देहरादून में पेड़ों पर आरी चलाने से रोकने को पर्यावरण प्रेमी 23 जून को करेंगे पदयात्रा
1 min readउत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर जिस गति से पेड़ों का कटान हो रहा है, उसे लेकर अब पर्यावरण प्रेमी सड़कों पर उतरने लगे हैं। स्थिति ये है कि इस बार गर्मी के सीजन में तीन बार देहरादून का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंचा। ये भी एक रिकॉर्ड है। पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि अंधाधुंध पेड़ों के कटान के चलते देहरादून का पर्यावरण बिगड़ रहा है। इसके लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। पहले सहस्त्रधारा रोड पर दो हजार के करीब पेड़ों को काटा गया। अब देहरादून में दिलाराम बाजार से लेकर सेंट्रियो माल तक कैंट रोड पर 200 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव है। ऐसे में अब विरोध स्वरूप पर्यावरण बचाओ वॉक का आयोजन 23 जून को किया जाएगा। ये वॉक सुबह सात बजे दिलाराम चौक से शुरू हो कर सेंट्रियो मॉल तक होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तरांचल प्रेस क्लब में पर्यावरण प्रेमियों ने प्रेस वार्ता की और दून शहर के लोगों से आह्वान किया कि वे शहर की आवोहवा को बचाने के लिए इस वॉक में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सहस्त्रधारा रोड के चौड़ीकरण की तर्ज पर अब पेड़ों के कटान को रोक लगाने के लिए आवाज उठानी होगी। हालांकि, खलंगा में भी बड़े जलाशय के निर्माण के लिए दो हजार से ज्यादा पेड़ों को काटने का प्रस्ताव है। इसका भी विरोध हो रहा है। हर रविवार की सुबह भी गांधी पार्क में पर्यावरण प्रेमी जुटते हैं और दून के पर्यावरण को बचाने का संकल्प भी लेते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः उत्तराखंड में कट रहे जंगल, देहरादून का तापमान पहुंच रहा 43 के पार, गलती सुधार लो सरकार
पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि अगर हमें यह एहसास हो कि हरित आवरण का नुकसान और बढ़ता कंक्रीटीकरण शहरी ताप द्वीप प्रभाव को बढ़ा रहा है। देहरादून में 43°C तापमान की असहनीय स्थिति है। इसका कारण कंक्रीटीकरण है। पेड़ों का कटान पानी की कमी पैदा कर रहा है। साथ ही प्रदूषण को भी बढ़ा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा सरकार के ऐसे फैसले अदूरदर्शी हैं। दून अपनी अनूठी प्रकृति, अपनी यूएसपी खो रहा है। दून की प्रसिद्ध बासमती के ख़त्म हो चुकी है। लीची के बगीचे ख़त्म हो गए, जलस्रोत गंदे हो गए और उन पर अतिक्रमण हो गया। एक्सप्रेसवे और अधिक से अधिक सड़कों के लिए साल के जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि घर बैठे और ऑनलाइन सरकार की आलोचना करना, शिकायत करना और गलतियाँ ढूँढ़ने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। ऐसे में सड़क पर उतरकर अपनी ताकत का अहसास कराना होगा। साथ ही सरकार को ऐसी योजनाओं को वापस लेने के लिए मजबूर किया जाना जरूरी है। तभी देहरादून के पर्यावरण में सुधार होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रेस वार्ता में रवि चोपड़ा, हिमांशु अरोरा, विजय भट्ट, जगमोहन मेंदीरत्ता, रुचि, इरा चौहान, जया, तन्मय ममगाईं, चंदन सिंह नेगी, इंद्रेश नॉटियाल शामिल थे। संचालन जगमोहन मेंदीरत्ता ने किया।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
Kindly save trees and be stringent with the action.This summer conveyed enough lessons to people of Dehradun and of course whole country that plantation can only secure ourselves from chronic drought conditions global warming and poverty pollution etc I am willing to join this whistleblowing campaign.🙏🏻