नवीन परिदृश्य में शिक्षाः बदलते परिवेश में दृष्टिकोण एवं सहायक तत्व
हमारी शिक्षा नीति/प्रक्रियाओं का सुधार एवं आधुनिक विश्व के साथ संबद्धता लंबे समय से ज्वलंत विषय है। यह सही ही तो है, अयथा हमारी नीतयां पुरानी पड़ जाएगीं। हम पिछड़ जाना स्वीकार नह कर सकते। क्योंकि हमारी भावी पीढ़ उन निर्देशों एवं निर्णयों पर आधारित है, जो हम आज लेते हैं। एक दीर्घकालीन योजना एवम् उचित पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन अब समय क मांग है।
कल्पना कीजिए यदि हम अपने मस्तिष्क की तेज स्मृति और डेटा प्रसंस्करण क्षमता को तर्क और परिश्रम से व्यवहारिक रूप से अपनाएंगे। अनंतः हम यही चेष्टा तो कर रहे हैं। स्वमूल्यांकन, जीवन के न्यूनतम आयाम की पहचान करना एवम अपनी सभी इंद्रियों प्रभावी रूप से मानव विकास में लगाना, इन सभी उद्देश्यों को प्राप्त करना इस पर निर्भर करेगा कि हम सकल जड़ अवस्था को कैसे संभालते हैं।
सहयोगी परियोजना में सहभागिता, अधिकतम, अधिगम के लिए छात्रों का छोटा समूह, करके-सीखना, जीवंत उदाहरण से सीखना, प्रकृति से सीखना, आनंद से सीखना इत्यादि कुछ अनंत विषय हैं जो कि समग्र एवं प्रगतीशील अधिगम पर्यावरण के लिए अपनाए जा सकते हैं। इस वृहद परिवर्तन के लिए दृढ़ निश्चय ही मूल समाधान है। मानव के पास ढलने एवं प्रगतिशील मार्ग बनाने की गजब की क्षमता होती है।
भारत आज एक ऐसे मोड़ पर है, जहां उसके पास शैक्षिक सुधार को अपनाने और एक लंबी छलांग लगाने का अवसर है। तकनीक इस न्यूनतम मिसाल का प्रबंधन करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाएगा। ये विचार शिक्षा के क्षेत्रव में मेरे लंबे शिक्षण अनुभव, विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों से बातचीत, मेरे जीवन के क्षेत्रों के विभिन्न भातृत्वों में हिस्सा लेना और शैक्षिक क्षेत्रों की यात्रा में अनुभवों पर आधारित है।
कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
प्रवक्ता अर्थशास्त्र
राजकीय इंटर कॉलेज बुरांखंडा, रायपुर देहरादून उत्तराखंड
मो०- 9412138258
email- kamleshwarb@gmail.com