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September 19, 2024

चंदे का धंधाः जिन दवा कंपनियों के सेंपल हुए फेल, उनसे भी बीजेपी ले चुकी है चंदा, देखें किसे कितना मिला

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राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदा देने की मामले में हम पूर्व में भी कई खबरें प्रकाशित कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर के साथ राजनीतिक पार्टियों और कंपनियों का डाटा सार्वजनिक कर दिया है। इसके जरिए ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किस कंपनी ने कितने नंबर का बॉन्ड खरीदा और उसे किस पार्टी ने भुनाया। अब हर दिन नए नए नए खुलासे हो रहे हैं। अब धीरे धीरे सच्चाई सामने आ रही है। सच तो राजनीतिक दलों ने तो लोगों के स्वास्थ्य तक से खिलवाड़ कर दिया। जिन दवा कंपनियों से सेंपल फेल हुए, उनसे भी चुनावी चंदा इलेक्टोरल बॉंड के रूप में लिया गया है। वहीं, ऐसी भी कई कंपनियां हैं, जिन पर पहले ईडी और आयकर विभाग के छापे पड़े। फिर उनसे चुनावी चंदा वसूला गया। इसमें भी बीजेपी को अच्छी खासी रकम मिली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जब चुनावी चंदा करोड़ों में देंगे तो दवाओं की दाम कैसे होंगे कम
अब सवाल ये उठता है कि जब दवा कंपनियां करोड़ों रुपये चुनावी चंदे के रूप में बांटेंगी तो फिर भारत में दवा के दाम कैसे कम होंगे। पिछले दस साल में दवाओं के दामों में अप्रत्याशित उछाल आया। इसी तरह भारत में इलाज और मेडिकल सुविधाओं की बढ़ती क़ीमतें कोई छुपी हुई बात नहीं है। राजनीतिक पार्टियां फार्मेसी कंपनियों से मोटा पैसा ले रही हैं, इसकी कीमत आम नागरिकों को महंगी दवा, महंगा इलाज से चुकानी पड़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
इस स्थिति में अगर ये पता चले कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मलेरिया, कोविड या दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली कई प्रचलित दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल होते रहे हैं, तो आम लोगों के लिए ये चिंता का विषय तब तक नहीं होगा, जब तक ऐसी दवा बाजार में नहीं आई। फिर आपको पता चले कि जिन कंपनियों की दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए और उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दिए। फिर ये गंभीर चिंता वाली बात है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सवाल ये उठता है कि कहीं ऐसी दवाओं को बाजार में उतारने के लिए तो चुनावी चंदा नहीं दिया गया। ऐसे में साफ नजर आता है कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के लिए राजनीतिक दलों को रिश्वत के रूप में मोटी भेंट चढ़ाई गई। इसमें सबसे ज्यादा पैसा बीजेपी को ही मिला। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 23 फ़ार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये क़रीब 762 करोड़ रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया। यहां ऐसी की कुछ कंपनियों का जिक्र किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड
इस कंपनी का रजिस्टर्ड दफ़्तर गुजरात के अहमदाबाद में है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई तीन दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। ये दवाएं डेप्लेट ए 150, निकोरन आईवी 2 और लोपामाइड थीं। डेप्लेट ए 150 दिल का दौरा पड़ने से बचाती है और निकोरन आईवी 2 दिल के कार्यभार को कम करती है। लोपामाइड का इस्तेमाल अल्पकालिक या दीर्घकालिक दस्त के इलाज के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 7 मई 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 77.5 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। इन 77.5 करोड़ रुपए में से 61 करोड़ भारतीय जनता पार्टी को दिए गए। वहीं, सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा को इस कंपनी ने 7 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 5 करोड़ रुपए दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सिप्ला लिमिटेड
सिप्ला लिमिटेड का रजिस्टर्ड दफ़्तर मुंबई में है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई दवाओं के सात बार ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। ड्रग टेस्ट फ़ेल करने वाली दवाओं में आरसी कफ़ सिरप, लिपवास टैबलेट, ओन्डेनसेट्रॉन और सिपरेमी इंजेक्शन शामिल थी। सिपरेमी इंजेक्शन में रेमडेसिविर दवा होती है। इसका इस्तेमाल कोविड की विभिन्न लहर के दौरान खूब किया गया। लिपवास का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोगों के ख़तरे को कम करने के लिए किया जाता है। ओन्डेनसेट्रॉन का इस्तेमाल कैंसर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी के कारण होने वाली मतली और उल्टी को रोकने के लिए किया जाता है।  इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 और 10 नवम्बर 2022 के बीच 39.2 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। इनमें से 37 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए गए और 2.2 करोड़ के बांड कांग्रेस को दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ लिमिटेड
सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2020 और 2023 के बीच छह बार इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। टेस्ट में फ़ेल होने वाली दवाओं में कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ़्लेक्सुरा डी शामिल थीं। कार्डिवास का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, हृदय से संबंधित सीने में दर्द (एनजाइना) और हार्ट फेलियर इलाज के लिए किया जाता है। 15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 को इस कंपनी ने कुल 31.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सारे बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड
ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2021 में बिहार के ड्रग रेगुलेटर ने इस कंपनी की बनाई गई रेमडेसिविर दवाओं के एक बैच में गुणवत्ता की कमी की बात कही थी। रेमडेसिविर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है। 10 अक्टूबर 2022 और 10 जुलाई 2023 के बीच इस कंपनी ने 29 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। इसमें से 18 करोड़ रुपए बीजेपी को, 8 करोड़ रुपए सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा और 3 करोड़ रुपए कांग्रेस को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड
इन कंपनियों का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। साल 2018 और 2021 के बीच इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के सात ड्रग टेस्ट फेल हुए। ड्रग टेस्ट में फेल हुई दवाओं में रेमडेसिविर इंजेक्शन, मेटफॉरमिन और कोविफोर शामिल थीं। रेमडेसिविर और कोविफोर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है, जबकि मेटफॉरमिन का इस्तेमाल डायबिटीज या मधुमेह के लिए होता है। हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 11 जुलाई 2023 को 30 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। ये सारे बॉन्ड तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी को दिए गए। हेटेरो लैब्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 12 अक्टूबर 2023 को 25 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। इसमें से 20 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीआरएस को और 5 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इंटास फ़ार्मास्युटिकल्स लिमिटेड
इंटास फ़ार्मास्युटिकल्स का मुख्यालय गुजरात के अहमदाबाद में है। जुलाई 2020 में इस कंपनी की बनाई गई दवा एनाप्रिल का ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ। एनाप्रिल का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप और हार्ट फ़ेलियर के इलाज के लिए किया जाता है। इस दवा को दिल का दौरा पड़ने के बाद भी दिया जाता है। इस कंपनी ने 10 अक्टूबर 2022 को 20 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। ये सारे बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आईपीसीए लैबोरेट्रीज़ लिमिटेड
आईपीसीए लैबोरेट्रीज़ लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है। अक्टूबर 2018 में इस कंपनी की बनाई गई दवा लारियागो टेबलेट का ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ। लारियागो का उपयोग मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है। 10 नवम्बर 2022 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच इस कंपनी ने 13.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसमें से 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीजेपी को दिए गए और 3.5 करोड़ के बॉन्ड सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा पार्टी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्लेनमार्क फ़ार्मास्युटिकल्स लिमिटेड
ग्लेनमार्क फ़ार्मास्युटिकल्स लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2022 और 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के छह ड्रग टेस्ट फेल हुए। जिन दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए उनमें टेल्मा एएम, टेल्मा एच और ज़िटेन टेबलेट शामिल थी। टेल्मा एएम और टेल्मा एच का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप के इलाज में किया जाता है। ज़िटेन टेबलेट का इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 11 नवम्बर 2022 को 9.75 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः चंदे का धंधाः इस कंपनी ने बीजेपी को दिए 584 करोड़, बदले में मिले 14400 करोड़ रुपये के टेंडर

छापेमारी के बाद इन फार्मा कंपनियों ने दिया चुनावी चंदा
