तीन मिनट के अंतराल में दो बार भूकंप के तेज झटकों डोली जम्मू कश्मीर की धरती, दहशत में लोग
सोमवार की रात जम्मू कश्मीर में भूकंप के तेज झटकों से लोग दहशत में आ गए। हालांकि कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। सिस्मोलॉजी डिपार्टमेंट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र कटरा से 63 किलोमीटर दूरी पर धरती के 5 किलोमीटर नीचे था। इससे पहले शनिवार को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। शुक्रवार को भी उत्तराखंड के बागेश्वर में भूकंप आया था।
आज सोमवार 11 जनवरी की शाम करीब सात बजकर 29 मिनट पर जम्मू कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस दौरान भूकंप की तीव्रता 3.8 मापी गई। पहले झटके के दौरान ही लोग घरों से बाहर निकल गए थे कि तीन मिनट बाद सात बजकर 32 मिनट पर जोरदार झटके महसूस किए गए। इस बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्कैल पर 5.1 मापी गई।
भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग घरों से बाहर निकल आए। 5.1 तीव्रता का भूकंप बड़ा भूकंप माना जाता है। इससे घरों को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि, जम्मू में अभी तक किसी तरह के नुकसान के समाचार नहीं मिले हैं।
शनिवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी और हिमाचल में आए थे दो भूकंप
शनिवार नौ जनवरी के दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए तो रात को सीमावर्ती राज्य हिमाचल प्रदेश के कई इलाके भूकंप से दहल उठे। हिमाचल में आए भूकंप की तीव्रता भी 4.2 थी। इससे लोग सहम गए और घरों से बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के अनुसार, रात करीब 8.22 बजे आए भूकंप का केंद्र कांगड़ा की करेरी लेक रही। भूकंप से जान माल के नुकसान की कोई खबर तो नहीं है, लेकिन तेज झटकों के चलते लोग दहशत से घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र कनेरी में 10 किलोमीटर की गहराई में था।
इसी दिन उत्तरकाशी जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि इससे भी कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर आया। इसका केंद्र उत्तरकाशी जिले में भटवाड़ी ब्लॉक के गोरशाली गांव में जमीन से करीब दस किलोमीटर भीतर था। रिक्टर स्कैल में इसकी तीव्रता 3.3 आंकी गई है। भूकंप के झटके महसूस होने के बाद लोग घरों से निकल गए। दो दिन में दो भूकंप आने से लोगों में दहशत भी है।
आठ जनवरी को बागेश्वर में आया था भूकंप
शुक्रवार को आठ जनवरी की सुबह 10 बजकर पांच मिनट पर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसका केंद्र बागेश्वर में जमीन के भीतर दस किलोमीटर था। वहीं रिक्टर स्कैल पर इसकी तीव्रता 3.3 आंकी गई है। बताया जा रहा है कि करीब 15 सेकंड तक लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। फिलहाल दोनो भूकंप से कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली जिले में अमूमन भूकंप आते रहते हैं।
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।
भूकंप आने पर करें ये काम-
– भूकंप के वक्त अगर आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं।
– किसी मजबूत मेज या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढक लें।
– भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें। झटके खत्म होने पर ही घर से बाहर निकलें।
– भूकंप के समय अगर आप बिस्तर पर हैं तो लेटे रहें और तकिए से सिर ढक लें।
– भूकंप के दौरान आप के ऊपर मलबा गिर रहा है तो चेहरो को फौरन किसी कपड़े से ढंके लें।
– भूकंप के दौरान अगर आप घर से बाहर हैं तो खुली जगह पर चले जाएं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।