दो की लड़ाई में चुनाव चिह्न किया कैद, ना ठाकरे को मिला और ना ही शिंदे को, शिव सेना के इस्तेमाल पर भी रोक
शिवसेना के चुनाव चिह्न को लेकर टीम उद्धव और टीम शिंदे के बीच बीते कई महीनों से आपसी खींचतान चल रही थी। उद्धव ठाकरे जहां इसे अपने पिता की पार्टी बताकर इसपर अपना दावा कर रहे थे, वहीं सीएम एकनाथ शिंदे का कहना था कि लोकतंत्र में पार्टी उसी की होती है, जिसके पास बहुमत होता है। फिलहाल बहुमत का आंकड़ा हमारे पास है। अब चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद दोनों ही पक्ष पार्टी के नाम और चिह्न के इस्तेमाल से वंचित कर दिए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बता दें कि कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने टीम ठाकरे और टीम शिंदे से शिवसेना के चुनाव चिह्न पर उनके अधिकार के दावे को लेकर एक जवाब दाखिल करने कहा था। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना पार्टी पर अपने अधिकार का दावा करते हुए शुक्रवार को चुनाव आयोग में जवाब दाखिल किया था। इस जवाब में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र के मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे शिवसेना के अन्य बागी विधायकों के साथ मिलकर पहले ही अपनी स्वेच्छा से पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में वो पार्टी के चिह्न को लेकर अपने अधिकार की बात नहीं कर सकते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार उद्धव गुट ने 5 लाख से ज्यादा पार्टी पदाधिकारियों और सदस्यों के समर्थन वाला एक हलफनामा भी दाखिल किया है। ठागरे गुट के वकील का कहना था कि अभी तक 2.5 मिल चुके हैं, जबकि अन्य 3 लाख हलफनामों को मुंबई में सेना भवन में तैयार किया जा रहा है। इन सभी को अगले सप्ताह तक दर्ज किए जाने की योजना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बता दें कि इससे पहले अंधेरी पूर्व में होने वाले उपचुनाव को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को शिवसेना के चुनाव निशान धनुष और बाण पर दावा करने के लिए चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखी थी। हालांकि, अंधेरी सीट पर सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से इस सीट पर भाजपा चुनाव लड़ेगी। शिंदे ने कहा था कि शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट चुनाव आयोग के किसी भी निर्णय के अभाव में चुनाव चिह्न का उपयोग कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में शिंदे गुट ने कहा था कि महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए चुनाव चिह्न के इस विवाद का जल्द निपटारा होना आवश्यक है। क्योंकि उद्धव ठाकरे गुट अपने उम्मीदवारों के लिए SSPP के चिह्न पर दावा करेगा। शिंदे, जो असली सेना होने का दावा करते हैं। उन्होंने धनुष और तीर के प्रतीक के साथ पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत का दावा किया था। मामला अब चुनाव आयोग के पास लंबित है। पार्टी जून में विभाजित हो गई थी, जब शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। उन पर बाल ठाकरे को धोखा देने और सेना की विचारधारा को कमजोर करने का आरोप लगाया।