Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 5, 2025

डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-तन्हाई में

डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-तन्हाई में।

तन्हाई में
तन्हाइ मे मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ।
अंधियारों से मेरा जोड़ के नाता
चाँदनी से छा जाते क्यों ।
दिल तो मेरा ही है लेकिन
उसमें धड़कन से बस जाते क्यों ?
तनहाइ में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ?
मेरी आखों में अश्कों से ढल
चुपके -चुपके बह जाते क्यों?
सोऊँ या जागूँ मैं जब भी
हर ओर नजर तुम आते क्यों ?
तन्हाइ में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ?
देख के आइना मैं सोचूँ,
मुझे नजर तुम आते क्यों ?
इन्द्रजाल की माया से,
अक्सर मुझको भरमाते क्यों ?
तन्हाई में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों ?
जब भी सोचूँ मिल गए मुझे
अक्सर गायब हो जाते क्यों ?
तन्हाइ में मेरी आ आकर
तुम दिल में शोर मचाते क्यों …

कवयित्री का परिचय
डॉ पुष्पा खण्डूरी
डी.लिट, एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *