पहाडों में अव्यवस्थाओं ने खोली सरकार की पोल, करनी में है फर्कः दिनेश मोहनिया
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर से समूचा उत्तराखंड बुरी तरह प्रभावित है।
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर से समूचा उत्तराखंड बुरी तरह प्रभावित है। राज्य में आए दिन हजारों की संख्या में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों की हालात बेहद खराब है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मैदानी जिलों में तो कोरोना का कहर बरप रहा है। साथ ही 9 पर्वतीय जिले, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत भी बुरी तरह कोरोना महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इन जिलों में हर दिन सैकड़ों संख्या में लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं। बीते रोज की ही बात करें तो इन 9 जिलों में कल 2674 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए।
उन्होंने बताया कि सरकार की लापरवाही के कारण इन 9 जिलों में कोरोना से 590 लोगों की जान चली गई है। ये हाल तब है जब इन जिलों में बहुत कम लोगों की कोरोना जांच हो रही है। यदि बीते दिन की बात करें इन 9 जिलों में केवल 10095 सैंपल की ही जांच हो पाई। इससे पता चलता है कि सरकार पहाड़ों में कोरोना महामारी के खतरे को कितने हल्के में ले रही है। प्रदेश के गांव-गांव तक कोरोना महामारी के पहुंचने के लिए सिर्फ और सिर्फ तीरथ सरकार जिम्मेदार है। अगर तीरथ सरकार ने समय पर सही फैसले लिए होते तो आज उत्तराखंड के गांवों में कोरोना का प्रकोप इस कदर हावी नहीं होता।
आप प्रभारी ने बताया कि पहाड़ों में स्थिति हाथ से निकलती जा रही है। कोरोना संक्रमण की भयावहता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 9 जिलों में अब तक 188 इलाकों को कटेंनमेंट जोन घोषित कर सील किया जा चुका है। सबसे ज्यादा 80 कंटेंनमेंट जोन उत्तरकाशी जिले में हैं। चंपावत में 30, टिहरी में 21, पौड़ी में 17,अल्मोड़ा में 11, पिथौरागढ में 9, रुद्रप्रयाग में 9, चमोली में 8 और बागेश्वर जिले में 3 इलाके पूरी तरह सील हैं।
आप प्रभारी ने बताया कि बडे ही दुर्भाग्य की बात है कि पहाड़ी जिलों के कई गांवों में बड़ी संख्या में लोग इन दिनों बीमार हैं। इलाज के लिए तरस रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। न तो उनकी जांच हो पा रही है और न ही उन्हें इलाज मिल पा रहा है। तीरथ सरकार ने इन लोगों की तकलीफों से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है। कई गांव ऐसे हैं जहां से लोगों को कोरोना जांच के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है।
घंटों पैदल चलने के बाद जब ये लोग अपना सैंपल देते हैं तो उसके बाद भी कई-कई दिन तक इनकी रिपोर्ट नहीं आती, जिससे लोग खुद के स्वास्थ्य को लेकर बुरी तरह आशंकित हो रहे हैं, और सरकार की इस नाकामी से सही आंकडे भी सामने नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि अपने घरों में आइसोलेट हुए लोगों को तीरथ सरकार दवाइयां और जरूरी चीजें भी मुहैया नहीं करवा पा रही है। कई लोगों को कोरोना किट तक नहीं मिल पा रही है और जिन लोगों को किट मिल रही है तो उसमें जरुरी उपकरण गायब हैं।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार समय रहते ये सभी कदम उठाए तो कोरोना के बढते खतरे के साथ ही इसके ग्राफ को कम किया जा सकता है। इसलिए सरकार को तुंरत उनकी ओर से दिए जा रहे सुझाव पर अमल करते हुए उचित कार्यवाही करनी चाहिए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक स्वास्थय सेवाएं पहुंचें और लोगों को कोरोना के कहर से बचाया जा सके।
सरकार को दिए ये सुझाव
– सरकार पर्वतीय इलाकों और ग्रामीणों क्षेत्रों में कोरोना के मामले की गंभीरता को समझे और हर गांव में स्वास्थ्य शिविर लगा कर अधिक से अधिक लोगों की जांच करे। ताकि अधिक लोगों तक स्वास्थय सेवाएं पहुंच सकें।
– प्रदेश के प्रत्येक पर्वतीय जिले में कोरोना से निपटने के लिए तत्काल 100 बेड का अत्याधुनिक संसाधनों युक्त कोविड अस्पताल तैयार किए जाएं।
– प्रत्येक गांव में कोरोना के खिलाफ जागरुरता अभियान युद्धस्तर पर चलाया जाए और इस अभियान में पंचायत प्रतिनिधियों, आशा कार्यकत्रियों तथा स्वयंसेवी संगठनों की तत्काल मदद ली जाए।
– पर्वतीय इलाकों में पहले से चल रहे अस्पतालों में सभी सुविधाएं जल्द से जल्द मुहैया कराई जाएं। साथ ही ऑक्सीजन,आईसीयू बेड,जरुरी उपकरणों का पूरा ध्यान रखा जाए।
– प्रदेश के हर जिले के प्रभारी मंत्री और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा रोजोना शाम को जिले में कोरोना की स्थिति, सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों, अस्पतालों में बिस्तर, आईसीयू ऑक्सीजन, दवाइयां आदि की उपलब्धता को लेकर मीडिया ब्रीफिंग की जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।