चंदे का धंधाः वित्त मंत्री के पति ने चुनावी बॉंड को बताया सबसे बड़ा घोटाला, असहज निर्मला सीतारमण ने चुनाव लड़ने से किया इंकार
जिस इलेक्टोरल बॉंड की व्यवस्था को भारत की सर्वोच्च अदालत असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर चुकी है। अब उसे लेकर हर दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं। ये भी साफ हो गया है कि इलेक्टोरल बांड को लेकर सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को मिला। इनमें ऐसी कंपनियां भी चंदा देने वालों में हैं, जिनकी ईडी, सीबीआई आदि की जांच चल रही थी। कई कंपनी मालिकान ने जब गिरफ्तार होने के बाद बीजेपी को चंदा दिया तो ईडी ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया और वे आसानी से जेल से बाहर हो चुके हैं। बीफ का कारोबार कंपनी भी बीजेपी सहित कई दलों को चंदा दे चुकी है। वहीं, कई कंपनियों ने जब बॉंड खरीदे और उसे बीजेपी को दिए तो इसकी एवज में उन्हें बड़े बड़े प्रोजेक्ट के टेंडर मिले। इस तरह की हम कई खबरें लिख चुके हैं। अब ताजा मामला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का है। क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने चुनावी बॉन्ड मामले पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने दावा किया कि यह सिर्फ देश का सबसे बड़ा घोटाला नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा स्कैम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निर्मला हुई असहज, चुनाव ना लड़ने का किया ऐलान
पति के इस बयान से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी असहज हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसों की कमी है और आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्यों में जीत के लिए जो मानदंड होते हैं, उन पर वह खरी नहीं उतरती हैं। ऐसी अटकलें थीं कि निर्मला सीतारमण आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ सकती हैं। अभी वह राज्यसभा सांसद हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी के दोनों कार्यकाल में मंत्री रही हैं और दोनों बार राज्यसभा के ज़रिए ही संसद में पहुँचीं। बीजेपी इस बार राज्यसभा के ज़रिए संसद पहुँचे अपने मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ा रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अलावा पर्यावरण और श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. अभी दोनों राज्यसभा सांसद हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टीवी चैनल से कही ये बात
लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू हो रहा है। निर्मला सीतारमण से न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ के एक कार्यक्रम में सवाल पूछा गया कि क्या वह चुनाव लड़ेंगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा- नहीं। पार्टी ने मुझसे कहा था, लेकिन इस बारे में हफ़्ते-दस दिन सोचने के बाद कहा कि शायद नहीं। पार्टी अध्यक्ष ने मुझसे कहा था कि क्या मैं दक्षिण के राज्य तमिलनाडु या आंध्र प्रदेश से चुनाव लड़ना पसंद करूंगी?’ (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनाव के लिए नहीं हैं पैसे
निर्मला सीतारमण ने चुनाव नहीं लड़ने का जो कारण बताया, वो भी अटपटा है। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने लायक मेरे पास पैसे नहीं हैं। अब ये कोई तर्क नहीं हुआ। क्योंकि चुनाव तो पार्टी लड़ाती है। वही अपने प्रत्याशी पर पैसे खर्च करती है। चुनावी चंदे के रूप में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। ऐसे में निर्मला का ये तर्क किसी के गले नहीं उतरेगा। या फिर निर्मला को अहसास हो गया कि चुनावी चंदे का धंधा, इस बार बीजेपी को झटका दे सकता है। वहीं, उन्होंने कहा कि मेरे साथ एक और समस्या है। आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु में चुनाव जीतने के मानदंडों पर मैं खरी नहीं उतरती हूँ। किसी ख़ास समुदाय, किसी ख़ास धर्म का समीकरण भी होता है। ऐसे में मैंने ना कहा, क्योंकि मैं इन मानदंडो पर फिट नहीं बैठती हूँ। मैं एहसानमंद हूं कि पार्टी ने मेरी दलील को मान लिया। पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि चलो, आपका मन नहीं है। कोई बात नहीं। मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूँ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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पति ने बताया सबसे बड़ा स्कैम
