हड़ताल स्थगित होने से बिजलीकर्मी नाराज, रात भर संगठन नेताओं पर निकाली भड़ास
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की सीएम पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद हड़ताल स्थगित होने पर बिजली कर्मचारियों के एक वर्ग में कड़ा आक्रोश है। इसे लेकर बिजली कर्मचारी नेताओं पर भड़ास निकाल रहे हैं।
गौरतलब है कि बिजली कर्मचारी पुरानी एसीपी व्यवस्था, पुरानी पेंशन बहाली, संविदा कर्मियों के नियमितीकण जैसी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। उन्होंने छह अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दी थी। बिजली कार्मिकों की हड़ताल को देखते हुए शासन ने भी तैयारी कर ली थी। विभिन्न विभागों के अधिकारियों को बिजली सब-स्टेशनों की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं, हड़ताल की स्थिति में वैकल्पिक सेवा के तौर पर दूसरे राज्यों के कर्मचारियों को मांगा गया, लेकिन कर्मियों ने उत्तराखंड में सेवाएं देने से मना कर दिया था।
हड़ताल के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को बनाने के लिए एनएसए (NSA) लागू कर दिया। जिलाधिकारियों को 31 दिसंबर तक एनएसए में शामिल शक्तियों के प्रयोग का भी अधिकार दे दिया गया है। एनएसए या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) वो कानून है, जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा में बाधा डालने वालों पर लगाम लगाई जा सकती है। राज्य की सरकार को अगर लगता है कि कोई भी कानून व्यवस्था में किसी तरह की परेशानी बन रहा है तो उसे एनएसए के तहत गिरफ्तारी का आदेश दिया जा सकता है। आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बनने पर भी एनएसए के तहत गिरफ्तार करवाया जा सकता है।
वहीं, मंगलवार को बिजली कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता हुई। उन्होंने बिजली कर्मियों की मांगों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लेने का आश्वासन दिया। इस पर मोर्चा ने आज बुधवार यानी छह अक्टूबर से प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित कर दिया। वार्ता में सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ ही ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव ऊर्जा सौजन्या, प्रबन्ध निदेशक दीपक रावत के साथ ही ऑल इंडिया फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दूबे, उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक, केहर सिंह, राकेश शर्मा, जेसी पंत, कार्तिकेय दुबे, पंकज सैनी, प्रदीप कंसल, विनोद कवि, नत्थू सिंह रवि, भगवती प्रसाद, डीसी ध्यानी, शैलेंद्र दुबे शामिल रहे।
यहां बिगड़ी बात
सूत्र बताते हैं कि वार्ता में उठा गए बिंदुओं और उस पर मिले आश्वासन का ड्राफ्ट तैयार किया गया। इस ड्राफ्ट को यूनियन नेताओं ने समस्त कर्मचारियों के ग्रुपों में डाला और बताया कि हड़ताल स्थगित हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट को देखकर बिजली कर्मी भड़क गए। ग्रुप में ही आरोप और प्रत्यारोप को दौर शुरू हो गया। जो मंगलवार की देर रात तक चलता रहा। कर्मचारियों का कहना था कि ड्राफ्ट में सिर्फ यूनियन नेताओं के ही हस्ताक्षर हैं। सीएम, मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के कोई हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि हमारी मांग पूरी होगी।
इस तरह निकाली भड़ास
