बिजलीकर्मियों की छह अक्टूबर से हड़ताल, दो और तीन अक्टूबर को भी ड्यूटी पर बुलाए कर्मचारी, दूसरे राज्यों से मांगे, सवाल-क्या वे गलियां और मोहल्लों से अवगत हैं

कहा तो ये भी जा रहा है कि हड़ताल से तीन दिन पहले यानी आज रविवार से ही राज्य की विद्युत व्यवस्था वैकल्पिक कार्मिकों के सुपुर्द होगी। इसके लिए बाकायदा ट्रायल किया जा रहा है। अब देखना ये है कि कर्मचारी हड़ताल वापस लेते हैं या फिर हर बार की तरह इस बार भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने शनिवार को सचिवालय में बैठक कर शासन, निगमों के आला अधिकारियों के साथ ही सभी जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तानों को अलर्ट मोड में रहने को कहा गया है। सभी विद्युत प्रतिष्ठानों पर पुलिस फोर्स तैनात रहेगी।
उत्तराखंड ऊर्जा निगम, जलविद्युत निगम और विद्युत पारेषण निगम में करीब 10 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें चार हजार नियमित और करीब छह हजार संविदा पर कार्यरत हैं। तीनों निगमों के अभियंता और कार्मिक उत्तराखंड विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले लंबे समय से आंदोलनरत हैं। बीते जुलाई माह में सरकार के साथ समझौते के बाद कार्मिकों ने हड़ताल स्थगित कर दी थी।
इस बीच कार्मिकों की 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत व शासन के अधिकारी कई दौर की वार्ता कर चुके हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। वार्ता से असंतुष्ट कार्मिक छह अक्टूबर से बेमियादी हड़ताल पर जाने की घोषणा कर चुके हैं। संयुक्त संघर्ष मोर्चा के रुख को देखकर अब सरकार ने तमाम कार्मिकों की छुट्टी पर रोक के आदेश जारी कर दिए।
शासन ने बिजली कार्मिकों की हड़ताल के मद्देनजर पड़ोसी राज्यों से मदद मांगी है। ऊर्जा सचिव सौजन्या ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शासन को पत्र लिख उत्तराखंड में हड़ताल के दौरान कर्मचारी मांगे हैं। उन्होंने लिखा है कि उत्तराखंड में अति आवश्यक सेवाओं में एस्मा लागू है और हड़ताल निषिद्ध है। ऐसे में यदि प्रदेश के कार्मिक हड़ताल पर जाते हैं तो ऊर्जा संबंधित कार्य प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में विद्युत उत्पादन, वितरण और पारेषण संबंधी कार्यों के संचालन को सोमवार तक कार्मिकों की उत्तराखंड में तैनाती सुनिश्चित कराएं। इसके अलावा पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया से भी मदद मांगी गई है।
छुट्टियों के दिन भी बुलाया, कर्मियों में रोष
हड़ताल के मद्देनजर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा निगम में कर्मचारियों को राष्ट्रीय अवकाश दो अक्टूबर को भी ड्यूटी पर बुलाया गया। वहीं, आज रविवार तीन अक्टूबर को भी ड्यूटी में उपस्थित रहने को कहा गया है। इसके कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। साथ ही उनका कहना है कि इतिहास में पहला अवसर है कि संसद की ओर से घोषित दो अक्टूबर के राष्ट्रीय अवकाश को भी नजरंदाज कर कार्यालय खोलने के आदेश दिए गए। ऊर्जा निगम के अधिकारी मानसिक रूप से आंदोलनकारियों को कमजोर करने की कोशिश में ऐसे आदेशों की झड़ी लगा रहे हैं। इसके उलट आंदोलन मजबूत हो रहा है और कर्मचारी हड़ताल के लिए अडिग हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।