पहले फिल्मों में दिखते थे, अब पुलिसकर्मी दौड़ाएंगे सेल्फ बैलेंसिंग स्कूटर, जानिए कैसे काम करता है ये स्कूटर
उत्तराखंड में पुलिस ने स्मार्ट पुलिसिंग की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है। पर्यटकों एवं स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरिद्वार में पुलिस सेल्फ बैलेंसिंग स्कूटर से गश्त करेगी। नगर के पैदल रास्तों, गंगा घाटों एवं भीड़भाड़ वाले इलाकों में आसानी से निगरानी कर सकेंगे। ऐसे स्कूटर पहले हम फिल्मों में देखते थे, लेकिन अब उत्तराखंड पुलिस भी इनमें दौड़ती नजर आएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज शुक्रवार दो फरवरी को उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने पुलिस मुख्यालय से हरी झंडी दिखाकर चार सेल्फ बैलेंसिंग इलेक्ट्रिक स्कूटर को हरिद्वार के लिए रवाना किया। उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक की ओर से उत्तराखण्ड पुलिस को ये चार सेल्फ बैलेंसिंग इलेक्ट्रिक स्कूटर सौंपे गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि संकरी गलियों में आसानी से चलने की क्षमता रखने वाले यह स्कूटर भीड़ प्रबंधन में मदद करेंगे। साथ ही यह इलेक्ट्रिक स्कूटर पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। हरिद्वार के 08 कर्मियों को इन सेल्फ बैलेंसिंग इलेक्ट्रिक स्कूटरों को चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। भविष्य में मसूरी मॉल रोड़, देहरादून पलटन बाजार में भी इनका उपयोग किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सेल्फ बैलेंसिंग इलेक्ट्रिक स्कूटरों को चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके 08 कर्मियों को पुलिस महानिदेशक की ओर से प्रशस्ति पत्र भी दिए गए। इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन अमित सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था ए पी अंशुमान, पुलिस महानिरीक्षक पी/एम नीलेश आन्नद भरणे, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक से सुयश आन्नद, सन्तोष रंजन सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे काम करता है सेल्फ-बैलेंसिंग स्कूटर
स्कूटर में सेल्फ-बैलेंसिंग बोर्ड्स का इस्तेमाल किया गया है। इसके फ्रेम्स सेंटर में लगातार सक्रिय रहते हैं। इलेक्ट्रिक मोटर और सेंसर जो स्पीड और स्कूटर के झुकाव के एंगल्स को सेंस कर लेते हैं। इन सेंसर का इस्तेमाल दोनों पहियों में किया जाता है। वाहन निर्माता कंपनी ने इस स्कूटर में बैलेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जो कि बेसिकली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड तकनीक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तकनीक के पीछे जायरोस्कोपिक प्रिंसिपल ऑफ फिजिक्स का इस्तेमाल किया गया है। इससे ये स्कूटर स्थिर रहते हुए भी सेंसर की मदद से अपनी जगह पर खड़ी रहती है। स्कूटर को सेंसर के जरिए यह डाटा मिलता है कि वह किस स्थिति में है और कैसे इसे संतुलित बनाया जाए। इसका फायदा है कि आपको भारी ट्रैफिक में भी पांव टिकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।