पूर्व सीएम हरीश रावत के करीबी राजीव जैन के ठिकानों पर ईडी के छापे, ऐसे धुल सकते हैं आरोप
ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग को लेकर अब पूरे देश में ये धारणा बन चुकी है कि ज्यादातर कार्रवाई विपक्षी खेमे पर ही होती है। एक जनसभा में पीएम नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में एनसीपी के नेता अजीत पवार को लेकर 70 हजार करोड़ के घोटाले की बात करते हैं, फिर इस भाषण के कुछ ही दिन बाद अजीत पवार बीजेपी और शिवसेना शिंदे के गठबंधन की सरकार में शामिल हो जाते हैं। साथ ही एनसीपी को भी तोड़ देते हैं। इसके बाद उनकी वाशिंग मशीन में धुलाई होती है और वे पाकसाफ हो जाते हैं। अब ईडी की छापेमारी का ताजा मामला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सामने आया है। मंगलवार को ईडी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी और कांग्रेस नेता व बिजनेसमैन राजीव जैन के घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की। पहले हम अजीत पवार का किस्सा बताएंगे। फिर राजीव जैन की बात करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बार तो मिला जबरदस्त फायदा
हाल ही में महाराष्ट्र के चुनाव में अजीत पवार को अच्छी खासी सीट हासिल हुई और बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्हें आयकर विभाग (Income Tax Department) ने भी क्लीन चिट दे दी। आयकर विभाग ने अजित पवार की जब्त की गई संपत्ति को रिलीज कर दिया है। दिल्ली में बेनामी ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेश पर संपत्ति जारी की गई है। आयकर विभाग ने अजित पवार के बेटे पार्थ पवार और पत्नी सुमित्रा पवार की भी संपत्ति आयकर विभाग ने जब्त कर ली थी। ये संपत्ति करीब एक हजार करोड़ की थी। अब संपत्ति अदालत के आदेश के अनुसार रिलीज कर दी गई है। दरअसल 7 अक्टूबर 2021 में अजित पवार की कई संपत्तियों पर आयकर विभाग ने छापा मारकर उन्हें जब्त कर लिया था। अब अजीत पवार बीजेपी की वाशिंग मशीन में जाकर ऐसे धुले की सारे आरोपों के दाग धुल गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजीव जैन के घर 18 गाड़ियों में पहुंची ईडी की टीम
देहरादून के चमन विहार में कांग्रेस नेता व प्रॉपर्टी डीलर राजीव जैन के घर में ईडी ने आज मंगलवार को छापा मारा। करीब 18 गाड़ियों में ईडी और सीआईएसएफ की टीम राजीव जैन के घर पहुंची। सुबह चार बजे से राजीव जैन के घर पर ईडी की कार्रवाई शुरू की गई। बताया जा रहा है कि कार्रवाई के दौरान करोड़ों की जमीन के दस्तावेज और कुछ नकदी भी बरामद हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बन सकता है करोड़ों की मनी लॉंड्रिंग का मामला
राजीव जैन पूर्व सीएम हरीश रावत के करीबी रहे हैं। जानकारी के अनुसार राजीव जैन पर करोड़ों के धन शोधन का मामला भी बन सकता है। छापेमारी के दौरान बैंकिंग से जुड़े दस्तावेजों की जांच की गई। देहरादून के थाना पटेल नगर क्षेत्र का यह पूरा मामला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजीव जैन के बारे में
राजीव जैन कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं। वह प्रॉपर्टी डीलिंग से जुड़े रहे हैं। साथ ही उनका फर्नीचर का शो रूम भी है। कांग्रेस में वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खेमे के नेता माने जाते हैं। जब हरीश रावत सीएम थे तो कई बार राजीव जैन ही खुद उनकी कार को ड्राइव करते थे। हरीश रावत सरकार के दौरान 2014 में राजीव जैन को मीडिया कॉर्डिनेटर बनाया गया था। अक्टूबर 2016 में वे सीएम के सलाहकार बनाए गए थे। इस प्रकार उन्हें पूर्व सीएम के करीबियों के तौर पर जाना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिल्ली के छह ठिकानों में भी पहुंची ईडी
ईडी की टीम राजीव जैन के छह ठिकानों पर छापा मार रही है। राजीव जैन के संबंधियों के घरों पर भी ईडी की टीम की जांच चल रही है। इसके अलावा दिल्ली के ठिकाने पर भी भी छापा मारा जा रहा है। ईडी की ओर से तमाम इलाकों पर जुड़े मामले में सर्च ऑपरशन चल रहा है। देहरादून, दिल्ली के अलावा अन्य इलाकों में छापा पड़ने की सूचना आ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ईडी की कार्रवाई और सजा दिलाने का अनुपात
