ग्राफिक एरा में पर्यावरणविद सचिदानंद भारती ने सिखाए पर्यावरण संरक्षण के गुर, बोले-पानी संरक्षित करोगे तो सुधरेगा पर्यावरण
कार्यशाला का शुभारंभ कुलपति प्रो. डॉ. नागराजा, अतिथि सचिदानंद भारती, प्रो. डॉ. दीपाली बंसल डीन इंजीनियरिंग, डॉ. देवेश प्रताप सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस मौके पर डॉ. देवेश प्रताप ने मुख्य अतिथि और सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया। कुलपति प्रो० नागराजा ने कार्यशाला के विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया की टेक्नोलॉजी में इनोवेशन की असल आवश्यकता आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में ऐसे कार्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रम समय समय पर आयोजित किये जाते रहते हैं।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता पर्यावरणविद सचिदानंद भारती ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में मुख्य कार्य पानी संरक्षण हैं। “पानी राखो आंदोलन” के प्रणेता भारती जी बताया की पहाड़ के सुदूर क्षेत्र में उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर 30 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े तालाब बनायें हैं। ऐसे तालाब बनाने से क्षेत्र में सूख रहे के पानी के प्राकृतिक स्रोत भी पुनः जीवित हो गए। क्षेत्र में तालाब बनाने से जंगलों में लग रही आग की समस्या का समाधान हुआ है। उनके कार्य को वर्ल्ड बैंक और सरकार द्वारा भी समय-समय पर सराहना की गई।
कार्यशाला में उपस्थित सभी प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उनके संबोधन से बहुत प्रभावित हुए और उनके इस अनोखे कार्य की सराहना की। भारती ने बताया की पानी के संरक्षण और उपलब्धता से कई रोजगारपरक कार्य किये जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नवाचार से तकनीकी विकास कर आर्थिक समृद्धि तो की ही जा सकती हैं और नवाचार से पर्यावरण संरक्षण कर सतत विकास भी हासिल किया जा सकता है।
कार्यशाला के संयोजन रमेश सिंह रावत ने बताया की यह कार्यशाला कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया स्टूडेंट ब्रांच और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग द्वारा पर्यावरण और जल संरक्षण हेतु नवाचार और टेक्नोलॉजी के उपयोग पर केंद्रित हैं। जिसमें इंजीनियरिंग के छात्र ऐसे सॉफ्टवेयर का विकास करें जिससे पर्यावरण और जल संरक्षण के कार्यों में मदद मिल सके।
शुभारंभ सत्र में कुलपति प्रो. डॉ. नागराजा, प्रो. डॉ. दीपाली बंसल डीन इंजीनियरिंग, डॉ. देवेश प्रताप हेड कंप्यूटर साइंस, रमेश सिंह रावत, सौरभ मिश्रा, युवराज जोशी, सोमेश्वर सिंह, शिवाशीष ढौंडियाल, नूर मोहम्मद सहित के कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ब्राँच के सदस्य और अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।