नेपाल में आया भूकंप, उत्तराखंड, दिल्ली एनसीआर सहित हिली पूरे भारत की धरती, 129 की मौत, एक हजार लोग घायल
शुक्रवार तीन नवंबर की रात नेपाल में आए भूकंप के तेज झटके भारत के उत्तराखंड से लेकर दिल्ली एनसीआर तक भी महसूस किए गए। इस भूकंप में अब तक 129 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालांकि, उत्तराखंड में कहीं नुकसान की सूचना नहीं है। जब भूकंप के झटके भारत के विभिन्न हिस्सों में महसूस किए गए तो लोग घरों से बाहर निकल गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) ने जानकारी देते हुए बताया कि भूकंप का केंद्र नेपाल में अयोध्या से लगभग 227 किलोमीटर उत्तर और काठमांडू से 331 किलोमीटर पश्चिम उत्तर-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई में था।भूकंप रात 11 बजकर 32 मिनट 54 सेकेंड पर आया। भूकंप का केंद्र नेपाल में 10 किलोमीटर की गहराई में था। इसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.4 मापी गई है। भूकंप का आक्षांस 28.84 और देशांतर 82.19 था। इसकी गहराई जमीन से करीब पांच किलोमीटर नीचे थी। भूकंप से करीब 129 लोगों की मौत और एक हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। नेपाल सरकार के प्रवक्ता के मुताबकि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रभावित इलाकों का आज शनिवार चार नवंबर 2023 को दौरा करने वाले हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके बाद दो और भूकंप के झटके
इस बड़े झटके के बाद नेपाल में चार नवंबर की रात 12 बजकर 54 मिनट 51 सेकेंड पर भूकंप का दूसरा झटका महसूस किया गया। इसकी तीव्रता 3.5 थी। यही नहीं तड़के चार बजकर एक मिनट 36 सेकेंड पर भी नेपाल में 3.8 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का पहला झटका इतना तेज था कि उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके आने से लोग घबरा गए और घरों से बाहर आ गए। भूकंप के झटके बिहार में भी महसूस किए गए। जिसके चलते ऊंची इमारतों में रहने वाले कई लोग बाहर निकल आए। पश्चिमी नेपाल में भीषण भूकंप से अब तक 129 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। भूकंप से कई घर ध्वस्त हो गए हैं। नेपाली अधिकारियों ने पुष्टि की है कि रुकुम पश्चिम में 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो हुई है, जबकि जाजरकोट जिले में 90 से अधिक लोगों की जान गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दहल उठी कई राज्यों की धरती
उत्तर भारत के कई इलाकों में महसूस किए गए। भूकंप के झटके उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बस्ती, बाराबंकी, फिरोजाबाद, अमेठी, गोंडा, प्रतापगढ़, भदोही, बहराइच, गोरखपुर और देवरिया जिलों में भी महसूस किए गए। झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी भूकंप के झटके महसूस हुए। वहीं, हरियाणा में भी देर रात भूकंप के झटके महसूस हुए। मध्य प्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सतना और रीवा में रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।