योग के नाम पर ना करो सिर्फ दिखावा, बीमारियों का घर बन रहा है भारत, हार्ट अटैक, कैंसर और डायबिटीज के बढ़ रहे रोगी
![](https://loksaakshya.com/wp-content/uploads/2023/06/yoga-1.png)
आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। योग को लेकर देश और दुनियाभर में प्रचार किया जा रहा है। हालांकि, इस बार नवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। ये भी सच है कि पूरी दुनिया को योग के प्रति भारत ने ही जागरूक किया। इसके बावजूद भारत में ही योग को दिखावे और ड्रामे के रूप में किया जा रहा है। कभी सरकारी स्कूलों में योग आसन्न का एक पीरिएड होता था। इसमें गुरुजी कई आसन कराते थे। इसी तरह स्कूल से घर पहुंचने के बाद शाम को बच्चे मैदान में जुटते थे और पसीना बहाने वाले खेल खेलते थे। अब तो बच्चों के हाथ में भी या तो मोबाइल आ गया है, या फिर टेलीविजन का रिमोट रहता है। पैदल चलने की आदत लोगों की खत्म हो गई है। हम योग के मामले में खुद को विश्वगुरु कहने का भ्रम पाल रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि भारत में ही बीमार लोगों की संख्या बढ़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बरसात आ गई है। इसके साथ ही योग के नाम पर बरसाती मेंढक भी टर्र टर्र करने लग जाएंगे। क्योंकि, योग दिवस भी फोटो खींचने और सेल्फी लेने तक सीमित होकर रह गया है। आज ऐसे लोग योग करते नजर आएंगे या आ रहे हैं, जिनसे अपना पेट तक नहीं संभल रहा होगा। यानि फोटो खिंचवाई और मन गया योग दिवस। यहां, हम यही सलाह देते हैं कि योग हो या व्यायाम, या फिर कुछ किलोमीटर पैदल चलना। साथ ही सही खानपान आदि को अपनी जीवन शैली में अपना लोगे तो आने वाला समय अच्छा कट सकता है। एक दिन या दस बारह दिन व्यायाम या योग करने से कुछ नहीं होगा। इसे नियमित रूप से जीवन में अपनाना होगा। क्योंकि भारत में तो कई खतरनाक जानलेवा बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हर आयु वर्ग को चपेट में ले रही है दिल की बीमारी
इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक भारत में हार्ट अटैक के लगभग 50 फीसदी मामले 50 साल से कम और 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में देखने को मिल रहे हैं। वहीं WHO के मुताबिक, भारत के शहरों में रहने वाले 12 फीसदी और गांवों में रहने वाले करीब 10 फीसदी लोगों में किसी ना किसी तरह की दिल की बीमारियां हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कुल मौतों का 28 फीसद दिल की बीमारियों से संबंध
देश में होने वाली कुल मौतों में से 28 फीसदी मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं। हर साल करीब 20 लाख लोगों की मौत हार्ट अटैक से होती है। देश में हर 7 मिनट में 2 हार्ट अटैक के केस सामने आते हैं। ऐसे में किसी भी तरह के लक्षण होने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह जरूर लें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डायबिटीज पर हुई रिसर्च
द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी की एक रिसर्च हाल में पब्लिश हुई। इसके मुताबिक भारत के 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का डेटा कहता है कि 13.6 करोड़ लोग देश में प्री-डायबिटीज हैं। यानी वो लोग जिनमें डायबिटीज के शुरुआत लक्षण दिखने लगे हैं। एक और हालिया डेटा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) का भी है। जिसमें बताया गया कि 20 वर्ष से अधिक आयु के 15.3% लोगों में डायबिटीज के शुरुआती लक्षण दिखाई दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिसर्चर और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. मोहन अंजना कहते हैं, ‘पिछले 4 सालों में ही डायबिटीज के मामलों में 44% की बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति किसी टाइम बम जैसी है। अगर अब भी नहीं संभले तो, प्री-डायबिटीज वाले 60% लोग अगले 5 सालों में डायबिटीज के पेशेंट हो जाएंगे। मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की डायबिटीज पर की गई यह रिसर्च 10 सालों तक चली। इसमें भारत के हर राज्य से लोगों ने हिस्सा लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैंसर के भी बढ़ रहे हैं रोगी
अमेरिका के ओहियो स्थित क्लीवलैंड क्लिनिक के हेमेटोलॉजी एंड मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जामे अब्राहम ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि आने वाले समय में भारत को कैंसर जैसी घातक बीमारियों की सुनामी झेलनी पड़ सकती है। वैश्वीकरण, बढ़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती उम्र और बदलती जीवन शैली इसका कारण बनेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अगले पांच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या 12 फीसदी बढ़ जाएगी। साल 2025 तक यहां कैंसर मरीजों की संख्या 15.69 लाख के पार निकल जाएगी। स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पंवार ने संसद में बताया कि भारत में 2022 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वास्थ्य और राज्य मंत्री डा. भारती पंवार ने संसद में जानकारी दी कि भारत में 2022 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 थी। वहीं 2018 से 2022 के दौरान कैंसर से 8,08,558 की मौत हो गई। ये सब रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में कैंसर के मामले चिंताजनक तरीके से बढ़ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कम उम्र में कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में प्रमुख हमारी लाइफस्टाइल है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के अनुसार, 50 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और थायराइड कैंसर सबसे ज्यादा हो रहे हैं। भारत में ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्तमान में दुनिया के 20 फीसदी कैंसर मरीज भारत में हैं। इस बीमारी के कारण हर साल 75,000 लोगों की मौत होती है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
![](https://loksaakshya.com/wp-content/uploads/2024/09/WhatsApp-Image-2024-09-20-at-1.42.26-PM-150x150.jpeg)
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।