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August 5, 2025

पांच दिन का दीपावली पर्व, आज है नरक चतुर्दशी, जानिए शुभ मुहूर्त, ऐसे करें पूजा, जानिए इस दिन की मान्यता

पांच दिनी दीपावली पर्व के दूसरे दिन आज यानी बुधवार तीन नवंबर को नरक चतुर्दशी है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में 14वीं तिथि यानी कि धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है।

दीपावली का त्योहार धनतेरस के शुरू होकर पांच दिन चलता है। यानी धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्द्धन पूजा और भैया दूज। पांच दिनी दीपावली पर्व के दूसरे दिन आज यानी बुधवार तीन नवंबर को नरक चतुर्दशी है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में 14वीं तिथि यानी कि धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है। इसी दिन को छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है। दीवाली के एक दिन पहले छोटी दीवाली मनाने की परंपरा रही है। इस पर्व को ‘काली चौदस’, ‘नरक चतुर्दशी’ या कई जगहों पर ‘रूप चौदस’ भी कहा जाता है। यहां हम इस दिन की मान्यताओं पर चर्चा कर रहे हैं।
ऐसी है मान्यताएं
नरक से जुड़े दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन शाम के वक्त में घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16100 कन्याओं को उसके कैद से मुक्त कराया था। इस त्योहार को रूप चौदस भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाकर नहाते हैं तो रूप निखरता है और सौंदर्य में वृद्धि होती है। इसीलिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने का भी बड़ा महत्व है। कुछ लोगों में एक मान्यता यह भी है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था, इसलिए उनके भक्त इस इस दिन हनुमान जयंती मनाते है। हनुमान जी को चने और गुड़ का भोग कर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है।
छोटी दिवाली इतिहास और महत्व
हिन्दी मान्यताओं के अनुसार, नरकासुर ने वैदिक देवी अतिथि के सम्राज को हड़प लिया था। उसने बहुत सी महिलाओं को प्रताड़ित भी किया था। नरकासुर के खिलाफ भगवान कृष्ण और सत्यभागा में संघर्ष किया और युद्ध में मार गिराया। वहीं नॉर्थ ईस्ट इलाके लोगों का मानना है कि नरकासुर का वध काली देवी ने किया था। यही कारण है कि छोटी दिवाली के दिन काली मां की पूजा भी की जाती है।
छोटी दीवाली पूजा विधि
छोटी दीवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ में श्रीगणेश को भी विराजमान कर, उनकी उपासना की जाती है। आपने धनतेरस पर जो चांदी के सिक्के खरीदे हैं, उन्हें इस दिन पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के सामने रखें। एक बड़े पीतल की थाले में स्वास्तिक बनाएं. इसमें चारों ओर ग्यारह मिट्टी के दीपक रखें अब बीच में एक पंचमुखी दीपक रखें। लक्ष्मी जी को इत्र, मिठाई, पुष्प, रोली, सिंदूर आदि अर्पित करें। माता के सामने घी का दीपक जलाएं और फिर आरती करें।
इन देवी देवताओं की करें पूजा
नरक चतुर्दशी के दिन लोग भगवान कृष्ण, काली माता, यम और हनुमान जी की पूजा करते हैं। मानता है कि इससे आत्मा की शुद्धि होती है और पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है। इसके साथ ही नरक में जाने से भी मुक्ति मिलती है। कुछ स्थानों पर छोटी दिवाली के मौके पर नरकासुर का पुतला दहन किया जात है। यह देश के विभिन्न इलाकों में मनाया जाता है।
दीए जलाएं
दीवाली पर हम अपने पूरे घर को दीयों से सजाते हैं। वहीं छोटी दीवाली पर भी दीपक जलाने की परंपरा है। हां, दीयों की संख्या दीवाली से कुछ कम होती है। छोटी दिवाली पर अपने घर की चौखट, सभी कमरों और छत पर जरूर दीए जलाएं। इसके साथ ही घर के मंदिर में दीपक जला कर रखें। दीए जलाने के साथ ही सभी एक साथ मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं और मिठाइयां और स्वादिष्ट पकवान भी खाते हैं।
छोटी दिवाली का 2021 शुभ मुहूर्त
दुनियाभर के हिन्दु समुदाय के लोग पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुकूल समय को शुभ मुहूर्त के नाम से जानते हैं। इस बार छोटी दिवाली, 3 नवंबर 2021 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक है। स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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