उत्तराखंड में बिजली के झटके, सर्दियों में भारी कटौती, याद आया एनडी तिवारी का शासनकाल, दावा- डिमांड बढ़ने से संकट
बिजली कटौती के ये हाल हैं कि राजधानी देहरादून में तो लोगों को पूर्व सीएम एनडी तिवारी का कार्यकाल याद आने लगा है। क्योंकि उनके कार्यकाल में गर्मियों के दौरान भी बिजली की नियमित आपूर्त होती रही। तब सर्दियों में बिजली की कटौती के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। वहीं, अब सर्दियों में पहली बार इतनी ज्यादा कटौती देखने को मिल रही है। हालांकि, ऊर्जा निगम के अधिकारियों से बात करो तो वह बार बार बिजली गुल करने का सही कारण नहीं बता पाते हैं। हालांकि, एक साल के भीतर सरकार तीन बार बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी कर चुकी है। इसके बावजूद सुविधा के नाम पर ढाक के तीन पात हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उद्योगों में भी भारी विद्युत कटौती
फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के प्रदेश कोओर्डिनेटर अनिल माहवाह और पवन अग्रवाल के मुताबिक, उद्योगों में भी भारी बिजली कटौती की जा रही है। इससे कम्पनियों में उत्पादन प्रभावित हो रहा है। साथ ही ऑर्डर की समय पर डिलीवरी भी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि निर्यात करने वाली इकाइयों के सामने डिलीवरी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि समय से नहीं की गई तो आर्डर के निरस्त होने का डर रहता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार व ऊर्जा निगम को समय रहते उचित प्रयास कर इस विद्युत संकट को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पेयजल आपूर्ति पर भी असर
राजधानी देहरादून में लोगों के घरों में जलापूर्ति ग्रेविटी की कुछ योजनाओं के साथ ही नलकूपों से की जाती है। बार बार बिजली कटौती से नलकूप नियमित नहीं भर रहे हैं। साथ ही पानी के टैंक तक भी पर्याप्त पानी नहीं चढ़ रहा है। ऐसे में देहरादून में सर्दियों में जहां पहले हाई प्रेशर में जलापूर्ति होती थी, वहीं इस बार कई इलाकों में पानी का संकट बना हुआ है।
मांग बढ़ने का किया जा रहा है कि दावा
प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही भारी बिजली संकट पैदा हो गया है। बिजली की प्रतिदिन मांग रिकॉर्ड 48 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है। भरपाई के लिए यूपीसीएल ने दो निदेशकों की टीम दिल्ली भेजी है जो कि एनटीपीसी से विशेष बिजली देने की मांग करेंगे। दरअसल, गैस व कोयले की कमी के चलते देशभर में बिजली की भारी कमी है। पिछले आठ दिनों में 250 मेगावाट ऑवर के मुकाबले 104 मेगावाट ऑवर बिजली ही बाजार में उपलब्ध हो पाई है। हालात यह हो गए हैं कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में किसी भी कीमत पर बिजली ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिल रही है महंगी बिजली
यूपीसीएल के मुताबिक, जो बिजली मिल भी रही है, वह 12 रुपये प्रति यूनिट की दर पर मिल मिल रही है। इतनी महंगी बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की बड़ी चुनौती बन गई है। इस वजह से यूपीसीएल ने ग्रामीण इलाकों में रोजाना तीन से पांच घंटे की बिजली कटौती शुरू कर दी है। हालांकि, ये कटौती कागजों में है। शहरी इलाकों में भी बार बार बिजली गुल हो रही है। ऐसे में लोगों के इनवर्टर तक चार्ज नहीं हो रहे हैं। ऊर्जा निगम प्रबंधन का कहना है कि अगर बिजली की किल्लत बढ़ती है और बाजार से उपलब्ध नहीं होती तो धीरे-धीरे कटौती को उद्योगों तक पहुंचाना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिकॉर्ड 48 एमयू तक पहुंची मांग
प्रदेश में ठंड के बीच बिजली की मांग रिकॉर्ड 48 मिलियन यूनिट (चार करोड़ 80 लाख यूनिट) तक पहुंच गई है, जबकि इसके मुकाबले यूपीसीएल को केंद्रीय व राज्य पूल से महज 35 से 37 मिलियन यूनिट बिजली ही मिल पा रही है। यूपीसीएल के सामने रोजाना आठ से दस मिलियन यूनिट बिजली खरीदना चुनौती बन गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो अधिकारी दिल्ली भेजे
यूपीसीएल ने बिजली किल्लत के बीच दो अधिकारियों को दिल्ली भेजा है। यह यूपीसीएल की चेयरमैन एवं अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का पत्र लेकर गए हैं। उत्तराखंड मांग कर रहा है कि एनटीपीसी से राज्य को विशेष बिजली उपलब्ध कराई जाए ताकि किल्लत से निजात पाई जा सके।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।