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March 7, 2025

केंद्रीय बजट में आयकर छूट को कर्मचारियों ने बताया नाकाफी, कहा- आठवें वेतन आयोग के लागू होने पर नहीं मिलेगा फायदा

उत्तराखंड राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आज केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आयकर छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख किए जाने को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की। परिषद नेताओं ने इस छूट को कर्मचारियों के लिए नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग के लागू होने पर यह छूट नगण्य साबित हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता आरपी जोशी ने कहा कि आयकर में छूट ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित होगी। क्योंकि इस बार बजट में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिसने पहले जो लाभ मिलते थे, उन्हें सरकार ने हटा दिया। ऐसे में भले ही 12 लाख रुपये की छूट आंकड़ों में अच्छी दिखे, लेकिन इसका लाभ कर्मचारी तबके को नहीं होने वाला है। सबसे ज्यादा आयकर कर्मचारी तबका देता है। ऐसे में उन्हें राहत देने की बजाय छल किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा कि यह छूट नई कर व्यवस्था में की गई है। इसका अर्थ यह है कि पुरानी कर व्यवस्था के अनुरूप टैक्स देने वाले कार्मिकों को अब मजबूरन नई कर व्यवस्था को ही चुनना होगा। नई कर व्यवस्था में उसे पुरानी कर व्यवस्था में मिलने वाली होम लोन पर ब्याज की छूट, 80 सी की छूट, ट्यूशन फीस एवं अन्य कई तरह की छूट नहीं मिल पाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि अब कर्मचारी तबके को एक तरफ इनकम टैक्स और दूसरी तरफ महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। साथ ही यह छूट मात्र उन्हीं कार्मिकों को प्राप्त होगी, जिनका वेतन सालाना बारह लाख रुपये या इससे कम है। अन्यथा इस राशि से एक रुपये अधिक होने पर उन्हें निर्धारित दरों पर आयकर देना होगा। उचित होगा कि समस्त उन कार्मिकों को भी इस छूट का लाभ मिले, जिनकी आय बारह लाख रुपए से अधिक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए, साथ ही खबर वीडियो में देखिए)

वीडियो में देखिए समाचार

परिषद के प्रदेश महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने कहा कि स्लैब में जो आगामी वित्त वर्ष में टैक्स 4 लाख तक शून्य, 4 से 8 लाख तक 5% किया गया है, उसे 10 लाख तक शून्य, तत्पश्चात 10 से 15 तक 5%, 15 से 20 लाख तक 10% इस क्रम में किया जाता तो इसका वास्तविक लाभ कार्मिकों को मिल पाता ।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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