दहेज उत्पीड़नः दो बच्चों के साथ तीन सगी बहनों ने किया अपना अंत, दो थी गर्भवती, फेसबुक में लिखा-हम जा रहे हैं अब खुश रहना
इससे पहले ये महिलाएं घर से गायब हो गई थी। लापता हुई तीन सगी बहनों में से एक मृतका ने मरने से पहले अपने मोबाइल पर दो स्टेटस लगाए थे। इनमें मृतका ने लिखा: मरना नहीं चाहते, लेकिन ऐसे जीने से मरना अच्छा है। मृतका के स्टेटस सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। लापता तीनों बहनेां और उनके दो बच्चों के शव शनिवार सुबह घर से दो किलोमीटर दूर नरैना रोड पर एक खेत में बने कुएं में मिले हैं।
मृतक महिलाओं के चचेरे भाई हेमराज मीणा ने कहा कि मेरी बहनों को दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किया जाता था। वे 25 मई को लापता हो गई थीं। हम उन्हें खोजने के लिए दर-दर भटकते थे। हमने स्थानीय पुलिस स्टेशन और महिला हेल्पलाइन में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग में भी फरियाद की थी, लेकिन हमें मदद नहीं मिली।
हालांकि, महिलाओं ने सुसाइड नोट नहीं छोड़ा, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने सबसे छोटी बहन कमलेश का व्हाट्स एप स्टेटस साझा किया है। इसमें उसने कहा है कि-हम अभी जा रहे हैं, खुश रहें, हमारी मृत्यु का कारण हमारे ससुराल वाले हैं, हर दिन मरने से बेहतर है कि एक बार ही मर जाएं। उसने आगे लिखा कि इसलिए हमने एक साथ मरने का फैसला किया है। हमारे अगले जीवन में हम एक साथ पैदा होंगे। हम मरना नहीं चाहते, लेकिन हमारे ससुराल वाले हमें परेशान करते हैं और हमारी मौत में मेरे माता-पिता का दोष नहीं है।
महिलाएं बाजार जाने के नाम पर घर से निकली थीं। उनके लापता होने के 4 दिन बाद पुलिस ने शनिवार सुबह दूदू गांव के एक कुएं से सभी 3 पीड़ितों और दो बच्चों के शव को बरामद कर लिया है। पुलिस सूत्रों ने बताया है कि पीड़िता के पति और ससुराल वालों के खिलाफ क्रूरता सहित अन्य अपराधों में मामला दर्ज किया गया है और अब मूल प्राथमिकी में दहेज हत्या का मामला जोड़ा जाएगा। पुलिस हत्या के मामले में तीनों महिलाओं के पतियों, सास और परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ कर रही है। राजस्थान में महिला कार्यकर्ताओं ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा है कि राजस्थान को ऐसे मामले पर शर्म से सिर झुकाना चाहिए। महिला कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के शव बरामद करने में 4 दिन का समय लेने वाली पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।