सूत्रों के मुताबिक कई कर्मियों ने इस समझौते को कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक बताया। कहा कि हम प्रलोभन लेकर आए और सबको मूर्ख बनाया गया है। अब मामला टल जाएगा। क्योंकि अगले साल फरवरी या मार्च माह में चुनाव हैं और क्या गारंटी है कि तब ये ही सीएम रहेंगे। ऐसे में इनके आश्वासन का क्या लाभ। कर्मचारियों ने कहा कि बगैर किसी अंजाम के हड़ताल समाप्त करना बड़ी भूल है। वहीं, यूनियन के किसी नेता ने तर्क दिया कि हमें एनएसए और सभी की सहमति दोनों को ध्यान में रखकर समझना चाहिए। वहीं, एक सदस्य ने तो इसे साफ तौर पर गद्दारी कह दिया।
सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि चेट में एक नेता ने सफाई दी कि सिर्फ हड़ताल स्थगित हुई है आंदोलन नहीं। धीरज रखो, सबकुछ सही होगा। कई कर्मियों ने समझौता पत्र पर शासन की ओर से किसी के भी हस्ताक्षर न होने पर भी सवाल उठाए। वहीं एक सदस्य ने उपनल का मामला भी उठाया और कहा कि वो अपने शेयर नहीं नहीं देता है। ईपीएफ, मेडिकल, बीमा आदि में सारा पैसा कर्मचारी के वेतन से काटा जाता है। इस विषय पर कोई भी बात नहीं बनी। संविदा कर्मियों का ममला जस का तस लटका है। यदि विभाग वेतन देता तो उपनल को कमिशन के तौर पर कम से कम तीन हजार रुपये बचते।
सूत्रों ने बताया कि उधर यूनियन नेताओं की ओर से तर्क दिया गया है कि वे पूरी ईमानदारी के साथ कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में बोर्ड़ सचिव, चीफ इंजीनियर, अधिशासी अभियंता की ओर से मुकदमों को खुद ही झेला है। ऐसे में उनकी लड़ाई का फायदा सारे कर्मियों को मिला। समझाया गया कि पहले और अब की स्थिति में काफी अन्तर है। पहले अधिकारी हर पहलू को समझ कर वार्ता में सहमति देकर हाथों हाथ आदेश भी करते थे। अब के अधिकारी कानूनों का डर दिखा कर अपने माफ़िक़ समझौता करवाने का मादा रखते हैं। वहीं, कुछ कर्मियों का कहना था कि मैनेजमेंट ने अपना काम कर दिया। अब लड़ने से कोई फायदा नहीं है। आगे अपनी सेवाएं देते रहेंगे।
वार्ता के बिंदु
वर्तमान समय में कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त कार्मिकों की सेवाशर्तों में प्रतिकूल परिवर्तन न किये जाने के दृष्टिगत तीनों
निगमों में दिनांक 31-12-2016 तक लागू एसीपी की व्यवस्था सीधी भर्ती की नियुक्ति तिथि से प्रथम, द्वितीय, तृतीय क्रमशः 9 वर्ष, 14 वर्ष एवं 19 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर पूर्व में प्रचलित व अनुमन्य पे-मैट्रिक्स में (नॉन फंक्शनल वेतनमान की उपेक्षा करते हुए) दिनांक 01-01-2017 से भी यथावत अनुमन्य कराने के सम्बन्ध में शीघ्र आवश्यक कार्यवाही की जाए।
इस बिन्दु पर विस्तृत चर्चा हुई। मोर्चा द्वारा इस मांग पर जोर दिया गया। इस पर सीएम और ऊर्जा मंत्री ने इस बिन्दु पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेने का विश्वास दिलाया गया।
-वर्तमान तक नियुक्त सभी कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए। इस बिन्दु पर यह सहमति बनी कि शासन द्वारा गठित पेंशन उप समिति को यह बिन्दु रखा जाएगा। शासन द्वारा तत्काल संदर्भित किया जाएगा।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों को मा उच्च न्यायालय, नैनीताल एवं मा० औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी के निर्णयानुसार नियमित किया जाए तथा नियमितीकरण की कार्यवाही पूर्ण होने तक समान कार्य हेतु समान वेतन (महंगाई भत्ते सहित) दिया जाए। इस बिन्दु पर यह भी निर्णय लिया गया कि विशेष ऊर्जा भत्ता सभी उपनल के कार्मिकों को दिया जायेगा।
