खुलासाः आचार्य बालकृष्ण की हिस्सेदारी वाली तीन कंपनियों ने लगाई बोली, एक को सौंप दिया गया जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट

स्वामी रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण की कंपनी को नियमों को ताक में रखकर मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट सौंपने का आरोप लगे हैं। ऐसा दावा एक रिपोर्ट में किया गया है। इसमें कहा गया है कि जिस कंपनी को टेंडर मिला, उसमें भी बालकृष्ण की हिस्सेदारी थी। टेंडर मिलने के बाद उनकी हिस्सेदारी और बढ़ गई। यह भी दावा किया गया कि जिन तीन कंपनियों ने टेंडर डाले, ये तीनों कंपनी आचार्य बालकृष्ण की हैं। यानि किसी काम को लेने के लिए एक ही व्यक्ति की कंपनियों ने आपस में प्रतिस्पर्धा की। विश्व बैंक से 23 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर उत्तराखंड सरकार ने जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के बाद निजी कंपनी को सौंप दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड सरकार के टूरिज्म बोर्ड ने दिसंबर 2022 में टेंडर इश्यू किया था। इसे मसूरी के नजदीक जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट में एडवेंचर टूरिज्म शुरू करन के लिए लॉन्च किया था। इस टेंडर के लिए तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी। इन तीनों कंपनियों के शेयरहोल्डर में एक नाम शामिल था। वह था आचार्य बालकृष्ण का जो बाबा रामदेव के सहयोगी हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। बालकृष्ण को रामदेव का काफी करीबी माना जाता है। वह पतंजलि आयुर्वेद के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मसूरी के नजदीक 142 एकड़ में फैला है जार्ज एवरेस्ट एस्टेट
पंतजलि आयुर्वेद एक एफएमसीजी कंपनी है, जिसकी वैल्यूएशन 6,199 करोड़ रुपये है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मसूरी के नजदीक यह एडवेंचर प्रोजेक्ट 142 एकड़ में फैला है। इसमें पार्किंग, हैलीपैड, लकड़ी के पांच हट्स, एक कैफे और दो म्यूजियम हैं। इस प्रोजेक्ट को चलाने का कॉन्ट्रैक्ट करने वाली कंपनी को उत्तराखंड सरकार को सालाना एक करोड़ रुपये की फीस चुकानी है। एक करोड़ साला की राशि में सरकार ने इस कीमती स्थान पर कंपनी को 15 साल के लिए सौंप दिया। बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट का इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से बना था। कंपनी को सिर्फ इसे ऑपरेट करना था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीनों कंपनियों में बालकृष्ण की हिस्सेदारी
जिन तीन कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाई थीं, उनमें प्रकृति ऑर्गेनिक्स इंडिया और भारुवा एग्री साइंस में बालकृष्ण की 99 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है। तीसरी कंपनी राजस एयरोस्पोर्ट्स में प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाने के वक्त बालकृष्ण की हिस्सेदारी 25.01 फीसदी थी। इस कंपनी को टेंडर मिलने के बाद बालकृष्ण की हिस्सेदारी बढ़कर 69.43 फीसदी तक पहुंच गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बोली लगाने वाली कंपनियों के बीच भी सांठगांठ
प्रकृति ऑर्गेनिक्स और भारुवा एग्रो ने अक्टूबर 2023 में राज एयरोस्पोर्ट्स में 17.43 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अलग से बालकृष्ण की चार कंपनियों-भारुवा एग्रो, भारुवा सॉल्यूशंस, फिट इंडिया ऑर्गेनिक और पतंजलि रिवोल्यूशन ने राजस एयरोस्पोर्ट्स में 33.25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। इस टेंडर में एक शर्त थी, जिस पर बोली लगाने वाली कंपनियों ने हस्ताक्षर किए थे। इसमें यह कहा गया था कि इस टेंडर के लिए बोली लगाने के लिए कंपनियों ने आपस में सांठगांठ नहीं की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सबसे ज्यादा बोली राजस एयरोस्पोर्ट्स की
एक फरवरी 2023 को टेंडर के लिए बोली लगी। राजस एयरोस्पोर्ट्स ने 1 करोड़ रुपये की बोली लगाई। भरुवा एग्री साइंस ने 65 लाख और प्रकृति ऑर्गेनिक्स ने 51 लाख रुपये की बोली लगाई। साफ है कि सबसे ऊंची बोली राजस की थी। दावा किया गया कि चूंकि बाकी दोनों कंपनियां भी बालकृष्ण की ही थीं, इसलिए बोली के दौरान जो प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए थी वह नहीं हुई। जिस कंपनी को टेंडर मिला, उसमें भी बालकृष्ण की हिस्सेदारी थी। टेंडर मिलने से पहले बालकृष्ण की इसमें 25.01% हिस्सेदारी थी, लेकिन टेंडर मिलने के बाद उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 69.43% हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह भी दावा किया गया कि राजस एयरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर्स को टेंडर मिलने के बाद बोली लगाने वाली बाकी दो कंपनियों ने भी राजस में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। इसके अलावा, चार कंपनियों – भारुवा एग्रो सॉल्यूशन, भारुवा सॉल्यूशंस, फिट इंडिया ऑर्गेनिक और पतंजलि रिवोल्यूशन सभी बालकृष्ण के स्वामित्व में हैं। इन सब कंपनियों ने मिलकर राजस एयरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर्स में 33.25% हिस्सेदारी हासिल की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, टेंडर की शर्तों में यह भी गया था कि अगर उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड को पता चलता है कि ऑपरेटर ने प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए किसी तरह के गलत तरीके का इस्तेमाल किया है तो कॉन्ट्रैक्ट रद्द हो सकता है। उत्तराखंड टूरिज्म के अधिकारियों का कहना है कि टेंडर की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी और यह टेंडर सभी के लिए ओपन था। दावा किया गया कि यह टेंडर ओपन था और कोई कंपनी इसके लिए बोली लगा सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि किसी एक व्यक्ति की शेयरहोल्डिंग दूसरी कंपनी में होना असामान्य बात नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है शुल्क
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस में प्रवेश शुल्क लगता है, जो भारतीय नागरिकों के लिए प्रति व्यक्ति 200 रुपये है। विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 600 रुपये है। इसके गेट के बाहर बनाई गई पार्किंग में दोपहिया वाहनों के लिए 100 रुपये और चार पहिया वाहनों के लिए 200 रुपये का पार्किंग शुल्क लगता है। इसकी समयावधि भी चार घंटे है। इसके बाद अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। जॉर्ज एवरेस्ट हाउस संग्रहालय में कंपनी के वाहन से जाने के लिए 1,000 रुपये का भुगतान करना होता है। इसके अलावा हेलीकाप्टर से या दूरबीन से हिमालय के दर्शन करने का अलग से चार्ज है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।