नोरसेल यूनाइटेड किगंडम के संस्थापक डॉ. सोहन जीता ने सिखाई शोधपत्र लिखने की बारीकियां
देहरादून में कन्या गुरुकुल महाविद्यालय परिसर के मनोविज्ञान विभाग में नोरसेल यूनाइटेड किगंडम के संस्थापक व निदेशक डॉ. सोहन जीता के विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस दौरान उन्होने छात्राओं को शोध पत्र लिखने की बारीकियों को बताया। उन्होंने बताया कि शोध पत्र लिखने के लिए विचार कैसे बनाएं और उन्हे प्रकाशित कैसे किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सोहन जीता ने बताया कि शोध पत्र के लिए सबसे पहले समस्या का चयन किया जाता है। यह विचार अलग-अलग दृश्टिकोण से किया जाना चाहिये, जो परिकल्पना एक दृष्टिकोण से सही होती है। वहीं, दूसरे दृष्टिकोण से अलग हो सकती है। शोधाथिर्यो को विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यप्रणाली को अपनाना चाहिए। साथ ही वैज्ञानिक सोच रखनी चाहिये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि एक अच्छा शोधपत्र लिखने के लिए शोधार्थी को वैज्ञानिक शोध पत्रों, पत्रिकाओं और अखबार आदि को नियमित तौर पर पढ़ना चाहिये। शोधार्थी को रचनात्मक और आलोचनात्मक तरीके से सोचना चाहिये। प्रोफेसर जीता ने शोधार्थियों को बताया कि शोध पत्र कई प्रकार के होते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होने मुख्य रूप से तीन प्रकार के शोध पत्रों के बारे में बताया। परिणामों की व्याख्या करना, परिकल्पना शोध पत्र और समीक्षा शोध पत्र के बारे में उन्होंने बारीकी से चर्चा की। साथ ही कहा कि शोध पत्र लिखने का आधार सामान्य विचार धारा, प्रकाषित शोध पत्र, समाज के व्यक्तियों में वैज्ञानिक विचारधारा हो सकता है। शोध जरनल दो प्रकार के हो सकते हैं। एक प्रतिष्ठित जर्नल और दूसरा प्रिडेटरी जरनल। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रो. सोहन जीता ने विघार्थियों से शोध पत्र लिखने के चरणों को भी साझाा किया। कहा कि शोधार्थियों को शोध क्लब बनाना चाहिए। साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारो मे भाग लेना चाहिए। व्याख्या सुनने के लिए विभाग की लगभग 60 छात्रायें और विभिन्न विभागों की 20 शोधार्थी उपस्थित थे। इस मौके पर एसजीआरआर पीजी कॉलेज देहरादून के रसायन विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. आनन्द कुमार भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन और संयोजन डॉ. ऋचा सक्सेना और विभाग प्रभारी डॉ. सुनीता रानी ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।