उत्तराखंड के जंगलों में आग नियंत्रित करने में आपदा प्रबंधन विभाग पूर्णतया विफल, राज्यपाल करें हस्तक्षेपः धस्माना

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग को नियंत्रित करने में केंद्र और प्रदेश की डबल इंजन सरकार पूरी तरह से विफल है। आग विकराल रूप धारण कर रही है। इसका कारण भाजपा सरकार की घोर लापरवाही है। उन्होंने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह से तत्काल हस्तक्षेप कर राज्य सरकार को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में धस्माना ने कहा कि राज्य का कोई जनपद ऐसा नहीं है, जहां आग ना लगी हो। अब तक रिपोर्ट की गई नौ सौ दस घटनाओं में लगभग डेढ़ हजार हैक्टेयर जंगल जल चुके हैं। चार मानव हानि हुई है। अनगिनत वन्य जीवों की हानि की संभावना है। यह स्थितियां अधिक भयावह होती जा रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज्य में आपदा की आपातकाल स्थिति है, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री जो आपदा प्रबंधन मंत्री भी हैं, वे चुनावी दौरों में राज्य से बाहर व्यस्त हैं। आपदा प्रबंधन विभाग तो ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में है ही नहीं। क्योंकि आपदा के समय आपदा प्रबंधन सचिव लापता ही रहते हैं। उनकी जवाब देही आज तक कोई तय नहीं कर पाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि ऐसी आपातकालीन स्थिति में जब सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ना कर रही हो, तो राज्यपाल को हस्तक्षेप कर सरकार को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित करना चाहिए। धस्माना ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक लाइफ लाइन चार धाम यात्रा आगामी दस मई से शुरू हो रही है और पर्यटन का सीजन भी शुरू हो चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस वनाग्नि से पर्यावरण का तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही तीर्थ यात्रा व पर्यटन पर भी इसका विपरीत असर पड़ सकता है। धस्माना ने कहा कि वनाग्नि के नियंत्रण के लिए आपदा प्रबंधन विभाग और वन विभाग का जो काम को सितंबर अक्तूबर माह में हो जाना चाहिए था, उसको आज किया जा रहा है। इससे सरकार वा विभाग की तैयारियों की पोल खुल जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज्य का आपदा प्रबंधन केवल कमीशनखोरी का एक बड़ा माध्यम बन गया है, जो आपदा का इंतजार करता है। आपदा के बाद होने वाले कार्यों की बंदरबांट और उन पर मात्र कमीशनखोरी करता है। धस्माना ने कहा कि कोटद्वार में मालन नदी पर पुल ध्वस्त होने के प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष व आपदा प्रबंधन सचिव की मोबाइल पर वार्ता जो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी आपदा प्रबंधन तंत्र की एक तस्वीर थी, जिसका विस्तृत रूप आज वन अग्नि के विकराल रूप में दिख रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि आज ऐसे संकट के समय राज्य के मुख्यमंत्री को जनता के बीच होना चाहिए और आपदा प्रबंधन विभाग के और वन विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। अगर सरकार नहीं चेती तो कांग्रेस ना चाहते हुए भी सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी शीघ्र ही इस मामले में राज्य के राज्यपाल से मुलाकात करेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।