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November 13, 2024

नेपाल में आया भूंकप का तेज झटका, उत्तराखंड सहित दिल्ली एनसीआर की धरती डोली

मंगलवार 24 जनवरी की दोपहर नेपाल में भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया। इसका असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला। उत्तराखंड सहित, यूपी के रामपुर, दिल्ली एनसीआर सहित अन्य आसपास के इलाकों में लोगों ने भूकंप का झटका महसूस किया। हालांकि, भारत में कहीं किसी नुकसान की कोई सूचना नहीं है। इससे पहले रविवार 22 जनवरी की सुबह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 3.8 मेग्नीट्यूड का भूकंप आया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंगलवार 24 जनवरी की दोपहर दो बजकर 28 मिनट पर नेपाल में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने भूकंप का आक्षांस 29.41 और देशांतर 81.68 था। भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था। यह भूकंप न सिर्फ उत्तराखंड में महसूस किया गया, बल्कि दिल्ली-एनसीआर, यूपी के रामपुर में भी महसूस किया गया है। भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। नैनीताल जिले के हल्द्वानी, लालकुंआ सहित आसपास के इलाकों में तेज झटके महसूस किए गए।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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