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December 15, 2024

45 साल से दूसरों की सेवा करने वाले चिकित्सक को पड़ी ऑक्सीजन की जरूरत, देवभूमि ट्रस्ट ने की मदद

देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष व उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के मुताबिक पिछले चार दिनों में ही ट्रस्ट की ओर से 97 लोगों को निशुल्क ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई गई।


उत्तराखंड में कोरोना प्रकोप के बीच संक्रमण के कारण लोगों को हो रही ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट की ओर से शुरू की गई निशुल्क सेवा सांसें अभियान रफ्तार पकड़ रहा है। लोगों की जान बचाने में कारगर साबित हो रहा है। देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष व उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के मुताबिक पिछले चार दिनों में ही ट्रस्ट की ओर से 97 लोगों को निशुल्क ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई गई।
उन्होंने बताया कि आज शहर भर में ऑक्सीजन रिफिलिंग में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर में अधिकांश रिफिलिंग स्टेशनों में आज रीफिलिंग नहीं हुई। कहा कि सरकार व प्रशासन ऑक्सीजन की कमी नहीं होने के दावा कर रहा है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी आज साफ देखी जा सकती है। इसे सरकार को दूर करनी चाहिए।
मार्मिक कहानियां आ रही सामने
धस्माना ने कहा कि ऑक्सीजन पहुंचाने के इस अभियान सांसें में बहुत मार्मिक किस्से सामने आ रहे हैं। इनमें से एक ऐसे डॉक्टर का किस्सा सामने आया जो पिछले पैंतालीस वर्षों से आठ साल सरकारी व 37 वर्षों से निजी प्रैक्टिस कर लोगों का इलाज कर सेवा कर रहे हैं। आज वे खुद जब कोरोना ग्रसित हो गए तो खुद ऑक्सीजन के लिए तरस गए। 74 वर्षीय डॉक्टर पीके गुप्ता कालिदास रोड में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। डॉक्टर साहब की तीन बेटियां हैं, जिनमें से सबसे बड़ी बेटी पति के साथ अमरीका रहती हैं। दूसरी बेटी पति के साथ खाड़ी देश में हैं व तीसरी सबसे छोटी बेटी पती के साथ हैदराबाद रहती हैं।


दामाद ने किया फोन
डॉक्टर साहब के कोई बेटा नहीं है वे दोनों पति पत्नी कसलिदास रोड में फ्लैट में रहते हैं। कुछ दिन पूर्व डॉक्टर साहब व उनकि पत्नी ने कोविडशील्ड वैक्सिनेशन करवाया था। कुछ दिन बाद उनको बुखार व कोविड के लक्षण हुए तो उन्होंने कोविड आरटी-पीसीआर करवाया। इसमें वे पॉजिटिव आये और तीन चार दिनों से उनको सांस लेने में परेशानी होने लगी। कल उनका ऑक्सीजन लैवल 80 आ गया। कल शाम सात बजे उन्हें हेदराबाद से किसी राहुल नाम के व्यक्ति का फोन आया। वह घबराए हुए थे। उन्होंने डॉक्टर गुप्ता के बारे में ये सब कुछ बताया। कहा कि मैं उनका सबसे छोटा दामाद हूँ और गूगल में हैदराबाद में हूं। इसलिए तुरंत आना संभव नहीं है। डॉक्टर साहब को ऑक्सीजन की बहुत जरूरत है। आपके बारे में पता चला आप मदद करिए।
किस्मत से मिला सिलेंडर
धस्माना ने बताया कि हमारे पास दिन भर जितनी सिलेंडर की मांग आ रही थी उसका एक प्रतिशत भी हमारे पास नहीं था। ये संयोग था कि इस फोन से कुछ देर पहले ही एक मरीज को बड़ा जम्बू साइज सिलेंडर दिया था। वो इसलिए वापस आ गया क्योंकि मरीज को एम्स ऋषिकेश में आईसीयू मिल गया था। उन्होंने राहुल को कहा कि वो किसी को भेज दें सिलेंडर के लिए। क्योंकि उनकी एंबुलेंस प्रेमनगर गयी थी सिलेंडर डिलीवरी के लिए। पंद्रह मिनटों में डॉक्टर साहब के केअर टेकर आये और सिलेंडर ले गए। आज फिर बड़ी मुश्किलों से डॉक्टर साहब को सिलेंडर रिफिल कर के भिजवाया।
राहुल का फोन आज कई बार आया। हर बार वो बात करने से पहले और बाद में जब थैंक्यू कह रहा था। तो मेरे मन में यही आ रहा था कि ये सारा थैंक्यू डॉक्टर साहब की 45 वर्षों की सेवा को समर्पित है। जिन्होंने न जाने कितने लोगों को जीवन दिया होगा। आज ये देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के सौभाग्य है कि सांसें अभियान से ऐसे व्यक्ति की सेवा हम कर पाए, जिसने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित किया हो।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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