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October 31, 2025

यूरोपीय संघ का इथेनॉल उत्पादों को बैन करने पर विचार, बताया कैंसर का खतरा, भारत में पेट्रोल में भी हो रहा उपयोग

यूरोपीय संघ (ईयू) की ओर से इथेनॉल आधारित उत्पादों पर बैन लगाने की तैयारी की खबर आई है। वहीं, अब भारत में E20 (20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल) का उपयोग किया जा रहा है। इससे पुरानी गाड़ियों में माइलेज घटने और इंजन को नुकसान पहुँचने जैसी समस्याएं पैदा होने की बात की जा रही है। बात यहां तक तो ठीक लगती है, लेकिन अब जो चौंकाने वाली खबर आई है कि यूरोपीय संघ का इथेनॉल उत्पादों पर प्रतिबंध लगा सकता है। इसके लिए कारण बताया गया कि इथेनॉल से चलने वाले वाहनों के धुएं से कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ बढ़ सकता है। इससे भारत की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ईयू ने यूरोपीय केमिकल एजेंसी (ECHA) की उस रिपोर्ट के बाद प्रतिबंध करने के विचार किया है, जिसमें एथेनॉल में कैंसरकारी जोखिम की संभावना बताई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रतिबंध न केवल हैंड सैनिटाइजर और साफ-सफाई उत्पादों को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत जैसे देशों में इथेनॉल ब्लेंडेड ईंधन की बढ़ती उपयोगिता पर भी सवाल खड़े कर सकता है। सैनिटाइजर का उपयोग कोरोनाकाल के दौरान बहुत ज्यादा हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हालांकि, भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य उपयोग में एथेनॉल से तत्काल कोई खतरा नहीं है। एथेनॉल का रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे आम उपयोग हैंड सैनिटाइजर और अब ईंधन में मिश्रण के रूप में होता है। कोरोना महामारी के बाद से हैंड सैनिटाइजर लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं, जिससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इन उत्पादों से कोई स्वास्थ्य जोखिम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ईसीएचए के एक आंतरिक कार्य समूह ने 10 अक्टूबर को इथेनॉल को जहरीला पदार्थ घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसमें कैंसर का खतरा बढ़ने और गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं का उल्लेख किया गया है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ईयू अब इथेनॉल को जैविक हानिकारक उत्पादों (जैसे हैंड सैनिटाइजर) में रिप्लेस करने पर विचार कर रहा है। एजेंसी की बायोसाइडल प्रोडक्ट्स कमिटी 25 से 27 नवंबर तक इस मुद्दे पर बैठक करने वाली है, जिसके बाद यूरोपीय आयोग अंतिम निर्णय लेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ईयू में इथेनॉल को कैंसरजन्य (कैंसर पैदा करने वाला), उत्परिवर्तक (म्यूटेजेनिक) या प्रजनन के लिए जहरीला (आरईपीआरओटॉक्सिक) पदार्थ के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया वर्ष 2000 से चल रही है, लेकिन हालिया मूल्यांकन ने इसे नया मोड़ दिया है। ग्रीस की ओर से मार्च 2024 में सबमिट की गई रिपोर्ट में इथेनॉल के हैंड सैनिटाइजर, सतह सफाई और खाद्य उद्योग में उपयोग की समीक्षा की गई थी। यदि यह वर्गीकरण हो जाता है, तो कॉस्मेटिक उत्पादों में इथेनॉल पर स्वतः प्रतिबंध लग सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत में यह खबर खासकर बेंगलुरु जैसे शहरों में चिंता बढ़ा रही है, जहां इथेनॉल का उपयोग ईंधन ब्लेंडिंग और सैनिटेशन में व्यापक है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल के जलने से एसिटाल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड जैसी जहरीली गैसें निकल सकती हैं, जो कैंसर से जुड़ी हैं। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, आशा हॉस्पिटल्स एंड रिसर्च सेंटर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. श्रीनाथ ने कहा कि इथेनॉल ईंधन स्वाभाविक रूप से अधिक हानिकारक नहीं हैं। यह प्रदूषकों के कुल मिश्रण पर निर्भर करता है, और इथेनॉल अन्य जहरीले तत्वों को कम कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति (20% ब्लेंडिंग लक्ष्य) पर यह प्रतिबंध असर डाल सकता है, क्योंकि ईयू भारत का प्रमुख निर्यात बाजार है। कॉस्मेटिक उद्योग, खासकर इत्र और लोशन क्षेत्र में इथेनॉल का उपयोग प्रमुख है। यदि प्रतिबंध लगता है, तो यूरोपीय उत्पादकों को नुकसान होगा, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि वैकल्पिक रसायनों की तलाश अब जरूरी हो गई है, लेकिन ये विकल्प महंगे और कम प्रभावी साबित हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सोप्स, डिटर्जेंट एंड मेंटेनेंस प्रोडक्ट्स (AISE) ने स्पष्ट किया है कि यूरोपीय अध्ययन मुख्य रूप से अत्यधिक शराब सेवन पर आधारित है। यानी, यह जोखिम उन लोगों पर लागू होता है, जो लंबे समय तक और अधिक मात्रा में एथेनॉल का सेवन करते हैं, न कि बाहरी उपयोग करने वालों पर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इथेनॉल को हाथों की सफाई के लिए सुरक्षित मानता है, लेकिन ईयू की सिफारिश ने बहस छेड़ दी है। एल्कोहल एंड कैंसर यूरोप की रिपोर्ट में कहा गया है कि सैनिटाइजर में इथेनॉल का उपयोग पेय के रूप में इसके सेवन की तुलना में न्यूनतम जोखिम वाला है। फिर भी, गर्भवती महिलाओं और संवेदनशील समूहों के लिए लंबे संपर्क से खतरा हो सकता है।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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