Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

July 9, 2025

499 साल बाद बन रहा दिवाली पर तीन बड़े ग्रहों का दुर्लभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त, विद्यार्थी और गृहस्थ के लिए पूजन की विधि

हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व होता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस साल दिवाली 14 नवंबर को पड़ रही है। दिवाली को तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग इसे और ज्यादा खास बना रहा है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज के अनुसार दिवाली पर गुरु ग्रह अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में रहेगा। वहीं, शुक्र ग्रह कन्या राशि में रहेगा। दीपावली पर तीन ग्रहों का यह दुलर्भ संयोग 2020 से पहले 1521 में बना था। ऐसे में यह संयोग 499 साल बाद बन रहा है।
धन संबंधी कार्यों में सफलता के योग
ज्योतिष शास्त्र में गुरु और शनि को आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाले कारक ग्रह माने गए हैं। ऐसे में दिवाली पर यह दो ग्रह अपनी स्वराशि में होने से धन संबंधी कार्यों में बड़ी सफलता का योग बनाएंगे। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की भगवान राम लंका विजय कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्या का हर घर दीपक और रोशनी से जगमगा उठा था। अयोध्यावासियों ने भगवान राम के घर लौटने की खुशी में घर को दीपों से सजाया था। तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली या दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
दिवाली पर शुभ पूजन मुहूर्त –
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक।
प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक
चौघड़िया मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजन-
दोपहर में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 14 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से शाम को 04 बजकर 07 मिनट तक।
शाम में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त- 14 नवंबर की शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 07 मिनट तक।
रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त- 14 नवंबर की रात 08 बजकर 47 मिनट से देर रात 01 बजकर 45 मिनट तक।
प्रात:काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त- 15 नवंबर को 05 बजकर 04 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक।
ये भी हैं श्रेष्ठ लग्न
दीपावली के प्रसिद्ध मुहूर्तो में चर, लाभ, अमृत और शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी श्रेष्ठ माना गया है। साथ ही स्थिर लग्न अथवा शुभ ग्रहों से प्रभावित लग्न को भी श्रेष्ठ माना गया है।
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल तथा महानिशीथ काल को माना गया।
अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व दीपावली
भारतीय कैलेंडर के अनुसार दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाज़ार व गलियाँ जगमगा उठते हैं। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।
ये है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ श्रीमहालक्ष्मी कार्तिक अमावस्या को मध्यरात्रि के समय अपने भक्तों के घर जा-जाकर उन्हें धन-धान्य से सुखी रहने का आशीर्वाद देती हैं। वैसे तो इस दिन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल तथा महानिशीथ काल को माना गया है। किंतु, अमावस्याकाल के आरंभ होने से लेकर अंततक के मध्य नक्षत्र संयोग, लग्न काल और चौघड़िया जैसे कई ऐसे मुहूर्त होते हैं जिनके मध्य बड़े से बड़े कार्य आरंभ करके प्राणी पूर्णसफलता प्राप्त कर सकता है।
ये है प्रतिष्ठानों की पूजा का मुहूर्त
प्रतिष्ठानों में गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से आरम्भ हो जाएगा। इसी के मध्य क्रमशः चर, लाभ और अमृत की चौघडियां भी विद्यमान रहेंगी। जो शायं 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी। इसी काल के मध्य किसी भी तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान जहां से आपके धनागमन का साधन बना हो उस स्थान की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
गृहस्थों के लिए पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल
सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोष काल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न ‘वृषभ’ का भी उदय हो रहा है। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। इसी समय परम शुभ नक्षत्र ‘स्वाति’भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। सभी गृहस्थों के लिए इसी समय के मध्य में माँ श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।
विद्यार्थियों के लिए अतिशुभ मुहूर्त निशीथ काल
जप-तप पूजा-पाठ आराधना तथा विद्यार्थियों के लिए माँ श्री महासरस्वती की वंदना करने का समय रात्रि 8 बजकर 06 से 10 बजकर 49 तक रहेगा। जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हैं अथवा जिन्हें पढ़ने के बाद भी भूलने की परेशानी रहती है वह इस दिन मां सरस्वती की आराधना करके अपने मनोरथ सिद्ध कर सकते हैं। इसी समय में श्रीसूक्त का पाठ कनकधारा स्तोत्र, पुरुष सूक्त, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष तथा लक्ष्मी गणेश कुबेर आज की प्रसन्नता के लिए तमन्ना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
ईष्ट साधना के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल
घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करन वाली माँ श्री महाकाली, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्रीकाल भैरव की पूजा, तांत्रिक जगत तथा ईस्ट साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल का आरंभ रात्रि 10 बजकर 49 मिनट से आरंभ होकर मध्य रात्रि पश्चात 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस काल के मध्य की गई साधना, मारण मोहन उच्चाटन, विद्वेषण, वशीकरण आदि के लिए मंत्र जाप का फल अमोघ होता है और वह मंत्र आपकी रक्षा करने में सहायक सिद्ध होता है।
धनतेरस का ये है मुहूर्त
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि जी का पूजन किया जाता है व उनसे स्वस्थ रहने की प्रार्थना की जाती है। इसी के साथ नई वस्तुएं जैसे मोबाइल, दोपहिया वाहन, कार, नया मकान, सोना आदि खरीदे जाते हैं। यह सब सही मुहूर्त पर खरीदें तो शुभ होता है। धनतेरस 12 नवंबर को है।
धन्वंतरि जी के पूजन का मुहूर्त
अमृत-चौघड़िया- सुबह 06.35 से 07.59 तक।
लाभ-चौघड़िया- दोपहर 02.58 से 04.22 तक।
धनु-लग्न- सुबह 10.34 से 12.40 तक।
कुंभ-लग्न- दोपहर 02.27 से 04.01 तक।
मोबाइल एवं इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने का मुहूर्त :
शुभ-चौघड़िया- सुबह 09.23 से 10.47 तक।
कुंभ-लग्न- दोपहर 02.27 से 04.01 तक।
कार एवं दोपहिया वाहन खरीदने का मुहुर्त
शुभ-चौघड़िया- सुबह 09.23 से 10.47 तक।
कुंभ-लग्न- दोपहर 12.10 से 04.01 तक।
चर-चौघड़िया- दोपहर 01.34 से 02.58 तक।
वृषभ-लग्न- रात्रि 07.14 से 09.14 तक।

आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

3 thoughts on “499 साल बाद बन रहा दिवाली पर तीन बड़े ग्रहों का दुर्लभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त, विद्यार्थी और गृहस्थ के लिए पूजन की विधि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Pro zdravé a chutné recepty, užitečné tipy a triky a užitečné články o zahradničení, navštivte naše stránky a objevte nové způsoby, jak využít svůj čas a zdroje v kuchyni a v zahradě. Buďte inspirací pro svou rodinu a přátele s našimi užitečnými nápady a návody. Připojte se k nám a začněte zlepšovat svůj životní styl ještě dnes! Chytré telefony: Mýty a fakta o nabíjení, které vás překvapí Pečený květák s česnekovým máslem: zajímavý recept Jak vybělit spáry dlaždic za 15 minut a Jak připravit suflé z kuřecích jater" - návod k přípravě Získejte tipy a triky, jak vylepšit svůj každodenní život na našem webu! Navštivte nás pro chutné recepty a inspiraci pro vaření, stejně jako užitečné články o zahradničení a pěstování rostlin. Buďte s námi každý den a objevte nové způsoby, jak si užívat život plný radosti a zdraví!