धामों में चंदा प्रकरणः चूक हुई या अब डाल रहे पर्दा, अपने ही खिलाफ क्यों दर्ज कराया मुकदमा, कांग्रेस प्रवक्ता ने किया प्रहार
उत्तराखंड में बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही मंदिर परिसरों में दान के लिए लगाए गए पेटीएम के क्यूआर कोड को लेकर पिछले कुछ दिनों तक बवाल मचता रहा। इसे चंदा घोटाले का नाम दिया जा रहा था। साथ ही विपक्ष इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने भी ऐसे बोर्ड से खुद का संबंध होने से पल्ला झाड़ दिया और पुलिस को इसके खिलाफ तहरीर दी। अब अचानक समिति ने भी बयान बदल दिए। साथ ही पेटीएम के क्यूआर कोड को वैध बताया। अब सवाल ये है कि यदि ये बोर्ड वैध थे तो पहले मुकदमा क्यों दर्ज कराया गया। क्या समिति को पता ही नहीं कि मंदिर परिसर में क्या हो रहा है। या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने के लिए ऐसा किया जा रहा है। हम खबर में चर्चा करने से पहले ये जान लें कि आखिर मामला क्या था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्यूआरकोड से दान करने की अपील
बदरीनाथ धाम में मंदिर के आस पास व आस्था पथ पर तीन से अधिक स्थानों में पेटीएम से दान के बोर्ड लगाए गए थे। इसी तरह के बोर्ड केदारनाथ धाम में भी लगाए जाने की चर्चा है। बकायदा इसमें क्यूआर कोड भी लगाया गया था। इससे ऑनलाइन दान किए जाने को लेकर श्रद्धालु को प्रेरित किया जा रहा था। स्थानीय लोगों ने पेटीएम द्वारा दान को लेकर आपत्ति जताई थी। जिस पर मंदिर समिति ने तत्काल संज्ञान लेते हुए बोर्डों को हटवा दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बिना बोर्ड व मंदिर समिति की सहमति से पेटीएम से दान के बोर्ड लगाए गए थे, जिन्हें हटा दिए गए तथा बदरीनाथ थाने में तहरीर देकर ऐसा कृत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को कहा गया। तब कहा गया कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की जांच में यह स्पष्ट किया गया है कि समिति की तरफ से धामों में कहीं भी ऐसे क्यूआर कोड नहीं लगाए गए हैं। समिति ने पुलिस को इस संबंध में तहरीर देकर ऐसा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस ने शुरू की मामले में जांच
मंदिर समिति की तरफ से मिले शिकायती पत्र में कहा गया था कि क्यूआर कोड किसने लगाया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। अब, पुलिस के स्तर पर पूरे प्रकरण को परत दर परत खंगाला जाएगा। यह देखा जाएगा कि क्यूआर कोड किसके नाम पर पंजीकृत है और किसके बैंक खाते में धनराशि जमा हो रही है। साथ ही क्यूआर कोड किसने लगाया, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब मार दी पलटी
बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर में लगे पेटीएम के क्यूआर कोड को लेकर बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने स्थिति साफ कर दी है। या कहें कि पलटी मार दी। बताया गया कि ये क्यूआर कोड पेटीएम कंपनी की ओर से लगाए गए थे। बीकेटीसी का पेटीएम से अनुबंध हुआ है, लेकिन विगत वर्षों की अपेक्षा इस बार बड़े साइन बोर्ड लगने से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पेटीएम के साथ अनुबंध के बाद से मंदिर समिति को 67 लाख रुपये डिजिटल दान मिला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2017 से चल रही है ये व्यवस्था
इसके बाद बीकेटीसी ने आंतरिक जांच की और उसके बाद पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया गया। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि पेटीएम द्वारा देश के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं को डिजिटल दान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की वर्ष 2017 में हुई बोर्ड बैठक में केदारनाथ धाम में यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पेटीएम के साथ अनुबंध करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहले लगे थे छोटे क्यूआर कोड
