उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है झटका, रेट बढ़ाने का प्रस्ताव, उद्योगों को छूट, आम उपभोक्ताओं से लूट
उत्तराखंड में एक बार फिर से बिजली उपभोक्ताओं को झटका लग सकता है। प्रदेश में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए निगम को महंगी दरों में बिजली खरीदनी पड़ रही है। इससे निगम को करीब 400 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।

फिर से रेट बढ़ाने की हो रही कसरत
सूत्र बताते हैं कि ऊर्जा निगम फिर से बिजली के रेट बढ़ाने की कसरत में जुट गया है। इसके लिए विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा जाएगा। सरकार ने निगम से कहा है कि प्रदेश में 24 घंटे निर्बाध बिजली की आपूर्ति की जाए। वहीं, गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ गई है। वहीं उपलब्धता कम है। ऐसे में निगम को महंगी दर में बाहर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। सूत्र बताते हैं कि ये खरीद 12 रुपये से लेकर 15 रुपये प्रति यूनिट तक के हिसाब से हो रही है। इसके विपरीत उपभोक्ताओं को औसतन चार रुपये में प्रति यूनिट बिजली दी जा रही है। ऐसे में ऊर्जा निगम को अब तक करीब 400 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।
घाटे को पूरा करने की कवायद
सूत्र बताते हैं कि ऊर्जा निगम घाटे को पूरा करने की कवायद के तहत अब रेट बढ़ाने का प्रस्ताव बना रहा है। साथ ही निगम सरकार को ये सुझाव भी दे सकता है कि यदि रेट नहीं बढ़ाए जाते तो उसे महंगी बिजली खरीद में जो घाटा हो रहा है, उस पर सब्सिडी दी जाए।
अप्रैल माह में भी बढ़ाए गए बिजली के रेट
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन, यूजेवीएनएल (UJVNL) और पिट्कुल ने नियामक आयोग से बिजली की दरों में बढ़ोतरी के लिए मौजूदा टैरिफ से 10 फीसदी के इजाफे की मांग रखी थी। इसके बाद नियामक आयोग ने अलग अलग जनसुनवाई के बाद फाइनल टैरिफ प्लान जारी कर दिया था। इस टैरिफ के अनुसार, पहली अप्रैल से प्रदेश में बीपीएल कन्जूमर पर 4 पैसा प्रति यूनिट बिजली में बढ़ोतरी की गई। इसके साथ ही सभी अन्य 9 श्रेणियों में आयोग ने बिजली के दामों को बढ़ाया गया। साथ ही नये कनेक्शन लगाने को लेकर भी आयोग ने दाम बढ़ाये हैं।
कमर्शियल उपभोक्ताओं पर बढ़ाया बोझ
पहली अप्रैल से एक तरफ जहां डोमेस्टिक कंज्यूमर पर प्रति यूनिट बिजली की दरों में 15 पैसे का इजाफा किया गया है, तो दूसरी तरफ कमर्शियल उपभोक्ताओं पर भी नियामक आयोग ने 16 पैसा प्रति यूनिट बढ़ोतरी की गई है। इंडस्ट्रीज पर आयोग ने 15 पैसे की बढ़ोतरी की साथ ही रेलवे पर 32 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है।
उद्योगों को क्यों दी जा रही है छूट
जानकारों का कहना है कि घाटे को पूरा करने के लिए आम उपभोक्ताओं के साथ ही छोटे दुकानदारों पर ही बोझ डाला जाता है। वहीं, 50 फीसद से ज्यादा बिजली की खपत उद्योगों में ही होती है। इसके बावजूद उद्योगों पर सरकार की मेहरबानी रहती है। एक तरह बिजली की मांग बढ़ रही है, वहीं उद्योगों को पीक आवर में छूट दी गई है। यहां इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि उद्योगों के लिए पहले शाम चार बजे से पूरी रात भर पीक आवर होता था। पीक आवर के दौरान यदि उद्योगों में काम चल रहा हो तो, उस दौरान बिजली के रेट ज्यादा हो जाते हैं। उद्योगों में ज्यादातार सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक लेबर काम करती है। यानी दो घंटे पीक आवर के दौरान उद्योगों में काम चलता था। सरकार ने उद्योगों को छूट दी और पीक आवर की अवधि को घटाकर कर उसे शाम छह बजे से कर दिया। ऐसे में उद्योगों को बिजली के उपभोग के लिए राहत दी गई है। वहीं, देखा जाए तो उत्तराखंड में दवाओं की फैक्ट्रियां भी काफी अधिक हैं। बाजार में दवाओं के दाम निरंतर बढ़ रहे हैं। इससे आमजन ही प्रभावित हो रहा है। वहीं, बिजली में ऐसी फैक्ट्रियां भी सरकार की छूट का फायदा उठा रही हैं। यदि हम दिसंबर 2021 के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में ऊर्जा निगम ने 9404.56 एमयू बिजली बेची है। इनमें उद्योगों को 4870.99 एमयू बिजली बेची गई है। अब खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम उपभोक्ताओं को बिजली कितनी मिल रही है और घाटा किससे पूरा होगा।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।