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने चुनावी बॉन्ड मामले पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने दावा किया कि यह सिर्फ देश का सबसे बड़ा घोटाला नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा स्कैम है। न्यूज चैनल ‘रिपोर्टर टीवी’ से बातचीत के दौरान वह बोले- मुझे लगता है कि चुनावी बॉन्ड का मुद्दा बहुत अहम मुद्दा बनेगा। बीजेपी की लड़ाई विपक्षी दलों या फिर और पार्टियों से नहीं होगी, बल्कि इस मुद्दे के चलते असल लड़ाई बीजेपी और भारत के लोगों के बीच नजर आएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किया दावा- मोदी सरकार को वोटर्स देंगे सजा
वित्त मंत्री के पति ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा मामला आज की तुलना में कहीं अधिक जोर पकड़ेगा। यह तेजी से आम लोगों तक पहुंच रहा है। अब हर कोई धीरे-धीरे समझ रहा है कि यह भारत का ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला है। ऐसे में मुझे लगता है कि इस मुद्दे के कारण इस सरकार को मतदाताओं की ओर से कड़ी सजा दी जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निर्मला सीतारमण के पति के बारे में
वित्त मंत्री के पति परकला प्रभाकर जाने-माने अर्थशास्त्री हैं। वह साल 2014 से 2018 तक आंध्र प्रदेश सरकार को सेवाएं दे चुके हैं, जबकि कम्युनिकेशंस एडवाइजर भी रहे हैं। आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिला के नरसापुरम में दो जनवरी, 1959 को जन्मे परकला प्रभाकर लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से साल 1991 में पढ़े हैं। उन्होंने इसके अलावा कुछ किताबें भी लिखी हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा
चुनावी बॉन्ड के जरिये देश के उद्योगों और कुछ लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर 2019 से अब तक राजनीतिक पार्टियों को 1,27,69,08,93,000 रुपए दान में मिले थे। यह खुलासा तब हुआ था, तब चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से मिले आंकड़े वेबसाइट पर सार्वजनिक किए थे। डेटा के मुताबिक, सियासी दलों ने पांच साल में कुल 20,421 चुनावी बॉन्ड भुनाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सबसे ज्यादा राशि बीजेपी की झोली में
इलेक्टोरल बांड के जरिये सबसे ज्यादा 60,60,51,11,000 रुपए भाजपा की झोली में गए जो कुल राशि का लगभग आधा है। पार्टी ने एक करोड़ रुपए के 5,854 बॉन्ड और 10 लाख रुपए के 1,994 बॉन्ड भुनाए थे। उसने एक लाख और 10 हजार रुपए के अलावा 31 बॉन्ड एक-एक हजार रुपए के भी कैश कराए। दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 16,09,50,14,000 रुपए के 3,275 चुनावी बॉन्ड भुनाए। इनमें 1.467 एक-एक करोड़ रुपए के और 1,384 बॉन्ड 10-10 लाख रुपए के थे, जबकि कांग्रेस ने 14,21,86,50,000 करोड़ रुपए के 3.141 चुनावी बॉन्ड भुनाए। इनमें 1.318 एक-एक करोड़ रुपए के और 958 बॉन्ड 10-10 लाख रुपए के थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने बताया था असंवैधानिक
पिछले महीने, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था। कहा था कि संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 21 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फा न्यूमरिक नंबर्स जारी करने के लिए कहा था। इस अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर्स से पता चलना था कि किस राजनीतिक पार्टी को किस कंपनी या व्यक्ति से चंदे के रूप में कितनी बड़ी रक़म मिली है। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से पहले एसबीआई अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर देने से बच रहा था। न्यूमरिक नंबर सामने आने के बाद अब पता चलने लगा है कि बीजेपी को चंदा देने वाली किस कंपनी को किस तरह का फायदा मिला।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।