बता दें कि एफएटीएफ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रवर्तन निदेशालय ने साल 2023 में 4163 मामलों की जांच की, लेकिन सिर्फ 28 को ही सजा दिला सकी। इस रिपोर्ट में कहा गया है साल 2023 में ईडी को 6 लाख 50 हजार संदिग्ध लेन-देन और ट्रांजेक्शन की जानकारी मिली थी, लेकिन, सिर्फ 4 हजार 163 मामलों की जांच शुरू हुई और उसमें 28 को सजा मिली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी में लगते हैं ये आरोप
जांच एसेंसियां ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग पर आरोप लगते रहे हैं कि इन एजेंसियों की कार्रवाई विपक्षी नेताओं पर ही होती है। सत्ताधारी दल के नेताओं पर ईडी की नजर नहीं पड़ती है। देहरादून में भी ऐसे नेताओं की लंबी लिस्ट हो सकती है, जो बीजेपी नेता हैं और कुछ ही समय में अथाह संपत्ति अर्जित कर चुके हैं। हो सकता है कि ऐसे नेता कांग्रेस या दूसरे दल में भी हों, लेकिन कार्रवाई हमेशा विपक्षी नेताओं पर होने से जनता भी जागने लगी है। एक दिन भंडाफोड़ या तो ये ही एजेंसी करेंगी या फिर जनता करेगी। यदि बाद व्यापक स्तर पर की जाए तो अडानी प्रकरण में अमेरिका में केस दर्ज होता है, लेकिन ईडी ने भारत में इसकी जांच करने की जहमत तक नहीं उठाई। इसमें भी ऐसे मामले बहुत ज्यादा हैं, जिनमें ईडी के जाल में फंसने के बाद लोगों ने बीजेपी ज्वाइन की। इसके बाद उनके केस या तो ठंडे बस्ते में डाल दिए गए या फिर उन्हें बरी कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में राजीव जैन के लिए रास्ता
राजनीति के एक्सपर्ट लोगों का कहना है कि यदि राजीव जैन बीजेपी में शामिल हो जाते हैं, तो हो सकता है कि वे इस कोप से बच जाएं। क्योंकि मनी लॉंड्रिंग के केस में यदि गिरफ्तारी हुई तो जल्दी से जमानत तक मिलने की उम्मीद नहीं है। वैसे प्रोपर्टी डीलर के धंधे या बड़े बिजनेस करने वाले बीजेपी के नेताओं की उत्तराखंड में बहुत बड़ी लिस्ट है। इनमें शायद की किसी के घर कभी ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग की टीम पहुंची हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महाराष्ट्र का उदाहरण
NCP नेता प्रफुल्ल पटेल इसके जीते-जागते उदाहरण हैं। भाजपा ने उन पर अरबों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया। जब वे NCP को तोड़कर भाजपा के साथ गए तो उनके सारे दाग साफ हो गए। असम के CM हिमंता सरमा की भी कुछ यही कहानी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेता जिन पर लगे आरोप
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा: गुवाहाटी में जलापूर्ति घोटाले में आरोपी। भाजपा ने पहले उनके खिलाफ एक श्वेत पत्र निकाला था। बीजेपी में जाने के बाद उनकी जांच का क्या हुआ, ये किसी को पता नहीं है।
नारायण राणे: इनके खिलाफ CBI/ED ने कई मामले दर्ज किए हैं। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने भी बीजेपी के आगे सरेंडर कर दिया। फिर चैन की सांस ले रहे हैं।
अजित पवार: पीएम मोदी ने एनसीपी के खिलाफ 70,000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया। ED ने सतारा के जरांदेश्वर चीनी मिल की 2010 में धोखे से हुई बिक्री में चार्जशीट दाखिल की। फिलहाल उन्हें भी राहत है। साथ ही बीजेपी गठबंधन की सरकार में डिप्टी सीएम हैं।
हसन मुश्रीफ: ED हसन मुश्रीफ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले और कोल्हापुर स्थित चीनी मिल, संताजी घोरपड़ेशुगर फैक्ट्री में गड़बड़ियों की जांच कर रही है। फैक्ट्री मुश्रीफ का परिवार चलाता है। NCP से अलग होने के बाद बीजेपी गठबंधन में शामिल होने के बाद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
छगन भुजबल: 2016 में ED ने महाराष्ट्र सदन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में छगन भुजबल को गिरफ्तार किया था। उन्हें 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। हालांकि एनसीपी से अलग होकर बीजेपी गठबंधन में शामिल होने के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भुजबल, उनके रिश्तेदारों और फर्मों के खिलाफ बेनामी संपत्ति मामले में कार्रवाई भी बंद हो गई है।
अशोक चव्हाण: भाजपा ने उन पर आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले का आरोप लगाया और उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से इस मामले में कुछ भी आगे नहीं बढ़ा है। (ये कुछ उदाहरण हैं, लिस्ट बहुत लंबी है।)
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।