21 मार्च को एम्स में मनेगा डाउन सिंड्रोम दिवस, जिज्ञासा समाधान को वर्चुअल जुड़ सकते हैं आप, जानिए इस बीमारी के लक्षण
एम्स ऋषिकेश परिवार 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के अवसर पर संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में आम लोगों से जुड़ने व उन्हें इस बीमारी को लेकर जागरुक करने के उद्देश्य से गूगल मीट का आयोजन करेगा। जिसके माध्यम से सभी लोग इससे जुड़ सकते हैं। इसमें लोग अपनी समस्याओं से अवगत करा सकते हैं। साथ ही अपने अनुभव साझा कर सकते हैं।
संस्थान के बाल चिकित्सा विभाग के बालरोग विशेष डा. प्रशांत कुमार वर्मा ने बताया कि संस्थान के बालरोग विभाग में डाउन सिंड्रोम बीमारी का समुचित उपचार एवं सभी तरह के परीक्षण संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसमें हार्मोंस संबंधी जटिलताओं, गर्भस्त शिशु के दिल की बनावट में खराबी, आंखों में मोतियाबिंद की जानकारी, गर्भावस्था में ही भ्रुण की अवस्था में डाउन सिंड्रोम बीमारी से जुड़ी आनुवांशिक समस्याओं की समग्र जांच एवं इलाज आदि शामिल है।
एम्स द्वारा इस दिवस पर आयोजित गूगल मीट के माध्यम से आप अपने किसी भी तरह की कला हुनर जैसे चित्रकला, गीत, नृत्य, चुटकुले आदि सामग्री हमें भेज सकते हैं। जिसमें सबसे उत्कृष्ट रचना को संस्थान की ओर से पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। गूगल मीट की जानकारी व पंजीकरण के लिए downsyndaiims2021@gmail.com मेल एड्रस अथवा फोन-वाट्सएप नंबर 8332007530 पर संपर्क किया जा सकता है। डाउन सिंड्रोम का कारण सामान्यरूप से शिशु 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है। 23 क्रोमोसोम का एक सेट शिशु अपने पिता से और 23 क्रोमोसोम का एकसेट अपनी मां से ग्रहण करता है। जब माता या पिता का एक अतिरिक्त 21 वां क्रोमोसोम शिशु में आ जाता है, तब डाउन सिंड्रोम होता है।
डाउन सिंड्रोम का जोखिम कारक
यदि कोई महिला 35 साल की उम्र के बाद गर्भवती होती है और उसका पहला बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होता है। अथवा मां या पिता डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हों, तो उनकी संतान इससे ग्रसित हो सकती है।
डाउन सिंड्रोम का लक्षण
चेहरे के फ्लैट फीचर, सिर का छोटा आकार, गर्दन छोटी रह जाना, छोटा मुहं और उभरी हुई जीभ, मांसपेशियां कमजोर रह जाना, दोनों पैर के अंगुठों के बीच अंतर, चौड़ा हाथ और छोटी ऊंगलियां, वजन और लंबाई औसत से कम होना, बुद्धि का स्तर सामान्य से काफी कम होना, समय से पहले बुढ़ापा आना, अंदरूनी अंग की खराबी, हृदय, आंत, कान या श्वास संबंधी समस्याएं आदि हो सकते हैं।
ऐसे लगाएं डाउन सिंड्रोम का पता
प्रेग्नेंसी के दौरान, एक स्क्रीनिंग टेस्ट (ड्यूलटेस्ट, क्वाड्रिपल, अल्ट्रासोनोग्राफी ) और (एमनिओसेंटेसिस) नामक डायग्नोस्टिक टेस्ट किया जाता है। जिसमें इस बीमारी का पता लगाया जाता है। साथ ही डिलिवरी के बाद आपके बच्चे का एक ब्लड सैंपल लिया जा सकता है। जिसमें 21वें क्रोमोजोम की जांच की जाती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।