एसबीआई ने जो डेटा पहली खेप में चुनाव आयोग को दिया था, उसमें ऐसे उदाहरण भी नजर आए जहां किसी साल किसी प्राइवेट कंपनी पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) या आयकर विभाग की छापेमारी हुई और उसके कुछ ही दिन बाद उस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। ऐसे भी उदाहरण हैं कि किसी कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे और कुछ दिन बाद उस पर छापेमारी हुई और उसके बाद कंपनी ने फिर इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इन कंपनियों में भी कुछ फ़ार्मा कंपनियां और एक अस्पताल शामिल हैं। इन कंपनियों पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) या आयकर विभाग की छापेमारी की गई। फिर उन्होंने चुनावी चंदा दिया। ऐसी कंपनियों पर डालिए एक नजर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का मुख्यालय तेलंगाना में है। इस कंपनी ने 4 अक्टूबर 2021 और 11 अक्टूबर 2023 के बीच 162 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। कंपनी पर 22 दिसंबर 2020 को आयकर विभाग की रेड हुई। 4 अक्टूबर 2021 से इस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदने शुरू किए। इस कंपनी ने 94 करोड़ रुपए के बॉन्ड भारत राष्ट्र समिति पार्टी को दिए। साथ ही कंपनी ने 64 करोड़ के बॉन्ड कांग्रेस को और 2 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ रेड्डी’ज़ लैब
डॉ रेड्डी’ज़ लैब का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। 8 मई 2019 और 4 जनवरी 2024 के बीच 84 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। 12 नवंबर 2023 को आयकर विभाग ने इस कंपनी से जुड़े लोगों और उनके सहयोगियों पर अवैध नकद लेनदेन के मामले में छापेमारी की। 17 नवम्बर 2023 को इस कंपनी ने 21 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। 4 जनवरी 2024 को कंपनी ने 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। इस कंपनी ने 32 करोड़ रुपए के बॉन्ड भारत राष्ट्र समिति पार्टी को दिए। साथ ही 25 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीजेपी, 14 करोड़ रुपए के बॉन्ड कांग्रेस और 13 करोड़ रुपए के बॉन्ड तेलुगु देसम पार्टी को दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऑरबिन्दो फ़ार्मा
ऑरबिन्दो फार्मा का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 3 अप्रैल 2021 और 8 नवंबर 2023 के बीच 52 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। 10 नवंबर 2022 को कंपनी के डायरेक्टर पी सरथ चंद्र रेड्डी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले गिरफ़्तार कर लिया। 15 नवंबर 2022 को कंपनी ने 5 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। ये सभी बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अन्य फार्मा कंपनियों ने भी दिया मोटा चंदा
इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीद कर राजनीतिक दलों को करोड़ों रुपए देने वाली कई कंपनियां ऐसी हैं, जिनके सेंपल फेल होने की कोई सूचना नहीं है। ना ही इन कंपनियों पर ईडी और आयकर विभाग की जांच की सूचना है। ऐसी कंपनियों ने भी कई राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए करोड़ों रुपयों का चंदा दिया। इन पर एक नजर डालिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नैटको फ़ार्मा
नैटको फ़ार्मा का मुख्यालय हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 5 अक्टूबर 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 69.25 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। इसमें से 20 करोड़ रुपए बीआरएस पार्टी को, 15 करोड़ रुपए बीजेपी को और 12.25 करोड़ कांग्रेस पार्टी को दिए गए।
एमएसएन फ़ार्माकेम लिमिटेड
एमएसएन फ़ार्माकेम लिमिटेड का मुख्यालय हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 8 अप्रैल 2022 और 16 नवंबर 2023 को कुल 26 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड ख़रीदे। इसमें से 20 करोड़ रुपए बीआरएस पार्टी और 6 करोड़ रुपए बीजेपी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूजिया फ़ार्मा स्पेशलिटीज़
यूजिया फ़ार्मा स्पेशलिटीज़ का मुख्यालय हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 8 नवम्बर 2023 को 15 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।
अलेम्बिक फ़ार्मास्युटिकल्स
अलेम्बिक फ़ार्मास्युटिकल्स का मुख्यालय गुजरात के वडोदरा में है। इस कंपनी ने 14 नवंबर 2022 और 5 जुलाई 2023 के बीच 10.2 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।
एपीएल हेल्थकेयर लिमिटेड
एपीएल हेल्थकेयर लिमिटेड का मुख्यालय हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 8 नवंबर 2023 को 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 21 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फा न्यूमरिक नंबर्स जारी करने के लिए कहा था। इस अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर्स से पता चलना था कि किस राजनीतिक पार्टी को किस कंपनी या व्यक्ति से चंदे के रूप में कितनी बड़ी रक़म मिली है। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से पहले एसबीआई अल्फ़ा न्यूमरिक नंबर देने से बच रहा था।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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