गुरतागद्दी दिवस पर सजा लक्खीशाह गुरुद्वारे में दीवान, कीर्तन ने किया संगतों को निहाल
देहरादून में गुरुद्वारा लक्खीशाह पश्चिम पटेलनगर में हर वर्ष की तरह इस बार भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब के गुरतागद्दी दिवस को धूम धाम के साथ मनाया गया। गुरुद्वारा लक्खीशाह में शनिवार रात और आज रविवार को दीवान सजाया गया। जहां गुरु की महिमा का बखान हुआ। दरबार साहिब अमृतसर से पधारे कीर्तनिये सुखदीप सिंह ने शब्द कीर्तन से संगतों को निहाल किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना को गुरु घर का सरोपा पहना कर सम्मानित किया। गुरतागद्दी दिवस की संगतों को बधाई व शुभकामनाएं देते हुए धस्माना ने कहा कि सिख पंथ के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने सिख धर्म में श्री गुरुनानक देव जी के समस्य से चली आ रही देहधारी गुरु परंपरा को समाप्त करते हुए सिख खालसा पंथ के अनुयायियों के लिए श्री गुरुग्रंथ साहिब को ही जीवित गुरु मानने का आदेश दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि गुरुगोबिंद सिंह जी एक दिव्य सद्गुरु थे और उनको यह एहसास हो गया था कि भविष्य में ऐसा समय भी आ सकता है, जब कोई गुरु गद्दी में बैठने वाले इस गुरु गद्दी का दुरुपयोग करे। इसलिए उन्होंने अपने बाद देहधारी गुरु की परंपरा को समाप्त करने की घोषणा की। साथ ही गुरु रूप में श्री गुरुग्रंथ साहिब को स्थापित कर सभी सिख धर्मावलंबियों को हुक्म दिया कि जो अपने को खालसा पंथ में मानेगा वो गुरुग्रंथ साहिब को ही जीवित गुरु मानेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि सिख पंथ के साढ़े पांच सौ साल के इतिहास में जितनी कुर्बानियों देश और कौम के लिए जितने बलिदान दिए, उतने बलिदान किसी धर्म में नहीं हुए। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरदार प्रीतम सिंह, सरदार ओपी राठौर, सरदार हरमोहिंदर सिंह, सरदार करतार सिंह, सरदार जसविंदर सिंह, अशोक गोलानी, आशुतोष द्वेवेदी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।