नाटकः दिन में सीएम का स्वागत, शाम को भड़के, अगले दिन हड़ताल, फिर मुकदमा, आज सचिवालय ने घुसने नहीं दिया तो सड़क पर धरना
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यदि आपको नाटक देखना या पढ़ना हो तो इस खबर को पढ़ लीजिए। सोमवार की दोपहर को सचिवालय कर्मी सीएम पुष्कर सिंह धामी का स्वागत करते हैं। इस स्वागत का प्रेस नोट सरकार जारी करती है। इसी दिन कैबिनेट की बैठक होती है और उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाता। इस पर कर्मचारी बिगड़ जाते हैं।
विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कर्मियों की हड़ताल दूसरे दिन बुधवार आठ दिसंबर को भी जारी रही। हड़ताली कर्मियों को पुलिस ने सचिवालय में प्रवेश करने से रोका तो वे सचिवालय के बाहर ही सड़क पर धरने पर बैठ गए। वहीं, मंगलवार की रात को कोतवाली नगर में हड़ताली कर्मियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया। साथ ही मुख्य सचिव आदेश जारी करते हुए नो वर्क नो पे को लागू कर दिया है। साथ ही हड़तालियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
सचिवालय कर्मियों के मुताबिक वे अपनी मांगों को लेकर लगातार सचिवालय कर्मी सरकार और सीएम से वार्ता कर रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं होने दिया। इससे गुस्साए कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। इसके बाद शासन हड़ताली सचिवालय कर्मियों पर मुकदमे भी दर्ज कर दिए गए। वहीं उन्हें आज सचिवालय में अंदर घुसने से भी रोका गया। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने साफ तौर पर कहा कि मुख्यमंत्री को गुमराह किया गया। मुख्यमंत्री को ऐसा कागज पकड़ा दिया गया, जो मांगे पहले ही पूरी हो चुकी हैं।
दरअसल, विभिन्न मांगों पर सकारात्मक रुख के बाद सोमवार को दिन में सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अभिनंदन किया था। कैबिनेट की बैठक में भत्ते सहित किसी भी मांग के न आने के बाद सचिवालय संघ में आक्रोश पनप गया। रात को ही संघ ने बैठक कर हड़ताल की घोषणा कर दी। मंगलवार सुबह से अनुभागों के सभी कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर चले गए। कई अनुभागों में ताले लटक गए। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने सचिवालय परिसर स्थित एटीएम चौक पर आम सभा बुलाई। सभा में उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक अभिनंदन देखा है, अब आंदोलन देखेगी।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
कोतवाली नगर की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार, सात दिसंबर को सचिवालय परिसर में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बिना अनुमति के एकत्रित होकर / विधि विरुद्ध जमाव कर सचिवालय में कार्यरत कर्मचारी एव अधिकारी गणों को जबरन बल पूर्वक बाहर निकल कर उन्हें सरकारी कार्य करने से रोका तथा अन्य शासकीय कार्यो में व्यवधान उत्पन किया। कर्मचारियों / अधिकारियों को उनके कार्यालय में प्रवेश को बाधित किया। साथ ही सचिवालय के कर्मचारियों/ अधिकारियों के विरुद्ध आपत्ति जनक शब्दो का प्रयोग किया गया। सचिवालय स्थित एटीएम चौक पर एकत्रित होकर मार्ग भी अवरुद्ध किया गया । इस घटना के संबंध में थाना कोतवाली नगर देहरादून पर मु0 अ0 स0 534/2021 धारा 143/ 147/186/323/323/353/504/341 ipc बनाम अज्ञात पंजीकृत किया गया है। इसकी विवेचना जारी है।
हड़ताल पर सरकार का सख्त रुख
दूसरी ओर, सरकार ने इस हड़ताल पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने सभी प्रमुख सचिव, सचिव, सचिव प्रभारी, विभागाध्यक्ष, कार्यालयअध्यक्ष, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, वरिष्ठ कोषाधिकारी के नाम एक आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया है कि सभी तरह के प्रदर्शन, हड़ताल पर काम नहीं तो वेतन नहीं का फार्मूला लागू होगा। जो भी हड़ताल करेगा, उसे अनुपस्थित अवधि का वेतन नहीं दिया जाएगा। उसका विवरण संबंधित विभागाध्यक्ष को आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध कराना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी विभागाध्यक्ष के अधीनस्थ कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति की कड़ाई से जांच की जाएगी। अगर कोई कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के बाद काम नहीं करेगा तो उसे हड़ताल में शामिल मानकर कार्रवाई की जाएगी। हड़ताल अवधि को बाद में किसी भी दशा में उपार्जित अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश के रूप में समायोजित नहीं किया जाएगा। इस अवधि को संबंधित कर्मचारी की सेवा में व्यवधान माना जाएगा। अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर कार्मिक को सामान्य रूप से अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा। हड़ताल की अवधि में जो भी कर्मचारी काम पर आएंगे, उन्हें पूर्ण सुरक्षा दी जाएगी। मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को चेताया है कि अगर इसमें कोई भी लापरवाही की गई तो संबंधित विभागाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
सचिवालय एससी-एसटी कार्मिक संघ हुआ अलग
उत्तराखंड सचिवालय एससी-एसटी कार्मिक संघ ने खुद को उत्तराखंड सचिवालय संघ के आंदोलन से अलग कर लिया है। कार्मिक संघ ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा कि चूंकि सचिवालय संघ के आंदोलन की मांगों में उनसे जुड़ी मांगें शामिल नहीं हैं, इसलिए वह इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। लिहाजा, उन्हें इससे माना जाए।
सचिवालय कर्मियों की मांगे
– सचिवालय भत्ता जो कि अब तक ग्रेड पे पर 50 फीसदी है, इसे बदलकर मूल वेतन पर 10 फीसदी किया जाए।
– चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ग्रेड पे को बढ़ाने की मांग।
– सचिवालय संघ में सबसे बड़ा प्रभाव समीक्षा अधिकारियों का है। लिहाजा, पांच वर्ष अनुभव वाले समीक्षा अधिकारियों के 4800 ग्रेड-पे को बढ़ाने की मांग।
– राज्य संपत्ति विभाग के वाहन चालकों को सचिवालय प्रशासन में सम्मलित करने की मांग।
– सचिवालय सुरक्षा कर्मियों को पुलिस सैलरी स्लैब से अगले वेतन की मांग।
– पुरानी पेंशन मामले पर भी कर्मचारियों की मांग।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।