ. मुलियिल ने कहा कि वे महामारी की नैसर्गिक प्रगति को नहीं रोकेंगे। बिना लक्षण वाले (असिम्पटोमेटिक) के क्लोज कांटेक्ट की टेस्टिंग के खिलाफ राय देते हुए उन्होंने कहा कि वायरस का इनफेक्शन महज दो दिन में दोगुना हो रहा है। ऐसे में जब तक टेस्ट इसकी मौजूदगी बताएगा, इसके पहले ही संक्रमित शख्स, संक्रमण को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचा चुका होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में जब आप टेस्ट कराते हैं तो आप काफी ‘पीछे’ ही होते हैं. इससे महामारी के फैलने में कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
कड़े लॉकडाउन को लेकर उन्होंने कहा कि हम लंबे समय तक घर में बंद नहीं रह सकते। इस बात को समझने की जरूरत है कि ओमिक्रॉन का असर, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में बहुत हल्का है। डॉ. मुलियिल ने कहा कि जब तक देश में वैक्सीन आई, उससे पहले ही करीब 85 फीसद भारतीय संक्रमित हो गए थे। ऐसे में वैक्सीन की पहली डोज, पहली बूस्टर डोज की तरह थी, क्योंकि ज्यादातर भारतीयों में नेचुरल इम्युनिटी थी।




