चंदे का धंधाः जिस कंपनी ने दिए 150 करोड़, उसके लिए बदल दी टेलीकॉम नीति
राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदा देने की मामले में नई नई जानकारी मिल रही है। अब एक बड़ा टोलीकॉम घोटाला सामने आ रहा है। हम पूर्व में भी कई खबरें प्रकाशित कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर के साथ राजनीतिक पार्टियों और कंपनियों का डाटा सार्वजनिक कर दिया है। इसके जरिये ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किस कंपनी ने कितने नंबर का बॉन्ड खरीदा और उसे किस पार्टी ने भुनाया। अब टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनी भारती एयरटेल लिमिटेड का नाम सामने आ रहा है। इस कंपनी के लिए सरकार ने टेलीकॉम नीति में ही बदलाव कर दिया। कंपनी ने बीजेपी को 150 करोड़ रुपये का चंदा दिया और उसके बदले में उसे उपग्रहों से होने वाली ब्राड बैंड सेवा का कांट्रेक्ट दिया जाने वाला था। वो भी साल 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर। न्यूज लॉंड्री सहित तीन वेबसाइट ने टेलीकॉम कंपनी को लेकर किए गए खेल को उजागर किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सांसदों को किया निलंबित और कर दिया बिल पारित
दिसंबर 2023 में संसद के सत्र के दौरान 146 सांसदों को निलंबित किया जाता है। जैसे ही सांसद निलंबित होते हैं, उसी दौरान मोदी सरकार एक टेलीकाम बिल पारित करती है। इसका मकसद ये होता है कि अब उपग्रहों के जरिये ब्राड बैंड सेवा का कांट्रेक्ट यानि सेटेलाइल स्पेक्ट्रम को आंवटित करने की लिए निलामी प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए सिर्फ शासकीय आदेश की जरूरत पड़ेगी। यानि सरकार जिसे चाहे ये कांट्रेक्ट दे सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए थे 122 लाइसेंस
इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में आदेश दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के 122 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। आदेश दिया कि सीधे काम देने की बजाय टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए। मीडिया रिपोर्टों ने फैसले को “भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक झटका” बताया। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और उसने बगैर निलामी के ही कांट्रेक्ट दे दिए थे। इसे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला कहा जाता था। अदालत के आदेश के बाद बीजेपी ने इस मामले को खूब भुनाया। बीजेपी ने इसे सबसे बड़ा घोटाला बताया था। इस मुद्दे ने नरेंद्र मोदी को सत्ता तक पहुंचाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारती एयरटेल को लाइसेंस देने के लिए जमीन तैयार
हालांकि, ये जानकारी सामने नहीं आई थी कि 2जी स्पेक्ट्रम के दौरान जिन कंपनियों को लाइसेंस मिले थे, क्या उन्होंने कांग्रेस को पैसा दिया। अब करीब 11 साल बाद मोदी सरकार टेलीकाम बिल लाती है, उसमें भारती एयरटेल को उपग्रहों के जरिये ब्राड बैंड सेवा का कांट्रेक्ट देने की जमीन तैयार करती है। इसकी एवज में भारतीय एयरटेल ने बीजेपी को 150 करोड़ रुपये चंदा दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी को दिया सारा चंदा
9 नवंबर को भारती एयरटेल लिमिटेड ने 100 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे। पूरी रकम बीजेपी को दान कर दी। चार दिन बाद 13 नवंबर को बीजेपी ने सारे बांड भुना लिए। आठ दिन बाद, 21 नवंबर को, वनवेब इंडिया अंतरिक्ष नियामक से उपग्रह प्राधिकरण का अधिकार पाने वाली पहली कंपनी बन गई। नया साल शुरू होते ही भारती एयरटेल लिमिटेड ने 50 करोड़ रुपये के और चुनावी बांड खरीदे, जिसे भाजपा ने 12 जनवरी को भुना लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारती एयरटेल और वनवेब इंडिया के संबंध
उपग्रह से सेटेलाइन के कांट्रेक्ट वन वेब इंडिया को देने के प्रयास हो रहे हैं। वन वेब इंडिया कंपनी अंतरराष्ट्रीय उपग्रह कंपनी यूटेल सेट वेब की एक भारतीय इकाई है। इसके साथ ही यह सरकार से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पाने वाली एकमात्र योग्य कंपनी बन गई। अब सवाल उठता है कि भारती एयरटेल से इस संपनी का क्या लेना देना है, जिसने बीजेपी को 150 करोड़ रुपये दिए। इस कंपनी में सबसे ज्यादा शेयर भारतीय एयरटेल कंपनी के ही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनावी बांड की रकम से उठ रहे सवाल
हालांकि सरकार ने अभी तक सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं किया गया है, लेकिन चुनावी बांड पर हाल ही में जारी आंकड़े सवाल खड़े करते हैं। इससे पता चलता है कि भारती समूह ने सरकार द्वारा सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की आवश्यकता को समाप्त करने वाले नए कानून को पेश करने से पहले और बाद में खरीदे गए बांड के दो सेटों के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी को 150 करोड़ रुपये का दान दिया। सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने के केवल एक महीने बाद वनवेब को स्पेक्ट्रम प्राप्त करने वाली योग्य कंपनी बन गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः चंदे का धंधाः जिन दवा कंपनियों के सेंपल हुए फेल, उनसे भी बीजेपी ले चुकी है चंदा, देखें किसे कितना मिला
ओवैसी ने किया सरकार पर सियासी हमला
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने एक कंपनी से 150 करोड़ रुपये के चुनावी बांड प्राप्त करने के बाद दूरसंचार नीति में बदलाव किया है। ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में हैदराबाद लोकसभा सांसद ने कहा कि मोदी सरकार को एक कंपनी से 150 करोड़ रुपये के चुनावी बांड मिले और सरकार ने अपनी दूरसंचार नीति बदल दी। आप समझ सकते हैं कि नीति में बदलाव से किसे फायदा हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घोटाला नहीं तो क्या है
ओवेसी ने कहा कि अगर 2जी घोटाला था तो यह क्या है? ओवैसी ने एक समाचार लेख की तस्वीर टैग की। इसमें बताया गया है कि भारती समूह ने यह राशि दान की है। एक अन्य पोस्ट में एआईएमआईएम नेता ने कहा कि देश को यह तय करना होगा कि क्या ऐसा प्रधान मंत्री चुनना है, जिसका उत्पीड़ित भारतीयों के साथ गहरा “संबंध” हो। या ऐसा व्यक्ति जो केवल अमीरों के पैसे तक ही सीमित हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने बताया था असंवैधानिक
पिछले महीने, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था। कहा था कि संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 21 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फा न्यूमरिक नंबर्स जारी करने के लिए कहा था। इस अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर्स से पता चलना था कि किस राजनीतिक पार्टी को किस कंपनी या व्यक्ति से चंदे के रूप में कितनी बड़ी रक़म मिली है। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से पहले एसबीआई अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर देने से बच रहा था। न्यूमरिक नंबर सामने आने के बाद अब पता चलने लगा है कि बीजेपी को चंदा देने वाली किस कंपनी को किस तरह का फायदा मिला।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।