नेपाल में आया भूकंप, पिथौरागढ़ में भी महसूस किए गए झटके
उत्तराखंड में कुमाऊं की धरती एक बार फिर से डोल गई। नेपाल में 16 अक्टूबर की पूर्वाह्न करीब 11 बजकर 40 मिनट पर चार तीव्रता का भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का आक्षांस 29.86 और देशांतर 80.61 था। इसकी गहराई जमीन से करीब पांच किलोमीटर नीचे थी। नेपाल में भूकंप का केंद्र होने के कारण आसपास के इलाकों के साथ ही भारत के पिथौरागढ़ और कुमाऊं के कई हिस्सों में लोगों ने झटके महसूस किए। हालांकि, अभी किसी नुकसान की सूचना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि रविवार की शाम को दिल्ली एनसीआर के साथ ही गुरुग्राम और नोएडा सहित कई हिस्सों में लोगों ने इन झटकों को महसूस किया था। भूकंप का ये झटका रविवार 15 अक्टूबर की शाम चार बजकर आठ मिनट पर महसूस किया गया। इसकी तीव्रता 3.1 थी। इसका केंद्र हरियाणा के फरीदाबाद के आसपास था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।