उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से फेल, पहाड़ों में दुर्घटनाओं व आपदाओं से मौत का तांडवः सूर्यकांत धस्माना

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राज्य में आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से फेल हो चुका है। पर्वतीय जिलों में सड़क दुर्घटनाओं और आपदाओं से मौत का तांडव कई बार देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आए दिन किसी ना किसी सड़क दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा और वनागनी से निर्दोष लोगों की मौतें हो रही हैं। आपदा प्रबंधन विभाग का पता तब चलता है, जब नुकसान हो चुका होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने रुद्रप्रयाग के पास हुई बस दुर्घटना में मारे गए लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करने के साथ ही कहा कि कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा, जिस दिन प्रदेश के किसी ना किसी भाग में कोई सड़क दुर्घटना ना घट रही हो। रोजाना सड़क दुर्घटना में किसी ना किसी की मौत हो रही है। रैतेली रुद्रप्रयाग में हुई सड़क दुर्घटना में चौदह लोगों ने अपनी जान गांव दी और 12 अन्य लोग घायल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया यह पता चला है कि 20 सवारी में पास गाड़ी में 26 सवारियां बैठाई गई थी। हरिद्वार से लेकर दुर्घटना स्थल तक किसी भी बैरियर पर ओवरलोडिंग में इस वाहन को नहीं रोका गया। इससे पता चलता है कि पूरे राज्य के हजारों किलोमीटर यात्रा रूट पर रोजाना चलने वाले हजारों वाहनों की फिटनेस, लोड आदि पर परिवहन, पुलिस व आपदा प्रबंधन विभाग का क्या रवैया रहता होगा। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि पिछले छह सात वर्षों में उत्तराखंड में हुई भीषण सड़क दुर्घटनाओं से हमारी सरकारों और विभागों ने कोई सबक नहीं लिया। वर्ष 2018 जुलाई में बमैनिसैन धुमाकोट मार्ग में हुए भीषण बस दुर्घटना में 48लोगों की मौके पर मौत हो गई थी। अनेक लोग घायल हुए थे। इसी प्रकार वर्ष 2022 रिखणीखाल बीरोंखाल मार्ग पर हुई बस दुर्घटना में 42 लोगों की मौत हो गई थी। 15 जून 2022 को यमुनोत्री हाई वे पर हुई बस दुर्घटना में 26 यात्रियों की दर्दनाक मौत हुई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि रुद्रप्रयाग में हुई टेंपो ट्रेवलर दुर्घटना के बारे में कहा जा रहा है कि वो चार धाम यात्रा पर नही जा रहा था। इसलिए उसको नहीं रोका गया, जो अपने आप में हास्यास्पद है। दुर्घटना यह देख कर नहीं आती कि कौन चार धाम जा रहा है और कौन पिकनिक ट्रिप में जा रहा है। अगर गाड़ी की फिटनेस या ड्राइवर का तजुर्बा या ओवरलोडिंग है, तो दुर्घटना की संभावना सभी वाहनों के साथ होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि आल वैदर रोड के बड़े बड़े दावे करने वाली सरकार सड़क दुर्घटनाओं पर रोक के कोई पुख्ता इंतजाम करने में पूरी तरह से विफल है। सरकार का काम केवल मरने वालों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करना और मुआवजे की घोषणा करना रह गया है। पिछले दो माह में सौ से ज्यादा मौतें चार धाम यात्रा रूट पर सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी के सहस्त्रताल में नौ ट्रैकर्स की मौत, वनाग्नी में लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इन हादसों को देखकर ऐसा लगता है कि राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग केवल आपदा आने के बाद सक्रिय होता है। उसका कोई दायित्व आपदाओं के पूर्वानुमान से लोगों को बचाना व सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि राज्य में चार धाम यात्रा चल रही है, राज्य में वनों में आग लगी है और उससे लोग मर रहे हैं। वहीं, आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारी विदेश दौरा कर रहे हैं। आपदा प्रबंधन विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री देख रहे हैं। उसके बावजूद विभाग कहीं नजर नहीं आ रहा है। यह प्रदेश में नौकरशाही की लापरवाही का हाल बयां कर रहा है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।