उत्तराखंड के धामों में चंदा घोटाला, किसके खाते में जा रही दान की राशि-पता नहीं, कांग्रेस ने हाथोहाथ लपका मुद्दा
उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध धाम बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर परिसर में पेटीएम से दान देने के बोर्ड लगने से एक नया घोटाला उजागर होने लगा है। रविवार को धामों में चढ़ावा चढ़ाने के लिए पेटीएम के माध्यम से ऑनलाइन किए जाने का मामला विवादों में आ गया था। मंदिर समिति ने बिना जानकारी के यह व्यवस्था किए जाने पर आपत्ति जताते हुए जगह-जगह लगाए गए पेटीएम बोर्ड हटवाए तथा थाने में तहरीर देकर कार्रवाई को भी कहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्यूआरकोड से दान करने की अपील
बदरीनाथ धाम में मंदिर के आस पास व आस्था पथ पर तीन से अधिक स्थानों में पेटीएम से दान के बोर्ड लगाए गए थे। इसी तरह के बोर्ड केदारनाथ धाम में भी लगाए जाने की चर्चा है। बकायदा इसमें क्यूआर कोड भी लगाया गया था। इससे ऑनलाइन दान किए जाने को लेकर श्रद्धालु को प्रेरित किया जा रहा था। स्थानीय लोगों ने पेटीएम द्वारा दान को लेकर आपत्ति जताई थी। जिस पर मंदिर समिति ने तत्काल संज्ञान लेते हुए बोर्डों को हटवा दिया। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बिना बोर्ड व मंदिर समिति की सहमति से पेटीएम से दान के बोर्ड लगाए गए थे, जिन्हें हटा दिए गए तथा बदरीनाथ थाने में तहरीर देकर ऐसा कृत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को कहा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आखिर किसने लगाए बोर्ड
अब सवाल ये है कि ये बोर्ड आखिर किसने लगाए और किसके खाते में दान की राशि जा रही है। ये गंभीर मामला है और इसकी जांच में कई सफेदपोश भी आ सकते हैं। बदरी-केदार धाम परिसर में डिजिटल दान के लिए पेटीएम के क्यूआर कोड किसने लगाए, अब इसका पता लगाने का पुलिस प्रयास कर रही है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की जांच में यह स्पष्ट किया गया है कि समिति की तरफ से धामों में कहीं भी ऐसे क्यूआर कोड नहीं लगाए गए हैं। समिति ने पुलिस को इस संबंध में तहरीर देकर ऐसा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस ने शुरू की मामले में जांच
मंदिर समिति की तरफ से मिले शिकायती पत्र में कहा गया कि कि क्यूआर कोड किसने लगाया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। अब, पुलिस के स्तर पर पूरे प्रकरण को परत दर परत खंगाला जाएगा। यह देखा जाएगा कि क्यूआर कोड किसके नाम पर पंजीकृत है और किसके बैंक खाते में धनराशि जमा हो रही है। साथ ही क्यूआर कोड किसने लगाया, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आंतरिक रूप से भी हो रही पड़ताल
बदरीनाथ व केदारनाथ में क्यूआर कोड बोर्ड लगाने के बारे में मंदिर समिति को कोई जानकारी नहीं दी गई। पेटीएम के साथ 2017 में किन शर्तों पर अनुबंध किया गया और अब तक ऑनलाइन से कितना चंदा मिला है, इसकी जांच की जाएगी। पुलिस को अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दे दी गई है। साथ ही प्रशासन से भी जांच में सहयोग मांगा है। मामला गंभीर है, जिसकी आंतरिक रूप से भी जांच की जा रही है। पिछले साल भी केदारनाथ मंदिर में क्यूआर कोड लगा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के मंदिरों में क्यूआर कोड लगाकर डोनेशन मांगे जाने के मामले में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। बदरीनाथ–केदारनाथ मंदिर समिति की वेबसाइट पर मौजूद खाता और क्यूआर कोड वाला अकाउंट दोनों ही समिति के नाम पर हैं, लेकिन दोनों अकाउंट अलग अलग पैन नंबर से लिंक हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मंदिर समिति के नाम पर दो पैन नंबर कैसे हो सकते हैं। बैंक खाता पैन नंबर AAETS8361E और मंदिरों में लगाए गए क्यूआर कोड में दर्ज खाता पैन नंबर AAAGU0772Q से लिंक है। नियम के मुताबिक किसी व्यक्ति या संस्था के पास एक से अधिक पैन नंबर नहीं हो सकते। समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड कांग्रेस ने बताया शर्मनाक, सरकार से पूछे सवाल
केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में पेटीएम स्केनर या क्यूआर कोड के प्रकरण को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस ने हाथोंहाथ इस मुद्दे को लपक लिया। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरीमा मेहरा दसौनी ने कहा कि ये मामला बेहद शर्मनाक है, जिसने राष्ट्रीय पटल पर उत्तराखंड को शर्मसार कर दिया। दसौनी ने कहा कि कपाट खुलने से पहले से ही क्यूआर कोड वहां विद्यमान था, यह बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्वयं स्वीकार किया है, ऐसे में क्या बीकेटीसी समिति की कोई जवाबदेही या जिम्मेदारी तय होगी या नहीं ? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की समिति का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि यह किसने लगाया। दोनों ही सूरत में बीकेटीसी उत्तराखंड की गुनाहगार है। साथ ही 80 करोड़ हिंदू सनातन धर्म की आस्था पर कुठाराघात करने के लिए उसे ना सिर्फ क्षमा मांगनी चाहिए, बल्कि अध्यक्ष को अपने पद से तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। अगर यह क्यूआर कोड बीकेटीसी ने पेटीएम से लगवाया है तो यह सीधे-सीधे श्रद्धालुओं के साथ लूट है।र यदि नहीं तो ऐसे में चार धाम यात्रा उत्तराखंड सरकार ने जिस बीकेटीसी को सौंप रखा था, उसकी जिम्मेदारी थी की वह हर चप्पे पर नजर बनाए रखे। उसकी लापरवाही और कोताही की सजा निश्चित रूप से उसे मिलनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि पूरे प्रकरण में हतप्रभ करने वाली बात यह है कि पुलिस के आला अधिकारी ट्वीट करते हैं कि अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ बीकेटीसी ने एफआईआर दर्ज कराई है और कुछ ही समय बाद उस ट्वीट को डिलीट कर देते हैं। पेटीएम कंपनी जिसने क्यू आर कोड बद्रीनाथ और केदारनाथ में लगाया है, खुद स्वीकार कर रही है कि स्कैनर उसने लगाया है। ऐसे में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने का क्या औचित्य है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं दूसरी ओर दसौनी ने आरोप लगाया की एक तरफ पर्यटन और धर्मस्व मंत्री छत्तीसगढ़ में है। मुख्यमंत्री कभी मुक्तेश्वर, तो कभी दिल्ली में थकान मिटा रहे हैं। स्वास्थ मंत्री धन सिंह रावत को कर्नाटक चुनाव प्रचार से फुर्सत नहीं। तो क्या पूरी की पूरी भाजपा की सरकार ने उत्तराखंड में होने वाली चार धाम यात्रा को भगवान भरोसे छोड़ दिया है ? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की क्यूआर कोड प्रकरण का हश्र कहीं अंकिता हत्याकांड जैसा तो नहीं होगा। जहां आज 8 महीने बाद यह पता तक नहीं चल पाया है कि बुलडोजर किसने चलाया। यह पता नहीं चल पाया कि आरोपी के रिसोर्ट में दो बार आग कैसे लग गई और किसने लगाई। यह पता नहीं चल पाया है कि वीआईपी कौन था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि इसी तरह क्यूआर कोड प्रकरण भी उसी तरह दिखाई पड़ता है। जहां इस बार भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास हो रहा है। वैसे ही पूरा का पूरा सरकारी तंत्र जहां एक ओर बीकेटीसी को बचाने में लगा हुआ है। दूसरी ओर चार धाम यात्रा और उत्तराखंड पर लगे भ्रष्टाचार को कौन मिटा पाएगा। क्या इस पूरे शर्मनाक प्रकरण में किसी की भी जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होगी। क्या इस प्रकरण से जुड़े हुए लोग दंडित किए जाएंगे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।