तर्क दिया गया है कि इसी प्रस्ताव के क्रम में वर्ष 2018 में बीकेटीसी और पेटीएम के बीच करार हुआ था। तब से पेटीएम द्वारा केदारनाथ धाम में क्यूआर कोड के छोटे साइन बोर्ड लगाए जाते रहे हैं। वर्तमान यात्रा काल में पेटीएम द्वारा केदारनाथ धाम के अलावा बदरीनाथ धाम में भी बड़े साइज के कई साइन बोर्ड लगा दिए गए। हालांकि क्यूआर कोर्ड के बोर्ड लगाने से पहले पेटीएम की ओर से बीकेटीसी को लिखित या मौखिक रूप से अवगत नहीं कराया गया। ना ही इस संबंध में किसी तरह की चर्चा बीकेटीसी के अधिकारियों से की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीकेटीसी ने जताई थी नाराजगी, पेटीएम अधिकारियों ने जताया खेद
डॉ. हरीश गौड़ के अनुसार क्यूआर कोड के बड़े साइन बोर्ड लगने की जानकारी जब बीकेटीसी के अधिकारियों को मिली तो उन्होंने तत्काल ने हटवा दिया था। बीकेटीसी की आंतरिक जांच और पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने के बाद पेटीएम के अधिकारियों ने मंदिर प्रशासन से संपर्क किया और इसके बाद स्थिति स्पष्ट हुई। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजय ने इस मामले को लेकर कंपनी के अधिकारियों पर कड़ी नाराजगी जताई और उनके इस रवैया को गैर जिम्मेदाराना बताया। पेटीएम के अधिकारियों ने बीकेटीसी प्रशासन से मौखिक रूप से अपनी गलती स्वीकारी है और इस मामले को लेकर खेद भी जताया है। अनुबंध होने के बाद से अब तक मंदिर समिति को 67 लाख रूपये दान के रूप में मिले हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विश्वसनीयता पर सवालः गरिमा मेहरा दसौनी
इस मामले में उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरीमा मेहरा दसौनी ने कहा कि मात्र 24 घंटों के अंदर बीकेटीसी ने बद्री विशाल और केदार धाम में लगे क्यूआर कोड को लेकर अपना बयान बदल दिया है, जो कि हतप्रभ करने वाला और हास्यास्पद है। दसौनी ने कहा की उत्तराखंड की जनता ने और उत्तराखंड की सरकार ने बीकेटीसी को चार धाम यात्रा को सुचारु सुलभ और सुरक्षित रूप से क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी दी थी। बीकेटीसी ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक से नहीं किया और प्रदेश के साथ धोखा किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसी के चलते बदरी केदार धाम में कोई कंपनी आकर पेटीएम स्कैनर लगा जाती है। इसके पश्चात बीकेटीसी आनन-फानन में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है। बीकेटीसी के अध्यक्ष मीडिया के लिए बयान जारी करते हैं। इसमें वह पूरे प्रकरण के प्रति अनभिज्ञता जाहिर करते हैं। ठीक 24 घंटे बाद पता चलता है कि 2018 में बीकेटीसी का पेटीएम के साथ अनुबंध हुआ था और यह चंदे की उगाही 2018 से ही गतिमान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यानी बीकेटीसी ने ही कर दिया खुद पर मुकदमा
दसौनी ने कहा कि जो कुछ भी उत्तराखंड में चल रहा है वह किसी पिक्चर की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। जिस तरह से बीकेटीसी ने पूरे घटनाक्रम पर यू-टर्न लिया है, उससे उसकी विश्वसनीयता पर गहरे सवाल खड़े होते हैं। यही नहीं पुलिस प्रशासन की भी इस पूरे प्रकरण में जो भूमिका रही है वह सवालों के घेरे में है। आज भारतीय जनता पार्टी के राज में उत्तराखंड मजाक का केंद्र बनता चला जा रहा है। आए दिन राष्ट्रीय पटल पर उत्तराखंड की किरकिरी हो रही है। दसौनी ने मांग की कि बीकेटीसी के अध्यक्ष कल जारी किए गए बयान के तर्ज पर एक और बयान अपनी कोताही और लापरवाही के लिए उत्तराखंड की जनता से माफी मांगते हुए जारी करें।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।