फोटो सेशनः स्माइल प्लीज, डीएम साहब का सरका मास्क, शारीरिक दूरी का नियम हुआ धुआं
फोटो सेशन, फिर मुंह व नाक से सरका मास्क, शारीरिक दूरी के नियम भी हुए धुआं धुआं। ये किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि कुछ ऐसा ही हकीकत में अमूमन हर जगह हो रहा है। फोटो खिंचवाते समय या फिर ज्यादा देर किसी से निकट आने पर हमारे मास्क नाक व मुंह से नीचे सरकने लगते हैं। होना ये चाहिए कि हमें एक क्षण के लिए भी ऐसी लापरवाही से बचना चाहिए। यहां तो ऐसे एक्शन में डीएम साहब ही नजर आए।
कोरोना को हराना है, मास्क लगाना है। दो गज की दूरी मास्क है जरूरी। जी हां ये नारे तभी सार्थक होंगे जब बड़े अधिकारी, बड़े नेता या फिर समाज के वे लोग इसका सबसे पहले पालन करेंगे, जिन्हें लोग आदर्श मानते हैं। या फिर जिनके कहे को अपनाते हैं। तभी हम कोरोना से जंग को जीत सकते हैं।
अमूमन राजनीतिक कार्यक्रमों, सरकारी बैठकों, धार्मिक स्थलों में तो कोरोना से नियम हवा साबित हो रहे हैं। अगर डीएम भी कुछ क्षणों के लिए मास्क को सरका लें तो इसे क्या कहेंगे। क्योंकि यदि बगल वाला कोरोना संक्रमित होगा, तो संक्रमण फैलने में एक क्षण भी नहीं लगेंगे। इससे बचना है तो किसी भी व्यक्ति के निकट पहुंचने पर मास्क जरूरी हथियार है।

रावण रूपी कोरोना को हराने का लें संकल्प
इस दशहरे में हमें कोरोना रूपी रावण के अंत का संकल्प लेना होगा। यह तभी सार्थक होगा जब चपरासी से लेकर डीएम, सीएम और पीएम सभी एक समान नजर आएं। यानी सबसे मुंह व नाक मास्क में ढके हों। ना कि नाक व मुंह से नीचे मास्क लटका हो।
उत्तराखंड में उत्तरकाशी की स्थिति
बात अब उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद की करते हैं। कोरोना के कुल संक्रमितों के आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड के 13 जिलों में उत्तरकाशी जनपद का सातवां स्थान है। यहां कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा 2607 है। इनमें 2306 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 260 एक्टिव केस हैं और अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है।
मास्क और जिलाधिकारी
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित अमूमन मास्क में नजर आते हैं। आज कुछ अलग ही रहा। आज उन्होंने यमुनोत्री का दौरा किया। इस दौरान यमुनोत्री मंदिर के बाहर खिंचवाई गई फोटो में उनके चेहरे से मास्क नीचे सरका हुआ था। यही नहीं उसके साथ लोग सटकर खड़े थे। ना मास्क न शारीरिक दूरी।
भंगेली गाड का निरीक्षण
जिलाधिकारी ने पैदल मार्ग पर यात्रा के लिए नासूर बने भंगेली गाड का निरीक्षण भी किया। यहां हाल ही में पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण यमुनोत्री की पैदल यात्रा करीब 15 दिन तक प्रभावित रही। भंगेली गाड में पहाड़ी से पत्थर गिरने के दौरान एक माह पहले बाबा की कुटिया भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। निरीक्षण के दौरान भी अधिकांश समय पर जिलाधिकारी का मास्क मुंह और नाक को नहीं ढक रहा था।
देखी प्रगति
इस दौरान जिलाधिकारी ने भंगेली गाड के निकट तैयार किए जा रहे वैकल्पिक मार्ग की प्रगति भी देखी। साथ ही इसी स्थान पर वैली ब्रिज बनाने के निर्देश भी दिए। कहा कि वर्ष 2021 की यात्रा तक ब्रिज तैयार हो जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।