-नवनियुक्त सहायक अभियन्ताओं, अवर अभियन्ताओं एवं तकनीकी ग्रेड-द्वितीय को पूर्व की भाँति क्रमशः 3, 2 व 1 प्रारम्भिक वेतनवृद्धियों का लाभ देते हुए वेतनमान निर्गत किया जाए। इस बिन्दु पर उत्तर प्रदेश से सूचना प्राप्त करते हुए मार्गदर्शन के लिए मंत्रीमण्डल के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया जाएगा।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में सातवें वेतन आयोग के अनुसार कार्मिकों को अनुमन्य विभिन्न भत्तों का रिवीजन अभी तक नहीं हुआ है, इस विषय में तत्काल कार्यवाही की जाए। इस बिन्दु पर बोर्ड की सहमति बनी है और निर्देश निर्गत किये जा रहे हैं।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में निजीकरण की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अभियन्ता, अवर अभियन्ता एवं लेखा संवर्ग इत्यादि में कार्मिकों की नियमित भर्ती की जाए। अवगत कराया गया कि निजीकरण का कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता एवं रात्रि पालि भत्ता दिया जाए। इस बिन्दु पर रात्रि पालि भत्ता दिये जाने के आदेश निर्गत किये जा रहे हैं।
-ऊर्जा के तीनों निगमों में वर्षों से लम्बित TG-II से रिक्त अवर अभियन्ताओं के पदों पर अविलम्ब पदोन्नति की जाए। इस बिन्दु पर निगमों द्वारा कार्यवाही की गयी थी और आंशिक रूप से पदोन्नतियां भी की गयी हैं। मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्यवाही करके एक महीने के अन्दर कार्यवाही सम्पूर्ण करने के निर्देश दिये गये।
-यूजेवीएनएल में वर्ष 2019-20 हेतु उत्पादन बोनस, पिटकुल में 2018-19 एवं 2019-20 हेतु बोनस एवं उपाकालि में 2019-20 हेतु सभी कार्मिकों (नियमित/संविदा) को लाईन लॉसेस कम करने एवं लक्ष्य से ज्यादा राजस्व वसूली प्राप्त करने पर नियमित रूप से बोनस दिया जाए। इस बिन्दु पर यूजेवीएनएल एवं पिटकुल बोर्ड से अनुमति प्राप्त हो चुकी है एवं आदेश निर्गत किये जा रहे हैं।
-सीधी भर्ती में नियुक्त कार्मिकों को 31-12-2015 तक अनुमन्य वेतनमान / ग्रेड पे अनुमन्य किया जाय। अवर अभियन्ताओं का ग्रेड वेतन दिनांक 01-01-2006 से 4800 किया जाये। चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों को तृतीय समयबद्ध वेतनमान, अवर अभियन्ताओं के मूल वेतन 4600 पूर्व की भाँति दिया जाए। सहमति बनी कि तीनों बिन्दुओं पर वेतन पुनरीक्षण हेतु गठित समिति पर विचार हेतु प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
-01.01.2009 से अवर अभियन्ताओं को ग्रेड वेतन 4600 दिये जाने हेतु प्रस्ताव का परीक्षण शासन में भेजकर शीघ्र निर्णय लेने हेतु सहमति बनी।
-सम्पूर्ण सेवाकाल में एक बार पदोन्नति में शिथिलीकरण का लाभ दिया जाय। इस सम्बन्ध में बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया कि शासन द्वारा शिथिलिकरण स्थगित कर दिया गया है। शासन स्तर पर भविष्य में जो भी निर्णय लिया जायगा, उसके अनुरूप ही अग्रेत्तर कार्यवाही की जायगी।
-राज्य के तीनों ऊर्जा निगमों (उपाकालि/ यूजेवीएनएल/पिटकुल) का एकीकरण किया जाए। इस बिन्दु पर परीक्षण किया जायेगा।
-सेवा नियमावली में किसी भी संवर्ग की सेवा शर्त पूर्ववर्ती उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद की सेवा शर्तों से कमतर न हो। इस बिन्दु पर यह अवगत कराया गया कि नई सेवा नियमावली जो बन रही है, उसपर इसका ध्यान रखा जायेगा।
पढ़ें: सीएम से वार्ता के बाद उत्तराखंड के बिजलीकर्मियों की हड़ताल स्थगित, बिंदुवार पढ़िए वार्ता में क्या बनी सहमति
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।