डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-तन्हाई में

तन्हाई में
तन्हाइ मे मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ।
अंधियारों से मेरा जोड़ के नाता
चाँदनी से छा जाते क्यों ।
दिल तो मेरा ही है लेकिन
उसमें धड़कन से बस जाते क्यों ?
तनहाइ में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ?
मेरी आखों में अश्कों से ढल
चुपके -चुपके बह जाते क्यों?
सोऊँ या जागूँ मैं जब भी
हर ओर नजर तुम आते क्यों ?
तन्हाइ में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ?
देख के आइना मैं सोचूँ,
मुझे नजर तुम आते क्यों ?
इन्द्रजाल की माया से,
अक्सर मुझको भरमाते क्यों ?
तन्हाई में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ?
जब भी सोचूँ मिल गए मुझे
अक्सर गायब हो जाते क्यों ?
तन्हाइ में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों …
कवयित्री का परिचय
डॉ पुष्पा खण्डूरी
डी.लिट, एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।