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September 30, 2025

आधी रात के बाद भूकंप से डोली उत्तराखंड की धरती, भारत-नेपाल सीमा था केंद्र

बुधवार की रात 12 बजे के बाद जब पहाड़ के लोग गहरी नींद में थे, तो ऐसे में पिथौरागढ़ क्षेत्र में भूकंप के झटकों ने लोगों को जगा दिया।

उत्तराखंड में यूं तो भूकंप के झटके आते रहते हैं, लेकिन भारत नेपाल सीमा पर पिथौरागढ़ के इलाकों में अक्सर इन झटकों को महसूस किया जाता रहा है। बुधवार की रात 12 बजे के बाद जब पहाड़ के लोग गहरी नींद में थे, तो ऐसे में पिथौरागढ़ क्षेत्र में भूकंप के झटकों ने कई लोगों को जगा दिया। बुधवार की आधी रात के बाद और गुरुवार शुरू होते ही 12 बजकर 38 मिनट 21 सेकंड पर भूकंप का तेज झटका पिथौरागढ़ और आसपास के क्षेत्र में महसूस किया गया। अधिकांश लोगों के नींद में होने से इसका आभास नहीं हुआ। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 4.1 मैग्नीट्यूट थी। इसका केंद्र भारत-नेपाल सीमा थी। भूकंप की गहराई 10 किमी बताई जा रही है। पिथौरागढ़ जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी के मुताबिक, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है।
भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तरकाशी और चमोली में आ चुके हैं बड़े भूकंप
उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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