पनौती पर राहुल गांधी को चुनाव आयोग का नोटिस, मूर्खों का सरदार सुनाई नहीं पड़ा
वाह रे चुनाव आयोग। देश की जनता सब देख रही है। एक तरफा कार्रवाई करना कोई तुमसे सीखे। नियम नियम हैं। चाहे वे राजा के लिए हों या फिर आम आदमी के लिए। आपको क्या फर्क पड़ता आपने तो एक तरफ कार्रवाई करनी है। एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी चुनावी जनसभा में राहुल गांधी को मूर्खों का सरदार बोलते हैं, लेकिन आपको सुनाई नहीं पड़ता। वहीं पीएम मोदी को राहुल गांधी ने पनौती बोला तो नोटिस भेजने में देरी नहीं लगाई। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हैं। पनौती शब्द जैसी कोई भी चीज को हम तव्वजो नहीं देते हैं। ना ही इसका समर्थन करते हैं कि कोई राजनेता भाषाई मर्यादा तोड़े। मर्यादा तो दोनों तरफ से तोड़ी जा रही है। फिर एकपक्षीय कार्रवाई क्यों। वहीं, सवाल ये भी है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी को भी नोटिस भेजोगे कि उन्होंने मूर्खों का सरदार किसे बोला। हालांकि, हम पुरानी बातों को नहीं उठा रहे हैं, जिसमें पीएम मोदी जर्सी गाय, सौ करोड़ की गर्लफ्रेंड, कांग्रेस की विधवा आदि शब्दों का विरोधियों को निशाने में लेने के लिए इस्तेमाल कर चुके हैं। वहीं, इन राजनीतिक बयानबाजी पर ताली बजाने वाली जनता भी आपके ही चश्में से देखने लगी है। यानि पीएम बोलें तो ठीक, लेकिन विपक्ष का नेता बोले तो गाली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खबर से है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा है। राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान ‘पनौती’ शब्द के प्रयोग को लेकर बीजेपी ने चुनाव आयोग से उनकी शिकायत की थी। बीजेपी की शिकायत पर अब चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता को नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता को जवाब के लिए शनिवार तक का समय दिया है। बीजेपी की तरफ से की गयी शिकायत के अनुसार राहुल गांधी ने एक सभा में पीएम मोदी पर हमला करते हुए ‘पनौती’, ‘जेबकतरे’ और कर्ज माफी संबंधी टिप्पणी की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब यहां सवाल ये भी उठता है कि राहुल ने तो जेबकतरा बोला, वहीं एक चुनावी जनसभा में पीएम मोदी ने 70 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप एनसीपी पर लगाया था। इस भाषण के तीसरे दिन ही एनसीपी के कई नेताओं को बीजेपी और शिवसेना की गठबंधन की शिंदे सरकार में शामिल कर लिया गया। इनमें पाला बदल में ऐसे नेता भी शामिल थे, जिनकी जांच ईडी और सीबीआई कर रही थी। खैर इन बातों से अब जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता है। राहुल गांधी को पप्पू बोलने वालों पर जब पनौती शब्द का पलटवार हुआ तो बिलबिलाने लगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बुधवार को भारतीय जनता पार्टी ने निर्वाचन आयोग से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था। बीजेपी की तरफ से दिए गए ज्ञापन में कहा गया था कि इनके ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए अन्यथा, इस तरह के बयान चुनावी माहौल को खराब कर देगा और इससे सम्मानित व्यक्तियों को बदनाम करने के लिए अपशब्दों, आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल और झूठी खबरों को रोकना मुश्किल हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी ने इंदिरा गांधी को लेकर भी साधा था निशाना
ताली एक हाथ से नहीं बजती है। जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे। या फिर कहें क्रिया की प्रतिक्रिया। शुरुआत बीजेपी से हुई, लेकिन जब कांग्रेस ने पलटवार किया तो सबको परेशानी होने लगी। बीजेपी ने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और गृह मंत्री बूटा सिंह राष्ट्रीय राजधानी में 1982 एशियाड हॉकी फाइनल देखने गए थे, जिसमें भारत पाकिस्तान से 7-1 से हार गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के पिछड़ने के बाद वे मैच बीच में ही छोड़कर चले गए थे। उन्होंने दावा किया कि यह टीम का अपमान था और इंदिरा गांधी के आचरण ने खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पनौती मोदी कहने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की और उनकी टिप्पणी को शर्मनाक एवं अपमानजनक करार देते हुए उनसे माफी की मांग की थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री के बारे में गांधी की टिप्पणी शर्मनाक, निंदनीय और अपमानजनक है।
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