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March 11, 2025

पीएम के दौरे से पहले तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास, देवस्थानम विधेयक की उच्च स्तरीय समिति में नौ सदस्य नामित, शासनादेश जारी

अब पीएम नरेंद्र मोदी के पांच नवंबर को केदारनाथ दौरे से पहले तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा थामने के भी प्रयास शुरू हो गए हैं। तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं।

अब पीएम नरेंद्र मोदी के पांच नवंबर को केदारनाथ दौरे से पहले तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा थामने के भी प्रयास शुरू हो गए हैं। तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सरकार ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय समिति देवस्थानम विधेयक में उत्तराखंड शासन की ओर से उत्तराखंड के चारधामों से नौ तीर्थपुरोहितों, हक हकूकधारियों, विद्वतजनों और जाधकारों को नामित कर दिया गया है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन की ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि देवस्थानम बोर्ड पर हक हकूकधारियों के सुझाव सहमति विचार विमर्श के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद एवं श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चके मनोहर कांत ध्यानी को अध्यक्ष मनोनीत कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। आज धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी शासनादेश में चारों धामों से नौ सदस्य नामित किए गए हैं।
इसके तहत श्री बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री एडवोकेट ( ऋषिकेश), रवीन्द्र पुजारी एडवोकेट (कर्णप्रयाग- चमोली), केदारनाथ से विनोद शुक्ला, लक्ष्मी नारायण जुगडान, गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल, रवीन्द्र सेमवाल, यमुनोत्री धाम से पुरुषोत्तम उनियाल, राजस्वरूप उनियाल नामित हुए है।
शासनादेश में कहा गया है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानय प्रबंधन बोर्ड के समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के उपरांत संस्तुति के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति में उपरोक्त सदस्यों को नामित किया गया है। अनु सचिव प्रेम सिंह राणा ने बताया कि हरिचंद सेमवाल सचिव धर्मस्व -तीर्थाटन एवं धार्मिक मेला अनुभाग द्वारा आज सदस्यों के नामित किये जाने का शासनादेश जारी हुआ है।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरा है। ऐसे में यदि रिपोर्ट पर बवाल होता है तो दिक्कत हो सकती है। इससे ऐन पहले अब नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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