देहरादून में धू धू कर जले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले, धार्मिक आयोजन को भी बना दिया राजनीतिक अखाड़ा

हर साल सत्य की असत्य पर जीत के पर्व के रूप में दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में देशभर में विभिन्न संस्थाओं और संगठनों की ओर से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। ज्यादातर शहरों में सबसे बड़े मैदान में हर साल इसका आयोजन किया जाता है। इसके अलावा गली और मोहल्लों में भी ऐसे आयोजन होते हैं। ऐसे कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि होते हैं, जो ज्यादातर सत्ताधारी दल से जुड़े रहते हैं। यहां तक तो ठीक है, लेकिन दशहरा मेला देखने को जुटी हजारों की संख्या में भीड़ को संबोधित करने की परंपरा शायद पहले कभी देहरादून में किसी ने ना देखी हो। अब इस परंपरा को भी तोड़ दिया गया। देहरादून में परेड मैदान में आयोजित दशहरा मेला में मुख्यमंत्री धामी ने खूब गला साफ किया। सीएम के भाषण देने के लिए मंच बनाया गया। ऐसे में दशहरा मेला भी राजनीति का अखाड़ा नजर आया। भीड़ देखकर सीएम धामी भी खुद को रोक नहीं पाए। क्योंकि इससे अच्छा अवसर राजनीति का कोई दूसरा नजर नहीं आया। वहीं, भीड़ में ऐसे भी लोग थे, जो इस तरह के कार्यक्रम को देखकर निराश नजर आए। उनका कहना था कि ऐसे पर्व सभी विचारधारा के लोगों के होते हैं। इसे राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि, रामलीलाओं में ऐसे आयोजन होते हैं, लेकिन दशहरा मेला में भी अब ऐसी परंपरा शरू हो गई। रामलीलाओं का हश्र क्या हुआ, ये जगजाहिर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा यह पर्व रावण जैसे अहंकारी और अधर्मी के अंत और भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन के गुणों का स्मरण कराता है। सच्चाई, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलकर हमेशा बुराई पर अच्छाई की ही जीत होती है। उन्होने कहा अहंकार में रावण और उसकी लंका जलकर खाक हो गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि दशहरे त्योहार पर हम सभी को अपने अंदर की बुराइयों का त्याग कर सत्य, धर्म और मानवता की राह पर चलने का संकल्प भी लेना है। उन्होने कहा भगवान राम ऐसे आदर्श व्यक्ति हैं जो त्याग, समर्पण, न्याय, करुणा और कर्तव्य के प्रतीक के रूप में पूजे जातें हैं। एक राजकुमार होते हुए भी उन्होंने जंगल में जीवन बिताया, कई कठिनाइयों का सामना किया और अपनी सेना का गठन कर लंका पर विजय प्राप्त की। उनका आदर्श जीवन हमें विपरीत परिस्थितियो में भी अपने सिद्धांतों और वचनों का पालन करना सिखाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में कई ऐसे स्थान हैं जो भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी से संबंधित घटनाओं के साक्षी रहे हैं। भगवान हनुमान, चमोली जिले के द्रोणागिरी पर्वत से ही संजीवनी लेकर आए थे।भगवान श्रीराम के कुल गुरू वशिष्ठ जी की तपस्थली भी ऋषिकेश में स्थित है। उन्होंने कहा राज्य के कोने-कोने में राम लीलाएं होती हैं। हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का संरक्षण ही हमें एकजुट और सशक्त बनाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कर सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा अयोध्या की पावन भूमि पर जल्द ही राज्य सरकार उत्तराखंड राज्य अतिथि गृह का निर्माण करने जा रही है। राज्य सरकार ने पौलगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का नाम बदलकर माँ सीता के नाम पर “सीतावनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी” रखा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा राज्य सरकार उत्तराखंड के देव स्वरूप को सुरक्षित बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होने कहा कि राज्य में किसी भी प्रकार से डेमोग्राफी चेंज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस पवित्र भूमि का सनातन स्वरूप सदा के लिए सुरक्षित रहेगा और उत्तराखंड का पवित्रता, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत, सदैव संरक्षित रहेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, विधायक खजान दास , विधायक सविता कपूर, संतोष नागपाल, गगन सेठी, नेहा जोशी, पुनीत मित्तल, अशोक वर्मा एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।